लीक दस्तावेज से खुलासा हुआ है कि यूपीए चेयरपर्सन और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष ने यह सुनिश्चित करने का पूरा प्रयास किया कि सुप्रीम कोर्ट के आईएमडीटी अधिनियम को असंवैधानिक ठहरा दिए जाने के बाद विदेशी अधिनियम लागू न हो सके
ऐसे समय जब अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का अंतिम मसौदा तैयार होने के बाद असम से बाहर होने के कगार पर आ गए हैं, एक विकीलीक्स रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 2006 में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 'मुसलमानों से खुल्लमखुल्ला कहा था कि वह अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को देश से बाहर निकाले जाने से रोकने के लिए विदेशी अधिनियम में बदलाव करेंगी।'
16 फरवरी 2006 के इस विकीलीक्स केबल को कोलकाता में अमेरिकी कौंसुलेट के एक अधिकारी ने तैयार किया था। इसमें कहा गया कि 2006 में असम में चुनाव प्रचार के दौरान सोनिया गांधी इस संदिग्ध कृत्य में शामिल थीं। राज्य में उनकी पार्टी ने वोटों के लिहाज से अहम मुस्लिम आबादी का समर्थन काफी हद तक गंवा दिया था।
विकीलीक्स केबल के अनुसार, 'सोनिया गांधी की मौजूदगी उनकी असम में खो रही पकड़ को फिर से हासिल करने की चिंता दर्शा रही थी। राज्य में मुख्य विपक्षी दल असम गण परिषद और भाजपा दोनों कमजोर तथा बंटी हुई थीं। लेकिन कांग्रेस ने भी मुस्लिम समुदाय का बड़ा वोट बैंक गंवा दिया था।'
केबल में यह भी कहा गया है कि कैसे तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष ने एक उग्रवादी संगठन से जुड़े स्थानीय युवक की सेना की हिरासत में मौत की निंदा की थी। इसके चलते 'सेना को माफी मांगनी पड़ी थी।'
अमेरिकी राजनयिक की ओर से वाशिंगटन स्थित मुख्यालय को भेजे गए संदेश के मुताबिक, 2006 में चुनाव से दो महीने पहले असम में राजनीतिक हालात बहुत अच्छे नहीं थे। ऐसा लग रहा था कि कांग्रेस अपना मौजूदा बहुमत गंवा देगी लेकिन वह राज्य में मिलकर गठबंधन सरकार बना सकती है।
केबल के मुताबिक, अवैध बांग्लादेशियों की लगातार घुसपैठ के चलते राज्य में मुस्लिमों की आबादी 28% पहुंच गई। इसमें कांग्रेस के बांग्लादेशियों के प्रति प्रेम को भी रेखांकित किया गया है। इसके अनुसार, 'मुस्लिम वोटों से तय होने वाला था कि राज्य में कांग्रेस फिर बहुमत हासिल करेगी या नहीं। बांग्लादेशियों के चलते ही राज्य में मुस्लिमों का महत्व बढ़ गया था। राज्य में कांग्रेस की 13 सीटें मुस्लिमों के पास थीं।'
इसके अनुसार, 'अवैध बांग्लादेशियों को वापस भेजे जाने से बचाने के चलते ही कांग्रेस मुस्लिमों की पसंद थी। कांग्रेस ने ट्रिब्यूनल अधिनियम (आईएमडीटी), 1983 द्वारा अवैध प्रवासी निर्धारण का समर्थन किया था। यह सिर्फ असम में लागू होना था। इसके तहत असम में विदेशियों की पहचान, खोज और निर्वासन काफी जटिल था और यह 1971 के बाद बांग्लादेश से अवैध तरीके से आए प्रवासियों को बचाता था।'
केबल में कहा गया है कि कांग्रेस के मुस्लिमों से संबंधों को जुलाई 2005 में तब झटका लगा, जब सुप्रीम कोर्ट ने आईएमडीटी को असंवैधानिक ठहरा दिया। कांग्रेस ने विदेशी अधिनियम को लागू न कर मुस्लिमों का तुष्टिकरण करने का प्रयास किया। अपनी यात्रा के दौरान सोनिया गांधी ने अधिनियम में संशोधन की पेशकश की।
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में असम सरकार की ओर से हाल ही में अपडेट किए एनआरसी में राज्य के 40 लाख लोगों को इससे बाहर कर दिया गया है। इनमें से अधिकतर को अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिया बताया जा रहा है।