Nitish Kumar Latest News: लोकसभा चुनाव से बिहार की राजनीति में गर्मी बढ़ गई है। सूत्रों की हवाले से खबर आ रही है की 28 जनवरी को नीतीश कुमार बीजेपी समर्थित सरकार से मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव के लिए एक साथ आए विपक्ष के भविष्य पर सवालियां निशान खड़े हो गए हैं।
Bihar Crisis: कड़कड़ाती सर्दी के बीच बिहार की राजनीति में सियासी उठापटक जारी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर पाला बदलने की तैयारी कर ली है। सूत्रों के अनुसार वह 28 जनवरी को सीएम पद से इस्तीफा देकर NDA गठबंधन वाली सरकार से दोबारा मुख्यमंत्री बनेंगे। इसके लिए बाकयदा बीजेपी और नीतीश कुमार के बीच पक्की डील भी तय मानी जा रही है। कहा तो ये भी जा रहा है, एक तरफ बीजेपी नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने पर राजी है तो दूसरी तरफ बीजेपी से सुशील मोदी को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है। बहरहाल ये कोई पहली बार नहीं है, जब नीतीश कुमार का अपने घटक दल के साथ मोहभंग हुआ है। वह पांच दशक पहले भी सत्ता में बने रहने के लिए पलटी मार चुके हैं।
10 सालों में 5 बार पलटे नीतीश कुमार
बिहार की राजनीति नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द घूमती है। 10 सालों में वह 5वीं बार घटक दल से पलटी मार चुके हैं। नीतीश कुमार ने 1974 में छात्र राजनीति से पॉलिटिक्स में कदम रखा। 1985 में वह पहली बार विधायक चुने गए। जिसके बाद उन्होंने सफलता की परचम लहराए। 1990 में बिहार में लालू प्रसाद यादव का बोलबाला था पर 1994 में नीतीश कुमार ने लालू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। दोनों नेताओं की राजनीतिक महत्वकांक्षाएं थी जिसके बाद दोनों की राहें अलग हो गईं।
नीतीश कुमार-BJP का 17 सालों का साथ
नीतीश कुमार और बीजेपी का साथ अभी का नहीं बल्कि एक दशक से ज्यादा पुराना है। जब 1994 में नीतीश कुमार ने जनता दल छोड़ा तो उन्होंने जॉर्ज फर्नांडीस संग समता पार्टी का गठन किया। 1995 के चुनावों में नीतीश वामदलों के साथ चुनावी मैदान में आए लेकिन नतीजे उनके पक्ष में नहीं थे। इसके बाद नीतीश वामदलों से गठबंधन तोड़ते हुए 1996 में NDA का दामन थामा और ये साथ 2013 तक चला और नीतीश बिहार की सत्ता पर काबिज रहे।
2014 में नीतीश और NDA के बीच दूरियां
17 सालों तक एनडीए और नीतीश कुमार का गठबंधन चला लेकिन इस दोस्ती पर ग्रहण 2014 में लगा। जब बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को पीएम उम्मीदवार घोषित किया। नीतीश कुमार को ये बात पसंद नहीं आई और वह बीजेपी का दामन छोड़ अकेले लोकसभा चुनावों के मैदान में उतरे लेकिन 2014 के चुनावों में बीजेपी को प्रचंड बहुमत हासिल हुआ और हालातों को देखते हुए JDU ने RJD और कांग्रेस से हाथ मिला लिया।
2020 में नीतीश कुमार ने मारी पलटी
2015 में बिहार विधानसभा चुनाव में JDU,RJD और कांग्रेस एक साथ मैदान में आई और बीजेपी को बाहर का रास्ता दिखाया। तीनों दलों ने गठबंधन की सरकार बनाई। नीतीश कुमार फिर मुख्यमंत्री बनें लेकिन 2017 में नीतीश कुमार और महागठबंधन के बीच दूरियां आ गईं और नीतीश कुमार ने पलटी मारते हुए फिर से बीजेपी से हाथ मिला लिया। अब 2017 में वह NDA समर्थन वाली सरकार के सीएम बनें। हालांकि ये NDA और नीतीश कुमार की सरकार 2022 तक चली। 2020 में हुए बिहार के विधानसभा चुनाव में BJP और नीतीश एक साथ थे। इस चुनाव में बीजेपी को बढ़त मिली जबकि जेडीयू को कई सीटों का नुकसान हुआ। चुनाव में बीजेपी ने 74 सीटें तो जेडीयू 43 सीटें जीत पाईं। हालांकि इसके बाद भी नीतीश कुमार बिहार के सीएम बनें।
2022 में नीतीश कुमार ने दिया BJP को झटका
बिहार में ज्यादा सीटें जीतने के बाद भी बीजेपी ने नीतीश कुमार को भले मुख्यमंत्री बना दिया हो लेकिन वह आलाकमान का दबाव बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे। यहीं कारण रहा 2022 में उन्होंने बीजेपी को झटका देते हुए RJD और कांग्रेस से हाथ मिला लिया। 2022 में नीतीश कुमार फिर सीएम बने। इस बार डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव बने लेकिन ढेड़ साल बाद फिर नीतीश कुमार का गठबंधन से मोहभंग हो गया है और वह बीजेपी के साथ सरकार बनाने के तैयारी में है। सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार विधानसभा भंग कर 28 जनवरी को बीजेपी समर्थित सरकार से सीएम बनेंगे। इस बार बीजेपी से दो डिप्टी सीएम होंगे। पहला नाम सुशील मोदी का लिया जा रहा है। फिलहाल बिहार की सियासी हलचल तेज है। लोकसभा चुनाव से नीतीश कुमार का पाला बदलना विपक्ष की राजनीति को प्रभावित करेगा।
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