क्या पाकिस्तान के परमाणु हथियार छीन लेने का वक्त करीब आ गया है?

By Anshuman Anand  |  First Published Aug 19, 2019, 3:19 PM IST

आतंकियों को समर्थन देने वाले पाकिस्तान के पास मौजूद परमाणु हथियार हमेशा से दुनिया की चिंता का कारण बने रहते हैं। पिछले दिनों कश्मीर पर भारतीय संसद के फैसले के बाद पाकिस्तान लगातार युद्ध की धमकियां दे रहा है। जिसे देखते हुए लगता है कि पाकिस्तान को परमाणु अस्त्र विहीन बना देना ही आखिरी विकल्प रह गया है। 
 

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर पर भारतीय संसद के फैसले के बाद से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। पाकिस्तान लगातार भारत को युद्ध की चेतावनी दे रहा है। हालांकि वह इस तरह की गीदड़भभकियां पहले भी कई बार दे चुका है। लेकिन इस बार भारत ने उसकी दुखती रग को छेड़ दिया है। जिसकी वजह से पाकिस्तान कुछ ज्यादा ही बिलबिलाया हुआ है। 
यही वजह है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान सहित कई वरिष्ठ नेता मंत्री और यहां तक कि उसके राष्ट्रपति भी भारत को युद्ध और जेहाद की धमकी दे चुके हैं। 

राजनाथ ने इशारों में पाकिस्तान को दी चेतावनी
पाकिस्तान से इसी दुस्साहस की वजह से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी शनिवार को इशारा देना पड़ा कि जरुरत पड़ने पर भारत अपनी परमाणु नीति में बदलाव भी कर सकता है। उन्होंने कहा  कि भारत परमाणु हथियारों के 'पहले इस्तेमाल न' करने की नीति पर अभी भी कायम है लेकिन 'भविष्य में क्या होता है यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है।'

: Defence Minister Rajnath Singh says in Pokhran, "Till today, our nuclear policy is 'No First Use'. What happens in the future depends on the circumstances." pic.twitter.com/fXKsesHA6A

— ANI (@ANI)

परमाणु हथियारों को लेकर भारत की अभी तक की नीति 'पहले इस्तेमाल न करने' की नीति, जिसे रिटैलिएटरी डॉक्ट्रिन कहते हैं। यानी अगर भारत के ऊपर हमला किया गया तो वो इसके बाद हथियार इस्तेमाल कर सकता है। 

लेकिन पाकिस्तान इतना युद्धोन्मादी होकर बयानबाजियां कर रहा था कि रक्षा मंत्री को उसे गंभीरता का एहसास कराने के लिए परमाणु नीति में बदलाव की धमकी देनी पड़ी। हालांकि इसके पहले दिवंगत पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिक्कर भी परमाणु हथियारों का इस्तेमाल न करने की नीति से सहमत नहीं थे। वह इसमें परिस्थिति के मुताबिक बदलाव चाहते थे।

वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए राजनाथ सिंह का इस सिलसिले में यह बयान मनोहर पार्रिक्कर के बयान के आगे की कड़ी है। क्योंकि शायद पार्रिक्कर ने भी इसी तरह की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए परमाणु नीति में बदलाव संबंधी अपना  बयान दिया  होगा। 

अपनी समस्याओं से ध्यान बंटाने के लिए पाकिस्तान कर सकता है दुस्साहस
पाकिस्तान के सामने फिलहाल तीन प्रमुख समस्याएं हैं जो उसे परमाणु संकट की ओर धकेल रही हैं- 
- पहला आतंकवाद
- दूसरा बर्बाद अर्थव्यवस्था 
-तीसरा जरुरत से ज्यादा परमाणु हथियार
दुनिया यह देख चुकी है कि किस तरह पाकिस्तान आतंकियों की शरणस्थली बना हुआ है। वहां की अर्थव्यवस्था बर्बादी की कगार पर पहुंच चुकी है और पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान ने अपने परमाणु जखीरे में में बेपनाह इजाफा किया है। यह तीनो बातें दक्षिण एशिया सहित पूरी दुनिया के लिए खतरे का संकेत हैं। खुद पाकिस्तान में भी समझदार लोग अपने प्रधानमंत्री इमरान खान को समझाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उनकी कोई भी सुन नहीं रहा है। 

