2022 में 16 मिनट में तीन लोगों को अंतरिक्ष में भेज सकेगा भारत

By dhananjay Rai  |  First Published Aug 28, 2018, 8:04 PM IST

इस मिशन को अंतरिक्ष में भेजने से पहले इसका मानवरहित टेस्ट किए जाएंगे। सिहला मानव रहित फ्लाइट टेस्ट आज से 30 महीने और दूसरा टेस्ट 36 महीने बाद किया जएगा। उसके बाद तकरीबन 40 महीने बाद भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 2022 तक श्रीहरिकोटा के अपने स्पेस सेंटर से 3 भारतीयों को अंतरिक्ष के कक्ष में भेजेगा। इसको लेकर सरकार और इसरो तेजी से अपने मिशन में जुटे हैं। मंगलवार को के. सिवन ने राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, उसमें उन्होंने मिशन पर खुलकर बातचीत की। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के. सिवन ने बताया कि, 2022 में भारत सिर्फ 16 मिनट में तीनों भारतीयों को श्रीहरिकोटा से स्पेस में पहुंचा देगा। उन्होंने बताया कि तीनों स्पेस के 'लो अर्थ ऑर्बिट' में 6 से 7 दिन बिताएंगे। 

उन्होंने ने बताया कि इसरो 2022 तक स्पेस को अंतरिक्ष में भेजने की पूरी कोशिश में लगा हुआ है। इसको लेकर प्रधानमंत्री इसी महिने 15 अगस्त को इसरो को इस मिशन को पूरा करने के लिए टारगेट दिया था।  सिवन ने बताया कि, एक क्रू मॉड्यूल तीन भारतीयों को लेकर जाएगा, जिसे सर्विस मॉड्यूल के साथ जोड़ा जाएगा।

यह भी पढ़ें - उत्तराखंड के सुदूर गांवों के बच्चों ने की इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में अंतरिक्षयात्री से बात

दोनों को रॉकेट की मदद से श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। फिर वह सिर्फ 16 मिनट में बर्थ ऑर्बिट पहुंच जाएगा। मॉड्यूल में मौजूद क्रू कम से कम 6 से 7 दिन स्पेस में ही रहेगी। उस वक्त में उनपर कुछ माइक्रो ग्रेविटी और सायंटिफिक एक्सपेरिपेंट किए जाएंगे। इसके बाद इसे पृथ्वी पर वापस लाने के लिए ऑर्बिट मॉड्यूल खुद अपनी दिशा में परिवर्तन कर लेगा।

सिवन ने बताया कि 'डू बूस्ट प्रोसेस' से क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल अलग किए जाएंगे। फिर जब क्रू मॉड्यूल तीनों भारतीयों को लेकर धरती की तरफ वापस आ रहा होगा तो उसका ब्रेकिंग सिस्टम ऐक्टिव हो जाएगा। क्रू मॉड्यूल को अरब सागर में गुजरात कोस्ट के पास उतारने की प्लानिंग है। लेकिन अगर कभी इसके अंदर कोई तकनीकी समस्या आती है तो उसे बंगाल की खाड़ी में उतारा जाएगा। सिवन ने बताया कि सिर्फ 20 मिनट के अंदर तीनों भारतीयों को बाहर निकाल लिया जाएगा। 

इस मिशन को अंतरिक्ष में भेजने से पहले इसका मानवरहित टेस्ट किए जाएंगे। सिहला मानव रहित फ्लाइट टेस्ट आज से 30 महीने और दूसरा टेस्ट 36 महीने बाद किया जएगा। उसके बाद तकरीबन 40 महीने बाद भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।  यात्रियों के स्पेससूट तैयार हो चुके हैं। उन्हें बेंगलुरु में ट्रेनिंग दी जाएगी और उन्हे ट्रेनिंग के लिए विदेश भी भेजा जाएगा। इस मिशन के लिए भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा से भी सुझाव लिया जा रहा है। 

इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए इसरो ने कई अहम प्रौद्योगिकी विकसित की है। वैज्ञानिकों ने बताया कि स्पेस कैप्सुल रिकवरी एक्सपेरिमेंट 2007 में किया गया था जबकि क्रू मॉड्यूल एटमॉस्फेरिक री-एंट्री एक्सपेरिमेंट 2014 और पैड एबॉर्ट टेस्ट 2018 में किया गया था।  
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि मिशन के लिए 10 हजार करोड़ से कुछ कम रकम दी जाएगी।

उन्होंने बताया कि यह बजट बाकी देशों द्वारा मानव मिशन पर खर्च किए गए बजट से काफी कम है। यह बजट इसरो को दिए जानेवाले सालाना 6 हजार करोड़ रुपये के बजट से अलग होगा।

click me!