सैल्यूटः गरीब बच्चों को पढ़ाने 21 साल से हर दिन टॉयलेट साफ करते हैं कोयंबटूर के वेल्डर लोगनाथन

By rohan salodkarFirst Published Aug 9, 2023, 2:42 PM IST
Highlights

तमिलनाडु के कोयंबटूर में वेल्डिंग का काम करने वाले लोगनाथन गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए पिछले 21 साल से शौचालयों की सफाई का काम कर रहे हैं। बेइंतहा गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले लोगनाथन नहीं चाहते हैं कि उनकी तरह किसी गरीब बच्चों की शिक्षा छूटे। सरकारी अनाथालय की मदद के लिए हर साल लोगनाथन दस हज़ार रुपये  इकट्ठा करके जिले के कलेक्टर को देते हैं।

तमिलनाडु .कोयम्बटूर के कन्नम्पलायम के रहने वाले लोगनाथन पिछले 21 सालों से टॉयलेट्स की सफाई करते हैं। पेशे से लोगनाथन वेल्डर है लेकिन गरीब बच्चों की मदद करने के लिए उन्होंने टॉयलेट साफ करने का पार्ट टाइम जॉब किया।इस पार्ट टाइम जॉब के आलावा लोगनाथन हर साल दस हज़ार रूपये इकठ्ठा कर के ज़िले के कलेक्टर को सरकारी अनाथालयों में मदद के लिए देते हैं।  

कौन है तमिलनाडु के लोगनाथन
लोगनाथन का जन्म एक दिहाड़ी मजदूर के घर पर हुआ था।  उनके घर में आर्थिक तंगी इतनी थी कि लोगनाथन पढ़ाई नहीं कर पाए।वह हमेशा से पढ़ना चाहते थे लेकिन फीस न जमा होने के कारण कक्षा छह के आगे नहीं पढ़ पाए। परिवार में उनकी पत्नी शशि कलादेवी है, उनका बेटा सिवागुरु है जो कि टेक्सटाइल सेक्टर में काम करता है और एमबीए कर रहा है,एक बेटी अन्नपूर्णी है जो ग्रेजुएशन कर रही है। लोगानाथन 12 साल की उम्र से पेपर मिल और वर्कशॉप में काम करते थे। उन्होंने गरीबी बहुत करीब से देखी थी इसलिए नहीं चाहते थे कि किसी भी बच्चे की पढ़ाई गरीबी की वजह से छूटे। इसलिए उन्होंने तय किया कि वह गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए अपना जीवन समर्पित कर देंगे। 

लोगनाथन ने खोली अपनी वेल्डिंग की दुकान
गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए लोगनाथन ने पार्ट टाइम जॉब करना शुरू कर दिया। लेकिन उनकी वर्कशॉप के मालिक को पसंद नहीं था उनका पार्ट टाइम जॉब करना, इसलिए लोगनाथन ने साल 2018 में अपनी वेल्डिंग की एक दुकान खोल लिया। पार्ट टाइम जॉब में लोगनाथन कोयंबटूर की प्राइवेट कंपनियों के शौचालयों की सफाई करते हैं। इससे जो पैसा इकट्ठा होता था  वह गरीब बच्चों की शिक्षा पर लगाते हैं। वर्कशॉप पर काम करते हुए लोगनाथन को मालिक की डांट फटकार की चिंता रहती थी इस बात का भी डर रहता था कि कहीं वो तनख्वाह काट दे,या नौकरी से निकाल दें ।अपनी दुकान पर काम करते हुए लोगनाथन सुकून से काम करते हैं और शाम को शौचालयों की सफाई के लिए निकल जाते हैं।

शौचालय की सफाई से दोस्त हुए नाराज
शौचालय की सफाई को लेकर लोगनाथन के परिवार और दोस्त नाराज हो गए। लोगों ने उनसे बात करना छोड़ दिया। यहां तक कि लोगों को उनके साथ खड़े होते हुए शर्म आने लगी। लोगनाथन ने किसी की बात को अपने दिल से नहीं लगाया बल्कि वह इस बात को लेकर तटस्थ थे कि कुछ भी हो जाए  उन्हें गरीब बच्चों को शिक्षित करना है। और शौचालय साफ करना कोई गलत काम नहीं है ना ही कोई अपराध है। पहले लोगनाथन शौचालय की सफाई का एक घंटे का ₹50 लेते थे आज वह ₹2500 कमा लेते हैं। यह कमाई लोगनाथन अपने घर में नहीं लगाते बल्कि अनाथालय में गरीब बच्चों के लिए दान कर देते हैं।

अब तक ढाई हजार बच्चों की मदद कर चुके हैं लोगनाथन
साल 2002 में लोगनाथन ने शौचालयों की सफाई का काम शुरू किया था और उस पैसे से अनाथ आश्रम में किताबें कपड़े इकट्ठा करके बांट देते थे। इसके अलावा वह हर साल दस हज़ार रुपये इकट्ठा करते थे और जिला कलेक्टर को यह पैसे सरकारी अनाथालय में मदद करने के लिए भेज देते थे। लोगनाथन की इस कोशिश से अब तक 3000 बच्चों की प्राइमरी एजुकेशन में मदद हुई है।लोगनाथन के इस सेवाभाव को देखते हुए उन्हें ज़िले और राज्य स्तर पर कई जगह सम्मानित किया गया। 

लोगनाथन खोलना चाहते हैं अपना ट्रस्ट
लोगनाथन  तमिलनाडु के गरीब बच्चों के लिए एक ‘चैरिटेबल एजुकेशनल ट्रस्ट’ बनाना चाहते हैं जिससे गरीब बच्चों की शिक्षा का भार उठाया जा सके और आर्थिक तंगी की वजह से किसी गरीब बच्चों की शिक्षा न छूटे। लोगनाथन अपने बेटे और बेटी से भी यही उम्मीद करते हैं कि उनके बाद वह इस कम को आगे बढ़ाएं और गरीब बच्चों की मदद करें।

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