Rajasthan GPF Scam: 200 Govt Employee के खातों से उड़ाया 6.36 cr., ड्राइवर भी निकला 420

By Rajkumar UpadhyayaFirst Published Sep 29, 2023, 3:49 PM IST
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राजस्थान में सरकारी कर्मचारियों के जीपीएफ खातों से करोड़ों रुपये गबन करने का मामला सामने आया है। अपराध में 2 फोर्थ क्लास एम्पलाई और एक ड्राइवर भी शामिल है। जीपीएफ विभाग के 12 कर्मचारियों ने मिलकर इस हेराफेरी को अंजाम दिया।

जयपुर। राजस्थान में सरकारी कर्मचारियों के जीपीएफ खातों से करोड़ों रुपये गबन करने का मामला सामने आया है। अपराध में 2 फोर्थ क्लास एम्पलाई और एक ड्राइवर भी शामिल है। जीपीएफ विभाग के 12 कर्मचारियों ने मिलकर इस हेराफेरी को अंजाम दिया। खुद बचने के लिए 200 कर्मचारियों को लोन लेना दिखा दिया। कोशिश थी कि किसी को उनके 420 वाले काम के बारे में पता न चल सके। कहते हैं कि झूठ की उम्र ज्यादा नहीं होती। यही इस मामले में भी हुआ। पूरा मामला उजागर होने के बाद आरोपी कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है। पूरे प्रकरण की गहनता से जांच की जा रही है। 4 कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया है।

शातिराना अंदाज में सरकारी कर्मचारियों के खातों से उड़ाएं पैसे

जीपीएफ विभाग के 12 कर्मचारियों ने बहुत ही शातिराना अंदाज में सरकारी कर्मचारियों के खातों से पैसा उड़ाने के काम को अंजाम दिया। हर कर्मचारी ने 50.50 लाख रुपये निकाले। साल 2012 के पहले के रिकॉर्ड डिलीट कराकर नई तैयार कराई गई। आरोपी कर्मचारियों संदीप माथुर, लोकेश मीणा, मनोज कुमार गुर्जर और भोमाराम गुर्जर को सस्पेंड किया गया है। कर्मचारियों को जीपीएफ में आटो निकासी सुविधा अक्टूबर 2021 से दी गई थी। कर्मचारियों ने लाखों का अनियमित भुगतान ले लिया।

इसका उठाया फायदा

दरअसल, कर्मचारियों के जीपीएफ खातों में कटौतियों और पुराने लेन-देन की एंट्री होनी थी। इसीलिए खाते अन-फ्रीज किए गए थे। ताकि 1 अप्रैल 2012 से पहले के लेजर को संशोधित किया जा सके। आरोपियों ने इसी का फायदा उठाया और करीबन 200 कर्मचारियों के खातों में सेंधमारी कर दी।

आरोपियों से रिकवरी शुरु

बताया जा रहा है कि विभाग ने कर्मचारियों से रिकवरी करना शुरु कर दिया है। ऐसा नहीं कि किसी सरकारी विभाग में यह इस तरह का पहला मामला है। इससे पहले भी इस तरह के गबन के मामले सामने आए हैं। पर उनकी जानकारी सिर्फ आडिट के समय ही चल पाती है। जिन कर्मचारियों के जीपीएफ खातों से पैसे निकाले गए, उन्हें पता नहीं चल सका, क्योंकि इनका भुगतान रिटायरमेंट के दौरान होता है।

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