राजनीति का खेल बड़ा ही अजीब है। यहां चार्ल्स डार्विन के ‘योग्यतम की उत्तरजीविता(survival of the fittest)’ के सिद्धांत का बड़ी बेरहमी से पालन होता है। यानी जो थोड़ा भी काबिल हुआ वह कम योग्य को हाशिए पर डाल देता है। कांग्रेस में भी आजकल ऐसा ही दिखाई दे रहा है। जहां राहुल गांधी को परे हटाकर प्रियंका वाड्रा पार्टी पर आहिस्ता आहिस्ता कांग्रेस पार्टी पर कब्जा करते जा रही हैं और किसी को इसका अंदाजा भी नहीं हो रहा है।
नई दिल्ली: 23 जनवरी 2019 को जब प्रियंका गांधी वाड्रा को कांग्रेस महासचिव बनाया गया तभी यह तय हो गया था कि अब उनके भाई राहुल गांधी के नेपथ्य में जाने का समय आ गया है। लेकिन यह इतनी जल्दी होने लगेगा ऐसा किसी ने सोचा भी नहीं था। मात्र साढ़े तीन(3.5) महीने के समय में प्रियंका गांधी ने कांग्रेस पार्टी में अपने ही भाई राहुल गांधी को लगभग अप्रासंगिक कर दिया है। देखिए इस बात के पांच अहम सबूत-
1. पीएम मोदी से प्रियंका का सीधा टकराव
आपने पिछले कुछ दिनों में नोटिस किया होगा कि कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा सीधा पीएम मोदी पर हमले कर रही हैं। जबकि यह उनकी प्रोफाइल से मेल नहीं खाता है। क्योंकि उनका राजनीतिक अनुभव शून्य है। आम तौर पर एक पार्टी का अध्यक्ष ही दूसरे पक्ष के प्रधान व्यक्ति के खिलाफ बयानबाजी करता है। लेकिन प्रियंका वाड्रा ऐसा नहीं कर रही हैं। पिछले कुछ दिनों से उनके भाई और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का कोई भी बयान पीएम मोदी के खिलाफ ज्यादा नहीं सुनाई पड़ा। बल्कि उनकी जगह प्रियंका वाड्रा ही उनपर निशाना साध रही हैं।
उदाहरण के तौर पर 9 मई को प्रतापगढ़ में पीएम के खिलाफ प्रियंका ने तीखा हमला करते हुए कहा कि "मैंने इनसे बड़ा कायर और कमजोर प्रधानमंत्री नहीं देखा।"
दिल्ली में 8 मई को रोड शो में प्रियंका ने पीएम पर सीधा हमला करते हुए उनको ‘स्कूली बच्चा’ करार दिया था। दिल्ली में प्रियंका ने बयान दिया कि "पीएम मोदी की हालत स्कूल के उस बच्चे की तरह है जो कभी अपना होमवर्क नहीं करता। जब शिक्षक उससे पूछते हैं तो वह कहते हैं नेहरू जी ने मेरा पेपर लेकर उसे छिपा लिया और इंदिरा जी ने कागज की नाव बना कर उसे पानी में बहा दिया।"
इससे पहले प्रियंका वाड्रा 7 मई को अंबाला की रैली में पीएम को दुर्योधन बता चुकी हैं। उन्होंने इसके लिए सहारा लिया राष्ट्रकवि दिनकर की अमर पंक्तियों का।
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2. रोड शो के जरिए जनता के बीच उपस्थिति दर्ज कराना
पिछले दिनों प्रियंका गांधी वाड्रा ने की रोड शो किए। उन्होंने 15 मई को पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में छह किलोमीटर लंबा रोड शो किया। उनका रोड शो ठीक उन्हीं इलाकों से गुजरा जहां पीएम मोदी ने रोड शो किया था।
प्रियंका को रोड भी भी पीएम की ही तरह लंका से शुरू होकर रविदास गेट, अस्सी, भदैनी, सोनारपुरा होते हुए गोदौलिया तक पहुंचा। यही नहीं रोड शो खत्म होने के बाद प्रियंका गांधी ने पीएम मोदी की ही तरह बाबा काल भैरव मंदिर पूजा भी की।
हालांकि प्रियंका के रोड शो में पीएम मोदी की तरह भीड़ नहीं जुटी। लेकिन उन्होंने इस रोड शो के जरिए अपना कद पीएम के बराबर करने की भरपूर कोशिश की।
