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कभी कपड़े की दुकान पर करते थे नौकरी, अब चलाते हैं करोड़ों की कम्पनी...सड़क किनारे कुर्तियां भी बेची

Rajkumar Upadhyaya |  
Published : Jan 13, 2024, 11:01 PM ISTUpdated : Jan 13, 2024, 11:05 PM IST
कभी कपड़े की दुकान पर करते थे नौकरी, अब चलाते हैं करोड़ों की कम्पनी...सड़क किनारे कुर्तियां भी बेची

सार

आतिफ कहते हैं कि जब एक जगह मेरी सैलरी रूकी तो बहुत दुख हुआ। पर अब लगता है कि यदि सैलरी नहीं रूकी होती तो शायद हम वहीं जॉब कर रहे होते। पॉजिटिव रहने की जरुरत है। यदि आपकी नीयत अच्छा करने की होती है तो आपको फायदा होता है। हम कोशिश नहीं करना चाहते। अपने साथ वफादारी नहीं करते।

सोलन (Himachal Pradesh)। मूल रूप से बिहार के आरा जिले के भोजपुर रहने वाले आतिफ आलम काम की तलाश में साल 2012 में हिमाचल प्रदेश के सोलन आए। पत्नी सारा के साथ उज्ज्वल भविष्य के सपने बुने। शुरुआती दिनों में एक कपड़े की दुकान पर काम किया। पैसा कमाने के लिए छुट्टी के दिनों में सड़क के किनारे कुर्तियां भी बेची। अब फॉर्मा कम्पनी चला रहे हैं। 15 लोगों को रोजगार दे रखा है। उनकी कम्पनी का टर्नओवर करोड़ो में है।

4500 रुपये सैलरी पर करते थे जॉब

आतिफ आलम ने जब हिमाचल प्रदेश के सोलन में कदम रखा। तब उनके पास सिर्फ 13 हजार रुपये थे। उन्हें एक कपड़े की दुकान पर जॉब मिली। काम के बदले 4500 रुपये सैलरी मिलती थी। रविवार के दिन दुकान के काम से छुट्टी मिलती थी। आतिफ ने छुट्टी के दिन भी पैसा कमाने की कोशिश की। उन्होंने सड़क किनारे कुर्तियां बेचनी शुरु कर दी। इस तरह वह अपने परिवार के साथ जीवन यापन कर रहे थे। पर तभी परिस्थितियां ऐसी बदली कि उन्हें भी अपने काम में बदलाव करना पड़ा।

सैलरी नहीं मिली तो बिजनेस शुरु करने का फैसला

दरअसल, जिस कपड़े की दुकान पर वह काम करते थे। उस दुकान के मालिक ने उन्हें महीनों तक सैलरी नहीं दी। यह देखकर आतिफ ने खुद का काम करने का निर्णय लिया और इन्हीं परिस्थितियों के बीच एक फॉर्मा कम्पनी में जॉब शुरु कर दी। धीरे-धीरे मेडिकल फील्ड की जरुरतों को समझा और फिर अपनी फॉर्मा कम्पनी शुरु कर दी। मजे की बात यह है कि शुरुआती दिनों में उनके परिवार को यह नहीं पता था कि आतिफ सोलन में सड़क के किनारे कुर्ती बेचते हैं। सिर्फ उनकी बहन इस काम के बारे में जानती थीं।

कमाई का एक हिस्सा कर्मचारियों को 

आतिफ आलम ने चाहे सड़क किनारे कुर्तियां बेचने का काम किया हो या फिर दुकान में नौकरी। फॉर्मा के काम को भी उन्होंने पूरे मनोयोग से किया। अपनी मेहनत और ईमानदारी के बल पर लोगों का भरोसा जीता। आतिफ कहते हैं कि जीवन में कई उतार चढ़ाव आए। कई बार ऐसी स्थितियों का भी सामना करना पड़ा कि खाने को भी कुछ नसीब नहीं था। पर ऐसी स्थिति में भी किसी के आगे हाथ नहीं फैलाए। वह अपनी कमाई का एक हिस्सा अपने कर्मचारियों में भी बांटते हैं। 

पॉजिटिव रहने की कोशिश करें

आतिफ कहते हैं कि जब एक जगह मेरी सैलरी रूकी तो बहुत दुख हुआ। पर अब लगता है कि यदि सैलरी नहीं रूकी होती तो शायद हम वहीं जॉब कर रहे होते। आपको पॉजिटिव रहने की जरुरत है। यदि आपकी नीयत अच्छा करने की होती है तो आपको फायदा होता है। वह कहते हैं कि हम कोशिश नहीं करना चाहते। अपने साथ वफादारी नहीं करते। जब आप आइने में अपना शक्ल देखेंगे तो आप अपना वजूद और पोटेंशियल देखें। खुद के लिए नहीं पहले खुद पर काम करने की जरुरत है।

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