लोकसभा चुनाव में मिली बड़ी जीत के बाद बसपा का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है। लोकसभा चुनाव जीतने के साथ ही बसपा ने सपा के साथ अपनी चुनावी गठजोड़ तोड़ दिया था और अकेले ही विधानसभा के उपचुनाव लड़ने का फैसला किया था। फिलहाल बसपा विधानसभा उपचुनाव में अपने विश्वासपात्र नेताओं के सहारे मैदान मारने की जुगत में जुट गई है।
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी ने उपचुनाव की तैयारियां काफी पहले से ही शुरू कर दी हैं। फिलहाल बसपा अपने विश्वासपात्रों में ही दांव खेलना चाहती है। लिहाजा इन उपचुनावों के लिए उनसे प्रभारी घोषित किए हैं। बसपा में आमतौर पर प्रभारियों को ही प्रत्याशी बनाया जाता है। हालांकि अभी तक भाजपा और सपा ने अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान नहीं किया है।
लोकसभा चुनाव में मिली बड़ी जीत के बाद बसपा का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है। लोकसभा चुनाव जीतने के साथ ही बसपा ने सपा के साथ अपनी चुनावी गठजोड़ तोड़ दिया था और अकेले ही विधानसभा के उपचुनाव लड़ने का फैसला किया था। फिलहाल बसपा विधानसभा उपचुनाव में अपने विश्वासपात्र नेताओं के सहारे मैदान मारने की जुगत में जुट गई है। बसपा सुप्रीमो मायावती के निर्देश के बाद उपचुनाव के लिए विधानसभा प्रभारियों की घोषणा कर दी गई है।
बसपा सुप्रीमों ने ज्यादातर प्रभारी पार्टी के करीबी और विश्वासपात्र लोगों को ही बनाया गया है। इन प्रभारियों से चुनाव की तैयारियों को करने को कह दिया गया है। बसपा ने विधानसभा उप चुनाव के लिए बिसातें बिछानी शुरू कर दी है। बसपा ने विधानसभा उपचुनाव के हमीरपुर से नौशाद अली, जैदपुर बाराबंकी से अखिलेश अंबेडकर, मानिकपुर चित्रकूट से राज नारायण निराला, प्रतापगढ़ से पिछले लोकसभा सीट के प्रत्याशी रहे अशोक तिवारी, टुंडला से पूर्व एमएलसी सुनील कुमार चित्तौड़ और घोसी से कय्यूम अंसारी को विधानसभा प्रभारी नियुक्त किया है।
हालांकि पहले बसपा उप चुनाव नहीं लड़ती थी लेकिन लोकसभा चुनाव में मिली जीत के बाद पार्टी राज्य विधानसभा में भी अपने सदस्यों की संख्या बढ़ाना चाहती है। बसपा के चुनावी मैदान में उतरने से सपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। क्योंकि मुस्लिम वोट बसपा की तरफ जाने की उम्मीद की जाज रही है और इससे भाजपा को ही फायदा होगा। हालांकि पहले सपा ये उम्मीद कर रही है थी बसपा का वोट बैंक उसकी तरफ आएगा। लेकिन मायावती ने अखिलेश यादव की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।