त्राटक: योग साधना के जरिए आध्यात्मिक शक्तियों को पाने की सबसे सरल विधि

By Team MyNation  |  First Published May 1, 2020, 2:10 PM IST

जाने माने योगाचार्य प्रशांत 'योगी' शर्मा कहते हैं कि त्राटक मैडिटेशन त्राटक योगाभ्यास का एक उच्चतर स्तर है। इसके जरिए न केवल आंखों को ठीक कर सकते हैं बल्कि अन्य बीमारियों भी दूर हो सकती हैं। लेकिन ये मेडिटेशन का भी मार्ग है। योगी कहते हैं कि इसके जरिए किसी निश्चित बिंदु पर आप अपना ध्यान केंद्रित करते हैं। 

नई दिल्ली। आपने त्राटक के बारे में सुना तो होगा। लेकिन अगर आप त्राटक के बारे में नहीं जानते हैं तो हम इसके बारे में आपको बताते हैं। सबसे पहले जानते हैं कि त्राटक का का अर्थ क्या होता है। त्राटक शब्द का उत्पत्ति ‘त्रा’ से हुआ है, जिसका अर्थ है मुक्त करना। इसके साथ ही टक यानी किसी वस्तु या दीपक को टकटकी लगाकर देखना। मुक्त करने का अर्थ है आखों के भीतर गंदे पानी को बाहर निकालना और मन के गंदे विचारों को बाहर निकालकर एकाग्रचित होना। कुछ लोग आँखों को साफ करने एवम नेत्रों की रोशनी बढ़ाने के लिए इस क्रिया को करते हैं जबकि कुछ लोग आत्मशुद्धि और शक्तियों को विकसित करने के लिए त्राटक करते हैं। वहीं कुछ लोग  सम्मोहन शक्तियों को हासिल करने के लिए त्राटक करते हैं। त्राटक के जरिए आप आध्यात्मिक सबल बना सकते हैं। क्योंकि ये भी ध्यान की एक विधा है। त्राटक हटयोग में आता है।
 


जाने माने योगाचार्य प्रशांत 'योगी' शर्मा कहते हैं कि त्राटक मैडिटेशन त्राटक योगाभ्यास का एक उच्चतर स्तर है। इसके जरिए न केवल आंखों को ठीक कर सकते हैं बल्कि अन्य बीमारियों भी दूर हो सकती हैं। लेकिन ये मेडिटेशन का भी मार्ग है। योगी कहते हैं कि इसके जरिए किसी निश्चित बिंदु पर आप अपना ध्यान केंद्रित करते हैं। जिसके जरिए आप व्याधियां को ठीक कर सकते हैं। त्राटक की क्रिया से आप अपने अवचेतन मन को जागृत कर सकते हैं और एक बार अवचेतन मन जागृत हो जाए तो आप उन वस्तुओं को पा सकते हैं जिन्हें पाने के लिए आपको ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है। त्राटक एक निर्दोष विद्या है और इसे आप बिना गुरु भी कर सकते हैं। त्राटक करते वक्त आंखों से बिंदू को घूरना नहीं चाहिए बल्कि एकाग्रचित होकर आराम से देखना चाहिए।

कैसे करें त्राटक

त्राटक कई प्रकार के होते हैं। लेकिन इसे शुरू करने के लिए सबसे पहले बिंदू त्राटक ही बेहतर माना जाता है। ये एक तरह सबसे सरल होता है और अन्य कठिन त्राटक करने लिए ये नींव तैयार करता है। जिस तरह से कसरत करने से पहले वार्मअप किया जाता है। वैसे ही अन्य कठिन त्राटक क्रियाओं से पहले बिंदू त्राटक किया जाता है। योगी बताते हैं कि सबसे पहले आप सिर, गर्दन एवं पीठ को सीधा रखें और ध्यान की मुद्रा में बैठें और आँखों से बिंदू की तरफ टकटकी लगाकर देखते रहें।

जब तक आपकी आंखों से पानी न निकले और या फिर आंखें बंद न हो। इस क्रिया को करते वक्त पलके हल्की झपकेंगी और इस पर ध्यान नहीं देना चाहिए। मन में विचार लगातार आएंगे उन्हें बह जाने दें। बिंदू त्राटक के स्थान पर जो लोग दीपक त्राटक करना चाहते हैं वह मिट्टी के दीपक में घी से जली ज्योति को प्रकाश ऊर्जा के स्रोत के रूप में इसे प्रयोग कर सकते हैं। मोमबत्ती के स्थान पर घी के  दीपक से त्राटक करना चाहिए क्योंकि मोमबती से निकलने वाले धुंए में केमिकल होने के कारण आंखों में नुकसान हो सकता है।