सबसे ज्यादा खतरे में है भारत 
इस बात से भी हर कोई पूरी तरह वाकिफ है कि पाकिस्तान की सेना, उसके आतंकवादी और उसकी खुफिया एजेन्सी आईएसआई तीनों के लिए भारत दुश्मन नंबर एक है। यह तीनों किसी भी सूरत में भारत को बर्बाद करना चाहते हैं। ऐसे में  इमरान खान जैसे कमजोर प्रधानमंत्री ज्यादा  समय तक प्रतिरोध नहीं कर पाएंगे। क्योंकि वह सेना के समर्थन से ही प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंच पाए हैं। 

पूरी दुनिया को है पाकिस्तान से खतरा
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के  अगर भारत पाकिस्तान में परमाणु युद्ध हुआ तो 12 करोड़ लोग सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। 2.10 करोड़ लोग तुरंत मारे जाएंगे दुनिया की आधी से ओजोन लेयर खत्म हो जाएगी, परमाणु सर्दी की वजह से मानसून और खेती तबाह हो जाएंगे, दुनिया भर में 2 अरब लोग जलवायु परिवर्तन और विकरण की वजह से कैंसर और भुखमरी का शिकार होकर धीमी और दर्दनाक मौत मारे जाएंगे। 

पिछले दिनों पाकिस्तान ने बेतहाशा बढ़ाया है अपना परमाणु जखीरा
 सन 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पास इस समय डेढ़ सौ परमाणु हथियार है और साल 2025 तक इनकी संख्या बढ़कर 250 हो सकती है।  इस रिपोर्ट को वरिष्ठ अमेरिकी पत्रकारों जेम्स टेंशन, जूलिया डायमंड और रॉबर्ट नॉरिस ने तैयार की थी। 

इस रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के 66 फ़ीसदी परमाणु हथियार 86 बैलेस्टिक मिसाइलों पर तैनात है। पाकिस्तान के इन न्यूक्लियर मिसाइलों की रेंज में दिल्ली जयपुर अहमदाबाद मुंबई पुणे नागपुर भोपाल और लखनऊ आते हैं। पाकिस्तान का एफ- 16 एयरक्राफ्ट एक साथ 24 परमाणु बम गिराने की क्षमता रखता है। इसके अलावा पाकिस्तान का मिराज 12 परमाणु बम ढो सकता है। 

वहीं भारत के पास पाकिस्तान से कम 120-125 परमाणु हथियार हैं।  भारत में 53 फ़ीसदी परमाणु हथियार अग्नि और पृथ्वी जैसी 3000 से 5000 रेंज की मिसाइलों पर तैनात हैं। इसके अलावा 12 परमाणु हथियार पनडुब्बियों पर तैनात हैं।  भारत की अग्नि मिसाइल की रेंज में पाकिस्तान के इस्लामाबाद, लाहौर, रावलपिंडी, मुल्तान, पेशावर, कराची, क्वेटा और ग्वादर जैसे सभी बड़े और अहम शहर आते हैं। भारतीय सेना का जगुआर विमान 16 परमाणु बम गिरा सकता है, वहीं मिराज विमान पर 32 परमाणु बम भेजे जा सकते हैं। 
लेकिन पाकिस्तान की सनक कभी भी भारत सहित पूरी दुनिया को भारी पड़ सकती है। 

