Onam 2023: कब है ओणम, क्यों मनाया जाता है ये त्योहार? जानें इस त्योहार से जुड़ी हर खास बात

By Manish Meharele  |  First Published Aug 27, 2023, 12:15 PM IST

Onam 2023: दक्षिण भारत में कई प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं, इनमें से ओणम भी एक है। इस त्योहार में दक्षिण भारत की संस्कृति की सबसे सुदंर झलक देखने को मिलती है। इस त्योहार से जुड़ी कईं मान्यताएं और परंपराएं हैं जो काफी खास हैं। 
 

उज्जैन. भारत को अलग-अलग प्रदेशों में कई प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं जो उस स्थान की संस्कृति की पहचान होते हैं। दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला ओणम पर्व (Onam 2023) भी इन्हीं में से एक है। ये 10 दिनों तक मनाया जाने वाला त्योहार है जो मुख्य रूप से मलयाली समाज द्वारा मनाया जाता है। 10 दिनों तक रोज अलग-अलग परंपराएं निभाई जाती हैं। ओणम के अंतिम दिन सभी लोक एक जगह पर इकट्ठा होकर जश्न मनाते हैं। इस बार ओणम पर्व 29 अगस्त, मंगलवार को मनाया जाएगा। आगे जानिए इस फेस्टिवल से जुड़ी हर खास बातें

क्यों मनाते हैं ओणम? (Why celebrate Onam)
ओणम की कथा दैत्यों के राजा बलि से जुड़ी है। इसके अनुसार किसी समय दक्षिण भारत में दैत्यों के राजा बलि का शासन था। राजा बलि स्वर्ग पर शासन करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने एक महान यज्ञ का आयोजन किया। देवताओं ने भगवान विष्णु से मदद मांगी। तब भगवान विष्णु वामन के रूप में यज्ञ स्थल पर गए और राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांग ली। बलि ने दान देना स्वीकार किया। भगवान वामन ने विशाल रूप धारणकर धरती और स्वर्ग को नाम लिया और तीसरा पैर बलि के ऊपर रखा, जिससे वह सुतल लोक में चला गया। प्रसन्न होकर भगवान ने उसे सुतल लोक का राजा बना दिया। मान्यता है कि राजा बलि साल में एक बार धरती पर आकर अपनी प्रजा का हाल जानते हैं, इसी खुशी में ओणम मनाया जाता है।

क्यों खास है ओणम? (Why is Onam special?)
ओणम के पहले दिन को अथम कहते हैं। इस दिन लोग नए कपड़े, गहने आदि की खरीदी करते हैं। 10 दिन तक चलने वाले इस त्योहार के दौरान बोट रेस का आयोजन भी होता है, जिसे वल्लमकली कहते हैं। ओणम के अंतिम दिन को थिरुवोनम कहते हैं। इस दिन विशेष प्रकार का भोजन तैयार किया जाता है। लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं और दावत का आनंद लेते हैं। 

क्या है साद्या थाली? (What is Sadya Thali?)
ओणम के अंतिम दिन जो पकवान बनाए जाते हैं, उसे साद्या थाली कहते हैं। इसमें लगभग 26 पकवान शामिल होते हैं। ये भोजन केलों के पत्तों पर पारंपरिक रूप में खाया जाता है। साद्या थाली में चेन यानी सूरन करी, परिप्पु करी, पच्चड़ी, पुलुस्सरी, सांबर, उपेरी, शर्करा वरही, नारंगा करी, मांगा करी, रसम, कालन, एलिस्सरी, अवियल, तोरन और पायसम आदि व्यंजन प्रमुख रूप से होते हैं।


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