दिल्ली पुलिस के मुताबिक, जांच स्पेशल कमिश्नर को सौंपी गई है। तथ्यों का पता लगाने के बाद ही घटना के वास्तविक कारण सामने आ सकेंगे।
सोशल मीडिया पर आलोचनाओं का सामना करने के बाद दिल्ली पुलिस ने विवादास्पद डीसीपी मधुर वर्मा के एक ट्रैफिक इंस्पेक्टर के साथ मारपीट करने के मामले में विजिलेंस जांच के आदेश दे दिए हैं। जांच दल की अगुवाई स्पेशल कमिश्नर को सौंपी गई है। आरोप है कि मधुर वर्मा की कार रोकने को लेकर हुए विवाद के बाद ड्यूटी पर तैनात ट्रैफिक इंस्पेक्टर करमवीर के साथ तुगलक थाने में मारपीट की गई।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, तथ्यों का पता लगाने के लिए जांच शुरू की गई। इससे घटना के वास्तविक कारण सामने आ सकेंगे। इस मामले में दोनों पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। नई दिल्ली रेंज में तैनात ट्रैफिक इंस्पेक्टर करमवीर के मुताबिक, 10-11 मार्च की रात तुगलक थाना क्षेत्र में मधुर वर्मा का ड्राइवर गलत दिशा में पंजाब नंबर की एसयूवी चला रहा था। इसके चलते भारी जाम लग गया। करमवीर का आरोप है कि जब उसे रोका गया तो उसने धमकी दी। साथ ही कहा कि यह गाड़ी डीसीपी मधुर वर्मा की है। बाद में डीसीसी वर्मा ने देर रात 11 बजे उसे तुगलक रोड पुलिस स्टेशन बुलाया। करमवीर के मुताबिक, रात 11.35 बजे थाने में मधुर वर्मा ने उसे भद्दी गालियां दीं। विरोध करने पर थप्पड़ भी मारे।
वहीं दूसरी तरफ डीसीपी वर्मा ने सभी आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि करमवीर के खिलाफ दो लोगों के साथ बुरा व्यवहार करने के लिए विभागीय कार्रवाई शुरू की जा चुकी है। वह खुद को बचाने की कोशिश कर रहा है। उसने शिकायत इसलिए दर्ज कराई है ताकि उसके खिलाफ कोई कार्रवाई न हो।
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ऐसा पहली बार नहीं है जब डीसीपी वर्मा पर इस तरह के गंभीर आरोप लगे हैं। करियर के शुरुआती दिनों में जब वह चंडीगढ़ पुलिस में असिस्टेंट एसपी थे तो एक बिजनेसमैन ने उन पर दफ्तर के अंदर मारपीट करने का आरोप लगाया था। हालांकि बाद में जांच के बाद वर्मा को क्लीनचिट मिल गई थी। इस मामले में हाईकोर्ट ने भी मधुर वर्मा को नोटिस जारी किया था।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने चार मार्च 2009 को सुधा पांडे की याचिका पर एएसपी (सेंट्रल) मधुर वर्मा को नोटिस जारी किया था। इस याचिका में मधुर वर्मा के मामले की जांच सीबीआई से कराने और अरविंद पांडे से मारपीट के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी। अरविंद पांडे एक व्यापारी थे और उन्होंने सब इंस्पेक्टर संजीव शर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज कराई थी। पीड़ित के वकील ने तत्कालीन जस्टिस रंजन गुप्ता के समक्ष आरोप लगाया था कि अरविंद पांडे 26 दिसंबर, 2008 को मधुर वर्मा के ऑफिस में शिकायत लेकर पहुंचे थे, वहां वर्मा ने न सिर्फ उन्हें गालियां दी बल्कि उनके सुरक्षाकर्मियों ने मारपीट की।
2009 में एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि मधुर वर्मा ने उन्हें धमकी देते हुए कहा था कि तुम्हारी इस ऑफिस में वॉयस सीडी बनाने की हिम्मत कैसे हुई। बाद में इस मामले की विभागीय जांच हुई थी। इसमें वर्मा को क्लीनचिट दे दी गई।