हनीट्रैप में एक दर्जन ब्यूरोक्रेट्स, पूर्व राज्यपाल और मौजूदा मंत्री हुए हैं शिकार!

By Team MyNation  |  First Published Sep 20, 2019, 8:01 AM IST

मध्य प्रदेश में बुधवार को हाई प्रोफाइल हनी ट्रैप गिरोह का पर्दाफाश हुआ था। इस गिरोह ने कई रसूखदार लोगों को अपने जाल में फंसाया और उसके बाद ब्लैकमेल किया। इसके ऐवज में इन लोगों ने अफसरों और नेताओं से मोटी रकम वसूली और सरकारी काम लिए। अब जो जानकारी बाहर निकलकर आ रही है।  उसके मुताबिक इन लोगों ने अपने जाल में छह बड़े राजनेता, चार आईपीएस, 5 आईएएस अफसरों के साथ ही कई और बड़े नेताओं को फंसाया था। 

भोपाल। मध्य प्रदेश में हनीट्रैप कांड के खुलासे के बाद कई बड़े लोगों की सांस अटक गई है। क्योंकि ये ताकतवर लोग हनीट्रैप के शिकार हुए हैं। लिहाजा अब इन लोगों को अपना नाम सामने आने का खतरा है। जानकारी के मुताबिक इन गिरोहह ने करीब एक दर्जन ब्यूरोक्रेट्स और आधा दर्जन बड़े नेताओं को हनीट्रैप में फंसाया और मोटी रकम वसूली। फिलहाल इसमें एक मौजूदा मंत्री का नाम शामिल होने की चर्चा है।

मध्य प्रदेश में बुधवार को हाई प्रोफाइल हनी ट्रैप गिरोह का पर्दाफाश हुआ था। इस गिरोह ने कई रसूखदार लोगों को अपने जाल में फंसाया और उसके बाद ब्लैकमेल किया। इसके ऐवज में इन लोगों ने अफसरों और नेताओं से मोटी रकम वसूली और सरकारी काम लिए। अब जो जानकारी बाहर निकलकर आ रही है।  उसके मुताबिक इन लोगों ने अपने जाल में छह बड़े राजनेता, चार आईपीएस, 5 आईएएस अफसरों के साथ ही कई और बड़े नेताओं को फंसाया था। यह गिरोह आईएएस और आईपीएस अफसरों को हनी ट्रैप कर उन्हें ब्लैकमेल करता था।

अब इन नेताओं और अफसरों की सांसें अटकी हुई हैं। अब इन्हें डर लग रहा है कि अगर इनका नाम सामने आ गया तो समाज  में इनकी बेइज्जती होगी। गौरतलब है कि राजधानी भोपाल में एक बड़े हनी ट्रैप गिरोह का मामला सामने आया है। इसे एक कांग्रेस का नेता और उसकी पत्नी संचालित  कर रहे थे। पुलिस ने इस मामले में 3 महिला सहित 1 आदमी को गिरफ्तार किया है। इंदौर पुलिस की चार सदस्यीय टीम भोपाल के गोविंदपुरा थाना से तीनों महिलाओं को अपने साथ लेकर गई है।

जानकारी के मुताबिक इस जाल में एक पूर्व राज्यपाल, पूर्व मुख्यमंत्री, एक मौजूदा मंत्री, दो पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद, दो बड़े नेता, एक डीजी स्तर का आईपीएस अफसर, एक एडीजी और पांच आईएस अफसर के फंसने की जानकारी सामने आ रही है। ये लोग एनजीओ के नाम पर अधिकारियों-कर्मचारियों को निशाना बनाते थे और इसके जरिए बड़े अफसरों और राजनेता से रिश्ता जोड़ते थे और फिर हनी ट्रैप का शिकार बनाते थे। 

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