sandeshkhali violence reason: पश्चिम बंगाल के नॉर्थ 24 परगना स्थित संदेश खाली क्षेत्र इस वक्त संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है यहां पर महिलाओं के साथ हुए यौन उत्पीड़न मामले में राजनीति भी कार्रवाई हुई है। वहीं ममता सरकार ने बीजेपी पर बेफिजूल बयान बाजी करने का आरोप लगाया है जबकि दूसरी ओर अनुसूचित जाति आयोग ने इस मामले में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की।
Sandeshkhali violence in hindi:इन दिनों हर जगह पश्चिम बंगाल के बांगलादेश सीमा से सटे संदेश खाली इलाके का नाम हर जगह चर्चा में है यहां की महिलाएं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं। महिलाओं ने ममता सरकार की पार्टी टीएमसी नेता शेख शाहजहां पर यौन उत्पीड़न जैसा गंभीर आरोप लगाया है और इसके साथ ही जमीनों पर जबरन कब्जा करने का भी आरोप है। महिलाओं की मांग है कि टीएमसी नेता को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए हालांकि महिलाओं का कहना है पुलिस आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रही है। इस मामले में बीजेपी और टीएमसी आमने-सामने है ऐसे में यह जानते हैं कि यह विवाद कब से शुरू हुआ और यह क्या है।
आखिर क्या है संदेशखाली विवाद?
5 जनवरी 2024 को प्रवर्तन निदेशालय की एक टीम टीएमसी नेता शाहजहां शेख के संदेश खली घर पर राशन घोटाला मामले में छापेमारी करने पहुंची थी लेकिन वहां पर टीम पर हमला कर दिया गया। इस दौरान अधिकारियों को चोटें भी आई थीं। टीम पर हमले का आरोप शाहजहां शेख के समर्थकों पर लगा। उसके बाद से शाहजहां शेख फरार चल रहा है। Ed की ओर से समन भेजे गए लेकिन वह पेश नहीं हुए। बात आगे तब बढ़ी जब 8 फरवरी को संदेशखाली की स्थानीय महिलाओं ने शाहजहां शेख और उनके समर्थकों के खिलाफ सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया और 9 फरवरी को शाहजहां शेख के स्वामित्व वाले तीन पोल्ट्री फार्म में आग लगा दी महिलाओं का आरोप था कि यह फॉर्म में ग्रामीणों से जबरन कब्जा की गई जमीन पर बनाई गई हैं।
संदेशखाली की महिलाओं के गंभीर आरोप
संदेशखाली की महिलाओं का आरोप है की शाहजहां शेख की चेले इलाके की महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न करते थे और उन्हें जबरदस्ती उठा कर ले जाते थे और सुबह छोड़ जाते थे उनसे रात भर काम कराया जाता था कोई भी महिला डर के मारे कैमरे के सामने नहीं बोलती थी। यहां तक महिलाओं ने आरोप लगाया कि पुलिस से शिकायत करने के बाद भी कोई मदद नहीं मिली। संगीन आरोपों के बाद 12 फरवरी को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने संदेशखाली का दौरा किया और यहां की महिलाओं से बातचीत के बाद कहा कि मुझे विश्वास नहीं हो रहा है रविंद्र नाथ टैगोर की धरती पर ऐसा कुछ भी हो सकता है। 13 फरवरी को कलकत्ता हाई कोर्ट के जज न्यायमूर्ति अपूर्व सिन्हा रे ने घटना का संज्ञान लिया और ममता सरकार से 20 फरवरी तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
अनुसूचित जाति आयोग ने राष्ट्रपति को सौंपी रिपोर्ट
इससे इतर, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संदेशखाली घटना पर अपनी रिपोर्ट सौंप दी है प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को संदेशखाली का दौरा किया था। अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष अरुण हलदर ने पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है। उन्होंने कहा जब हम संदेश खाली पहुंचे तो टीएमसी सरकार ने फिजूल वक्त जाया किया पीड़ित महिलाएं बहुत कुछ बताना चाहती थी लेकिन वक्त ऐसा था कि वह कुछ ज्यादा का नहीं पाई पुलिस भी हमारी बातें नहीं सुन रही थी।
संदेश खाली मामले पर चरम पर सियासत
संदेशखाली मामले पर तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी आमने-सामने है। बीजेपी बंगाल अध्यक्ष सुकांता मजूमदार के नेतृत्व में पार्टी ममता सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है वहीं से पहले भाजपा नेता स्मृति ईरानी ने भी ममता सरकार पर गंभीर हमला बोला था जबकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा में संदेश खाली पर बोलते हुए कहा था हमने पूरे मामले पर कार्रवाई की है लेकिन बीजेपी माहौल खराब करने का प्रयास कर रही है बीजेपी के लोग बेफिजूल बयान बाजी कर रहे हैं हमारी पार्टी ने कभी किसी के साथ अन्याय नहीं होने दिया और ना ही होने देंगे। वहीं दूसरी ओर संदेशखाली यौन उत्पीड़न मामले में जब बीजेपी और कांग्रेस के डेलिगेशन ने संदेशखाली जाने की कोशिश की तो उन्हें रोक दिया गया जिसके बाद बवाल जारी है। भाजपा नेता तीखी नोकझोंक के बाद वापस लौट गए जबकि कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़प देखने को मिली इतना ही नहीं अधीर रंजन धरने पर बैठ गए उन्होंने यह तक कहा कि हम जानना चाहते हैं की संदेश खली की असली घटना क्या है।
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