Success Story: 10वीं क्लास तक पढ़े बेंगलुरु के श्रीकांत बोलापल्ली को एक समय 18 घंटे हाड़तोड़ मेहनत के बदले सिर्फ 1000 रुपये मिलते थे। 18,000 रुपये इंवेस्ट कर बिजनेस शुरू किया। अब सालाना 60-70 करोड़ रुपये कमाई होती है।
Success Story: बेंगलुरु के डोड्डाबल्लापुरा निवासी श्रीकांत बोलापल्ली सिर्फ 10वीं पास हैं। जीवन की चुनौतियों का सामना करते हुए आगे बढ़ें। कठिन समय में भी हिम्मत नहीं हारी। एक समय ऐसा भी था। जब 18 घंटे काम के बदले 1,000 रुपये कमाई होती थी। ऐसे में परिवार चलाना मुश्किल था। इन परिस्थितियों में भी उन्होंने 18,000 रुपये इंवेस्ट कर बागवानी की शुरूआत की। अब सालाना 60 से 70 करोड़ की कमाई होती है। आइए जानते हैं श्रीकांत बोलापल्ली की सक्सेस स्टोरी।
फूलों की खेती से अच्छी कमाई की मिली जानकारी
श्रीकांत बोलापल्ली का शुरूआती जीवन कठिनाइयों से भरा रहा। परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था, ऐसी स्थिति में उन्हें तीन साल के लिए पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी। फिर भी वह अपने परिवार को कर्जमुक्त बनाने के लिए जरूरी कमाई नहीं कर पा रहे थे। साल 1995 में उन्हें फूलों की खेती से अच्छी कमाई के बारे में जानकारी मिली और बेंगलुरु जाने का मौका मिला।
फॉर्म में 18 घंटे काम, सीखी उन्नत खेती
उस समय श्रीकांत को वैज्ञानिक तरीके से की जाने वाली खेती के बारे में जानकारी नहीं थी। बेंगलुरु में ही उन्हें एक फॉर्म में काम करने का मौका मिला। जहां फूलों की खेती होती थी। शुरूआती दिनों में मुश्किलें झेलीं। डेली 18 घंटे हार्डवर्क करते थे। उसके बदले मात्र 1000 रुपये मेहनताना मिलता था। यह पैसा परिवार चलाने के लिए पर्याप्त नहीं था। फिर भी वह काम में लगे रहें।
पहले साल 5 लाख रुपये का मुनाफा
फॉर्म में काम करने के दौरान सीखे गए खेती के हाईटेक तरीकों ने उनकी जिंदगी बदल दी। उनका फूलों की खेती करने में इंटरेस्ट था। इसलिए मॉर्डन खेती शुरू करने का फैसला लिया। मात्र 18,000 रुपये से बागवानी यानी फूलों की खेती शुरू कर दी। पहले साल ही 5 लाख रुपये का मुनाफा हुआ। अब 50 एकड़ जमीन के 40 एकड़ हिस्से में गुलाब और कारनेशन जैसे फूलों की खेती करते हैं।
अब सालाना 60-70 करोड़ रुपये का कारोबार
अब श्रीकांत के फॉर्म में पॉली हाउस, सौलर पैनल, ड्रिप-स्प्रिंकलर सिंचाई से जुड़े हाईटेक उपकरण हैं। मॉर्डन फॉर्मिंग ने उनकी खेती की उत्पादकता बढ़ाने में मदद की। अब वह ओम श्री साईं फ्लावर्स फर्म के मालिक हैं। हर साल करीबन 60-70 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। पिछले 25 साल से बागबानी से काम से जुड़े हुए हैं। बिजनेस से हुई आय से जमीने खरीदीं। आसपास के लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बनकर उभरे हैं।
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