कभी मां के साथ बेचीं चूड़ियां, आज हैं IAS अफसर, गजब है रमेश घोलप की सक्सेस स्टोरी

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Jan 20, 2025, 1:36 PM IST

पढ़ें IAS रमेश घोलप की इंस्पिरेशनल स्टोरी, जिन्होंने कभी मां के साथ चूड़ियां बेची, पिता की मौत के बाद अंतिम संस्कार में जाने तक के लिए पैसे नहीं थे। जानिए कैसे UPSC परीक्षा क्रैक कर IAS अधिकारी बने।

UPSC Success Story: जमीन से उठकर आसमान की ऊंचाइयां छूने वालों की स्टोरी हमें प्रेरणा देती हैं। ऐसी ही इंस्पिरेशनल स्टोरी है IAS अधिकारी रमेश घोलप की। महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के महागांव में जन्मे रमेश ने बचपन से ही गरीबी और दुश्वारियों का सामना किया। पिता की मौत के बाद जिंदगी का सच समझ आया तो हार्डवर्क कर खुद के टैलेंट को निखारने के काम में लग गए। आखिरकार UPSC एग्जाम क्रैक कर IAS अधिकारी बने। आइए जानते हैं आईएएस रमेश घोलप की सक्सेस स्टोरी।

स्ट्रगल से भरा बचपन

रमेश के पिता गोरख घोलप एक छोटी सी साइकिल रिपेयरिंग की दुकान चलाते थे। पर उनकी शराब की लत ऐसी थी कि अक्सर तबीयत खराब रहने लगी। हालात इतने खराब हो गए कि एक दिन दुकान तक बंद करनी पड़ी। परिवार की जिम्मेदारी रमेश की मां विमल घोलप ने उठाई। वह पास के गांवों में चूड़ियां बेचने का काम करती थीं। रमेश के बाएं पैर में पोलियो था, लेकिन इसके बावजूद वे अपनी मां का हाथ बंटाने के लिए सड़कों पर चूड़ियां बेचने में मदद करते थे।

गरीबी में भी पढ़ाई को दी प्रॉयोरिटी

गरीब के बावजूद रमेश पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहे। महाराष्ट्र के बरसी स्थित स्कूल में उन्होंने अपनी क्लास में टॉप किया। लेकिन 2005 में एक बड़ा दुखद हादसा हुआ। उनके पिता का निधन हो गया। उस समय रमेश के पास अपने पिता के अंतिम संस्कार में जाने के लिए बस का किराया तक नहीं था। पड़ोसियों की मदद से वह अंतिम संस्कार में पहुंचे। यह घटना उनकी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट बनी। रमेश ने गरीबी से बाहर निकलने और अपने परिवार की स्थिति सुधारने के लिए पूरी तरह पढ़ाई पर फोकस किया।

शिक्षक से IAS अधिकारी तक 

रमेश ने ओपन यूनिवर्सिटी से आर्ट्स में डिग्री हासिल की और 2009 में शिक्षक बने। लेकिन उनकी असल महत्वाकांक्षा IAS अधिकारी बनने की थी। कॉलेज के दिनों में एक तहसीलदार से मुलाकात ने उनके करियर को नई दिशा दी थी। उन्होंने UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी का फैसला किया और पुणे चले गए। उनकी मां हरसंभव प्रयास कर उनकी पढ़ाई के लिए पैसे जुटाती रहीं।

पहले असफलता, फिर शानदार सफलता

2010 में रमेश ने पहली बार UPSC की परीक्षा दी लेकिन सफल नहीं हो सके। उन्होंने हार मानने के बजाय और मेहनत की। आखिरकार, 2012 में उन्होंने विकलांग कोटे के तहत AIR 287 के साथ परीक्षा पास की और उनका IAS बनने का सपना पूरा हुआ। मौजूदा समय में IAS रमेश घोलप झारखंड ऊर्जा विभाग में संयुक्त सचिव के रूप में कार्यरत हैं। उनकी स्टोरी बताती है कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, आत्मविश्वास और मेहनत से सब कुछ संभव है।

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