माय नेशन एक्सक्लूसिव: भ्रष्टाचार के विरोध पर केरल के सीएम ने आला पुलिस अफसर को एक नहीं दो बार निलंबित किया, घर से निकलना भी किया बंद

By Siddhartha RaiFirst Published Jul 28, 2018, 9:03 PM IST
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केरल के सीनियर पुलिस अधिकारी ने राज्य में वामपंथी की कलई खोलते हुए कहा है कि उन्हें राज्य और सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने की सजा दी गई है। उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ बोला और किताबें लिखी तो उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। पूरे मामले का खुलासा पीड़ित अधिकारी थॉमस, माय नेशन संवाददाताओं सिद्धार्थ राय और मनीष मासूम से बातचीत में करते हैं।

केरल में पिनाराई विजयन की अगुवाई वाली वामपंथी सरकार सत्ता में है। वामपंथियों की कथनी और करनी में कितना बड़ा अंतर है, सीनियर पुलिस अधिकारी जैकब थॉमस बता रहे हैं।
माय नेशन से बातचीत में थॉमस बताते हैं कि पिछले साल 9 दिसंबर को उन्हे सिर्फ इसलिए सेवा से निलंबित कर दिया गया क्योंकि उन्होंने इंटरनेशनल एंटी करप्शन डे के दिन भ्रष्टाचार के खिलाफ बोला था। बात यहीं खत्म नहीं होती निलंबन तीन महीने तक ही प्रभावी होती है लेकिन उनके निलंबन को बढ़ाया गया। कारण जान आप चौंक जाएंगे। मार्च 2018 में उनके निलंबन को किताबें लिखने के आरोप में बढ़ा दिया गया। जिनमें एक किताब उनकी आत्मकथा है। थॉमस इन बातों को गिनाते हुए भावुक हो उठते हैं।

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थॉमस के साथ किसी कैदी की तरह बर्ताव किया जा रहा है। वो नजरबंदी जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं। वो स्वतंत्र रूप से यात्रा भी नहीं कर सकते। आलम ये है कि वो अपनी बेटी से मिलने नहीं जा सकते जो मस्कट में रहती है।
दिल्ली के क्नॉट प्लेस के होटल में बैठे थॉमस माय नेशन संवाददाताओं को बताते हैं कि उनका सस्पेंशन अचानक से दिसंबर 2017 में नहीं हुआ बल्कि इसकी पटकथा बहुत पहले से लिखी जा रही थी। बात तब की है जब राज्य में विजिलेंस और एंटी करप्शन ब्यूरो में डायरक्टर के तौर पर तैनात थे। तब मंत्री ईपी जयराजन के खिलाफ भाजपा ने ब्यूरो में शिकायत दी, भ्रष्टाचार के मामले में फंसे जयराजन के खिलाफ थॉमस ने जांच की और उनको पद से हाथ धोना पड़ा। थॉमस बताते हैं कि विजयन सरकार के एक और कद्दावर मंत्री के खिलाफ जांच उनके हाथ में थी।
माय नेशन से बातचीत में थॉमस कहते हैं कि मुख्यमंत्री ने उन्हें अपने घर बुलाया और कहा कि आप छुट्टी पर जाइए।


19 दिसंबर 2017 को मिले निलंबन पत्र के हवाले से थॉमस बताते हैं कि उन पर सरकार के खिलाफ बोलने का आरोप लगाया गया जबकि ऐसा कुछ नहीं था, वो सिर्फ भ्रष्टाचार के खिलाफ बोल रहे थे। थॉमस का सीधा आरोप है कि राज्य सरकार गरीबों के लिए नहीं बल्कि भ्रष्टाचारियों और भ्रष्ट संस्थानों के लिए काम कर रही है।
थॉमस पर दूसरा आरोप है, जिसके कारण उनके निलंबन को बढ़ाया गया, कि उन्होंने अपनी मातृभाषा में दो किताबें लिखीं।
“एक किताब मेरी आत्मकथा है, जिसका राजनीति से कोई लेनादेना नहीं है फिर भी सरकार बिफरी” थॉमस की ये बातें विजयन सरकार की तानाशाही की ओर इशारा कर रही हैं। जबकि ऑल इंडिया सर्विस रूल में कहीं इस बात की पाबंदी नहीं है कि आप कोई किताब नहीं लिख सकते हैं।


इसी सार अप्रील में थॉमस के विदेश जाने पर रोक लगा दी गई। वो अपनी बेटी से मिलने मस्कट नहीं जा सकते। थॉमस के इस निवेदन पर कि उन्हें अमेरिका, इंग्लैंड और स्विट्जरलैंड अपने रिश्तेदारों से मिलने जाने दिया जाय, केरल के चीफ सेक्रटरी का ये जवाब था कि इन यात्राओं के लिए आपको संबंधित अथॉरिटी से पहले परमीशन लेना होगा, थॉमस बताते हैं।
थॉमस के मुताबिक सेक्रटरी की तरफ से ये जवाब आया कि “ आपके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई चल रही है, इस कारण आपको विदेश दौरों को लेकर ऐसी बाध्यात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा”।


भावुक थॉमस कहते हैं कि “ऐसा लगता है कि मैं जेल में हूं। मुझे करप्शन के खिलाफ लड़ने की सज़ा दी जा रही है। ना तो मैं अपनी बात रख सकता हूं, ना हीं कहीं जा सकता हूं ना हीं आज़ाद नागरिक के तौर पर अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर सकता हूं”।

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