भारत के पास है अपना मिसाइल डिफेन्स सिस्टम
पाकिस्तान की बैलेस्टिक मिसाइलों के बचाव के लिए भारत ने बहु स्तरीय बैलेस्टिक मिसाइल डिफेंस प्रणाली विकसित की है।  इसके तहत दो प्रकार की प्रणाली विकसित की गई है। अधिक ऊंचाई की मिसाइलों को गिराने के लिए पृथ्वी एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम और कम दूरी के लिए कम दूरी की मिसाइलों को गिराने के लिए एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम को विकसित किया गया है। 

 यह दोनों सिस्टम 5000 किलोमीटर की दूर से आ रही मिसाइलों को भी मार के गिरा सकते हैं।  डीआरडीओ के मुताबिक भारत के मिसाइल डिफेंस सिस्टम की एक्यूरेसी रेश्यो 99.8% यानी 100% से मात्र 0.2 पर्सेंट ही कम है। यह काफी हद तक अमेरिका की राष्ट्रीय मिसाइल रक्षा प्रणाली की तरह है। नई दिल्ली और मुंबई को बैलेस्टिक मिसाइल रक्षा ढाल से सुरक्षित किया गया है। 

इसके अलावा भारत ने मिसाइल हमले के बढ़ते खतरे को देखते हुए इजरायल से प्रारंभिक चेतावनी और नियंत्रण के लिए रडार हासिल किए हैं। साथ ही भारत ने इजरायल की मदद से नौसैनिक एंटी मिसाइल  प्रणाली बराक 8 को भी विकसित किया है। जो समुद्र में किसी भी तरीके के मिसाइल हमले की स्थिति में भारत को एक रक्षा कवच देता है। 

इसके अलावा भारत ने रुस से एस-400 एयर मिसाइल डिफेन्स प्रणाली का भी सौदा किया है। 

फिर भी पाकिस्तान के हाथ में नहीं रहने चाहिए परमाणु हथियार
भले ही भारत ने अपनी सुरक्षा के लिए खुद को मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली से लैस कर रखा है। लेकिन भारत जैसे विशाल देश को पूरी तरह दुश्मन की मिसाइलों से सुरक्षा देना संभव नहीं है। इसलिए जरुरी है कि पाकिस्तान के हाथ में परमाणु हथियार रहें ही नहीं। 

क्योंकि पाकिस्तान का एटमी कार्यक्रम तो सारी दुनिया के लिए सिरदर्द का कारण है जैसे बंदर के हाथों में उस्तरा। ऐसा केवल हम ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया मानती है। 

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने पाकिस्तान के एटमी हथियारों के जिहादियों के हाथों में जाने की आशंका जताई थी। क्लिंटन ने कहा था कि यह ‘एक खतरनाक स्थिति’ होगी। 

द न्यूयार्क टाइम्स ने डेमोक्रेटिक पार्टी के कंप्यूटरों से हैक हुए 50 मिनट के एक ऑडियो क्लिप का हवाला दिया था। इसमें बताया गया है कि पूर्व विदेश मंत्री ने कहा था, ‘पाकिस्तान भारत के साथ जारी अपने तनाव के मद्देनजर टैक्टिकल एटमी हथियार बनाने में तेजी से काम कर रहा है। लेकिन हमें आशंका है कि वहां एक तख्तापलट हो सकता है और जिहादी सरकार पर कब्जा जमा सकते हैं, वे एटमी हथियार हासिल कर सकते हैं और आपको फिदायीन एटमी हमलावरों से जूझना पड़ेगा।’

 राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी चुनावी बहस में कहा कि अगर पाकिस्तान अस्थिर हो जाता है तो अमेरिका को उसके एटम बम छीन लेने चाहिए। ट्रंप ने कहा कि भारत को भी ऐसी योजना में शामिल करना चाहिए। ट्रंप के अलावा भी कई अमेरिकी नेता इस तरह की आशंका जता चुके हैं। 

