नौकरीपेशा हैं या तलाश रहे रोजगार, आपको राहत देगी ये खबर

मानव संसाधन सेवा प्रदान करने वाली रैंडस्टैड इंडिया के प्रमुख पॉल ड्यूपुइस ने कहा कि सूचना-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नियुक्तियों में उत्साह का माहौल रहेगा। अन्य विशेषज्ञों का भी अनुमान लाखों नए रोजगार पैदा होंगे।

Good news for Employment front and salary hikes, 2019 is promising

तकनीक में बदलाव के चलते 2018 में कई पारंपरिक नौकरियों की जगह नई नौकरियों ने ले ली। इसके साथ ही वेतन में करीब 8-10 फीसदी की वृद्धि हुई। हालांकि 2019 को लेकर विशेषज्ञ बड़ी उम्मीदें बंधा रहे हैं। जानकारों एवं नियोक्ताओं को लगता है कि वर्ष 2019 में रोजगार के करीब 10 लाख नए अवसर पैदा होंगे। सामान्य क्षेत्रों में वेतनवृद्धि पिछले साल की तरह ही 8-10 प्रतिशत ही होगी लेकिन कुछ खास क्षेत्र के लोगों की वेतन में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि देश में रोजगार को लेकर पर्याप्त और विश्वसनीय आंकड़ों के अभाव के कारण भी स्थिति ज्यादा बदतर हुई है। साल 2016 के नवंबर में नोटबंदी और एक जुलाई, 2017 को जीएसटी लागू किए जाने के बाद 2018 में भारत में रोजगार का बाजार फिर से पटरी पर लौटता दिखा है। 

मानव संसाधन सेवा प्रदान करने वाली रैंडस्टैड इंडिया के प्रमुख पॉल ड्यूपुइस ने कहा कि सूचना-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नियुक्तियों में उत्साह का माहौल रहेगा। ऐसा नए युग के तकनीकी क्षेत्र में कुशल और प्रतिभाशाली लोगों की उपलब्धता और ई-वाणिज्य क्षेत्र में बड़े निवेश के जरिये होगा।

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साल 2018 में बुनियादी ढांचा क्षेत्र, विनिर्माण, खुदरा और एफएमसीजी क्षेत्र में स्थिति बेहतर हुई है। हालांकि बैंकिंग, वित्तीय सेवा और दूरसंचार क्षेत्र में नौकरियों की स्थिति बदतर रही। 

अगले साल होने वाले आम चुनाव के मद्देनजर संभावना जताई जा रही है कि राजनीतिक अनिश्चितता को देखते हुए नियोक्ता 2019 की पहली छमाही में सतर्क रुख अख्तियार कर सकते हैं। रोजगार सृजन हाल के समय में बहस का बड़ा मुद्दा रहा है क्योंकि तेज व्यापक आर्थिक वृद्धि के बावजूद रोजगार सृजन की गति उम्मीद के अनुरूप नहीं रही है। दूसरी ओर एक आकलन के मुताबिक हर साल 1.2 करोड़ लोग रोजगार बाजार में प्रवेश कर रहे है।

सोसायटी फॉर ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट (एसएचआरएम) के परामर्श विभाग के प्रमुख निशिथ उपाध्याय के मुताबिक, यह विडंबना है कि आम चुनाव के दौरान रोजगार सृजन एक बड़ा मुद्दा रहने वाला है, इसके बावजूद संगठन 2019 में अपनी कारोबारी योजना को लागू करने को लेकर सतर्कता का रुख अपना सकते है। इससे कम-से-कम साल की पहली तिमाही में रोजगार सृजन प्रभावित होगा।

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