सबसे पहले एक बंद कमरे या सुनसान जगह का चुनाव करें जहां पर जहां कोई आए न जाए यानी आप को कोई डिस्टर्ब न करें। फिर दीवार पर एक सफेद कागज में बिंदु बनाकर उसे चिपकाए। ये आपकी आखों के बराबर की ऊंचाई तक होना चाहिए। बाजार में त्राटक के लिए चार्ट भी मिलता है। अगर ऐसा संभव नहीं है तो काली मिर्च के आकार का बिंदू एक सफेद कागज में बनाएं। चाहे बिंद त्राटक हो या फिर दीपक सभी की दूरी को आंखों से लगभग डेढ़ गज अथवा ढाई फुट होनी चाहिए और दूरी पर आंखों के ही समांतर ऊंचाई पर रखीं होनी चाहिए। इस क्रिया के लिए कोई नियम नहीं है। लेकिन त्राटक करने से पहले प्राणायाम या अनुलोम विलोम जरूर करें। इस क्रिया को आप शुरूआत में  दो से तीन मिनट कर सकते हैं और उसके बाद धीरे धीरे समय को बढ़ाकर आधे घंटे तक करें। 

त्राटक से फायदे

योगी बताते हैं कि त्राटक से आंखों के सभी विकार, थकान एवं सुस्ती दूर होती है। इसके साथ ही आप आध्यात्मिक शक्तियों को विकसित कर सकते हैं। मस्तिष्क का विकास भी त्राटक से होता है। लेकिन त्राटक करते हुए हुए ध्यान रखें कि इसे किसी योग्य योग शिक्षक के निर्देशन में ही करें। अन्यथा आपको नुकसान हो सकता है।  अगर आपके आंखों में किसी तरह की बीमारी है तो इसे नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही 13 साल से कम बच्चों को खुले आंखों से त्राटक नहीं करना चाहिए। हालांकि ये बच्चे मानसिक त्राटक कर सकते हैं और इससे इन्हें पढ़ाई में लाभ मिलेगा।

त्राटक की सावधानियां

योगी कहते हैं कि त्राटक करते वक्त कुछ सावधानियां भी जरूरी हैं। नये साधकों को शुरूआत में दो से तीन मिनट का ही अभ्यास करना चाहिए और जैसे जैसे आंखों की क्षमता बढ़े अपने अभ्यास को बढ़ाना चाहिए। जोश में शुरूआत से ही ज्यादा अभ्यास न करें। इससे आंखों को नुकसान हो सकता है। त्राटक के लिए सुबह का समय श्रेष्ठ है लेकिन इसे सायं या रात्रि में भी किया जा सकता है। लेकिन रात में दस बजे के बाद इसे न करें। इसके साथ ही त्राटक के साधकों को सात्विक भोजन करना चाहिए वहीं तेज मिर्च मसालों, अंडे, मांस, मादक पदार्थों से दूर रहना चाहिए। वहीं ज्योति त्राटक करते वक्त कमरे  में प्रकाश नहीं होना चाहिए जबकि बिंदू त्राटक के वक्त कमरे में इतनी रोशनी जरूर होनी चाहिए जिसमें आप पढ़ सकें। बहुत तेज या कम प्रकाश में त्राटक नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही अगर त्राटक करते वक्त आपकी आंखों में किसी प्रकार का कष्‍ट का अनुभव हो रहा है तो  इस क्रिया कुछ दिनों के लिये रोक दे। 


कितने प्रकार के होते हैं त्राटक

आमतौर पर जिस वस्तु को आप टकटकी लगाकर और एकाग्रचित होकर देखते हैं तो उसे त्राटक कहते हैं।  इसके लिए जरूरी नहीं है कि दीपक हो या फिर बिदू। आप किसी देवी देवता को भी एक बिंदू मान त्राटक कर सकते हैं। आप मानसिक त्राटक भी कर सकते हैं। किसी बिंदू पर आंखें बंद फोकस करें।


1-बिंदु त्राटक
2-मोमबत्ती त्राटक
3-दर्पण त्राटक
4-तारा त्राटक
5-चंद्र त्राटक
6-सूर्य त्राटक
7-दृश्य त्राटक
8-छाया त्राटक
9-अग्नि त्राटक

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