दरअसल पाकिस्तान में ज्यादा बड़ा खतरा उसके एटमी हथियार आतंकवादियो के हाथ पढ़ने का है। दरअसल पाकिस्तान ने बहुत शौक से एटमी हथियार तो बना लिए मगर उनकी सुरक्षा करना उसके बस की बात नहीं है। इस कारण पाकिस्तानी एटमी हथियार उसके और सारी दुनिया के लिए सिरदर्द बन गए है।  कुछ तो उसे एटमी टाइम बम कहते हैं जो अभी भले टिक-टिक कर रहा हो, मगर कभी भी फट कर इस दुनिया को एटमी विभीषिका की आग में झोंक सकता है। 

आतंकी गुट पाकिस्तानी फौज के उन ठिकानों को निशाना बनाने में कामयाब हो चुके हैं, जो परमाणु बेस कहे जाते हैं। अगस्त 2012 में  पाकिस्तानी पंजाब के कमरा में मिनहास एयरबेस पर आतंकियों ने हमला कर कई विमानों को नुकसान पहुंचाया था। मिनहास एयरबेस को पाकिस्तान का प्रमुख एटमी ठिकाना माना जाता है।

मई 2011 में कराची में नेवल एयर बेस पीएनएस मेहरान पर हमला हुआ, जहां से एटमी बेस महज 15 किलोमीटर दूर था। अक्टूबर 2009 में आतंकी रावलपंडी में सेना के हेडक्वार्टर पर भी आतंकी हमला कर चुके हैं। 18 सितंबर 2015 को आतंकी पेशावर के एयरफोर्स बेस पर भी हमला कर चुके हैं।

पाकिस्तान में जिस तरह की राजनीतिक अस्थिरता, प्रतिद्वंद्विता और भ्रम की स्थिति है उसमें इस्लामी आतंकवादी और उग्रवादी ताकतें मौके का फायदा उठा कर सत्ता पर काबिज होने में कामयाब हो सकती है। ऐसे में एटमी हथियारों से लैस पाकिस्तान पूरी दुनिया की शांति और अस्थिरता के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है। 

पाकिस्तान के परमाणु बम छीन लेना आखिरी विकल्प
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चुनाव के दौरान ही कह चुके हैं कि अगर पाकिस्तान राजनीतिक रुप से अस्थिर हो जाता है तो अमेरिका को उसके परमाणु हथियार छीन लेने चाहिए। इस योजना को अमेरिकी मीडिया में ‘स्नैच एंड ग्रैब’योजना के नाम से चर्चा होती है। 

जासूसी दुनिया के इतिहासकार टी. रिचल्सन ने अपनी किताब ‘डिफ्यूजिंग आर्मागडन’ में जिक्र किया है कि अमेरिका के पास न्यूक्लियर एमरजेंसी सर्च टीम है, जो ज्वाइंट स्पेशल ऑपरेशन कमांड यानी साथ एटमी जखीरे पर कब्जे का साझा ऑपरेशन कर सकते हैं। ऐसे ऑपरेशन की दो तरह की रणनीति संभव है। एक  एटमी हथियारों को नष्ट करने की है। दूसरी, एटमी हथियारों  पर कब्जा करने की है। दरअसल, एटमी हथियारों को नाकाम करने के लिए जरूरी नहीं है कि भारी-भरकम हथियार को तबाह किया जाए, एटमी हथियार के ट्रिगर या उसकी चिप को नाकाम कर या उसे कब्जे में ले कर भी उसे बेकार किया जा सकता है। 

इजरायल भी पाकिस्तान से परमाणु हथियार छीन लेने के पक्ष में रहता है। 

लेकिन ऐसा करने के लिए पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों पर एक साथ कमांडो कार्रवाई करने की जरुरत पड़ेगी और ऐसा बिना भारत के सक्रिय सहयोग के संभव नहीं है। किंतु यदि भारत को चैन की सांस लेनी है तो आतंकी पाकिस्तान के हाथ से परमाणु हथियार छीनने की योजना पर उसे काम करना ही होगा। 

लेकिन इसके लिए सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और ऐटबाबाद में लादेन को मार गिराने जैसी त्वरित और सटीक रणनीति की जरुरत पड़ेगी। 


 

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