इसके अलावा प्रियंका गांधी वाड्रा ने दो दिन पहले यानी 13 मई को उज्जैन में भी रोड शो किया। यहां भी प्रियंका गांधी ने पीएम मोदी की तर्ज पर उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में पूजा अर्चना भी की। हालांकि इस चुनावी यात्रा से पहले उनके उज्जैन में दर्शन करने की कोई खबर नहीं आई थी। लेकिन ऐसा करके वह देश के सर्वोच्च पद पर आसीन पीएम मोदी को टक्कर देने की भरपूर कोशिश करती हुई दिखीं। जिसके बाद उन्होंने रोड शो किया। प्रियंका के रोड शो में सन्नाटा
इसके अलावा प्रियंका गांधी वाड्रा ने कानपुर, सहारनपुर, बिजनौर, उन्नाव जैसे कई इलाकों में रोड शो कर चुकी हैं। दरअसल इस तरह रोड शो के जरिए प्रियंका गांधी वाड्रा देश के अलग अलग हिस्सों में कांग्रेसियों के दिलों में अपनी छवि स्थापित कर रही हैं। वह जानती हैं कि इस तरह की कवायद का फायदा इस बार के चुनाव में भले ही नहीं हो, लेकिन आगे चलकर जब कांग्रेस मे वर्चस्व की जंग छिड़ेगी तो उन्हें जनता के बीच बनी अपनी छवि का फायदा मिलेगा। ऐसा करके दरअसल वह राहुल गांधी की संभावनाएं क्षीण कर रही हैं।
3. प्रियंका की कोशिशों से राहुल गांधी का सीधा नुकसान
प्रियंका गांधी वाड्रा जनता के बीच अपनी छवि बनाने की जो कोशिश कर रही हैं उसका सीधा नुकसान उनके भाई और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को हो रहा है। इसकी झलक दिखी राजस्थान में। जहां की सभी 25 सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों ने मांग है कि उनकी सभी संसदीय सीटों पर प्रियंका गांधी की रैली या रोड शो जरूर हो। राजस्थान कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मांग है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीधी टक्कर प्रियंका ही दे सकती हैं। इसके लिए राजस्थान के कांग्रेसी अपने अध्यक्ष राहुल गांधी को हाशिए पर रखकर प्रियंका वाड्रा से प्रचार करने की अपील कर रहे हैं।
सूत्र बताते हैं कि प्रियंका वाड्रा का क्रेज उनकी मां सोनिया गांधी और भाई राहुल से बेहद ज्यादा है। राजस्थान में 12 जगहों पर प्रियंका गांधी के रोड शो का प्रस्ताव आया है जबकि 13 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार उनकी रैली चाहते हैं। जयपुर शहर और जयपुर ग्रामीण जैसी कई लोकसभा सीटों के उम्मीदवारों ने प्रियंका गांधी के रोड शो की मांग की है।
ऐसे में कांग्रेस की कैंपेनिंग टीम परेशान है क्योंकि ऐसा करने से यह साफ संकेत जाएगा कि प्रियंका गांधी अपने भाई राहुल गांधी से ज्यादा लोकप्रिय हैं।
4. राहुल गांधी की छवि में निरंतर गिरावट
पिछले कुछ दिनों में ऐसे कई वाकये हुए जिससे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की छवि मे गिरावट पैदा की। ताजा मामला सुप्रीम कोर्ट का है। जहां चौकीदार.... है के राजनीतिक नारे पर अवमानना मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट में बिना शर्त माफी मांगनी पड़ी। राहुल गांधी ने अदालत मे लिखित हलफनामा देकर मांफी मांगी कि उन्होंने गलती से पार्टी का राजनीतिक नारा कोर्ट के आदेश के साथ मिला कर बोल दिया था। पूरी खबर यहां देखें--
राहुल गांधी के पिछले कई महीनों से पीएम मोदी के खिलाफ कैंपेन छेड़ रखा था। लेकिन बाद में उन्हें इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में माफीनामा दाखिल करना पड़ा।
यही नहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस बार यूपी की अपनी परंपरागत सीट अमेठी के साथ केरल के वायनाड से भी पर्चा भरा है। उन्हें चुनौती देने वाली बीजेपी की वक्ता स्मृति ईरानी ने 2014 में उन्हें कड़ी टक्कर दी थी। स्मृति ने इतना धुआंधार प्रचार किया कि राहुल गांधी के सामने एक बार तो हार का खतरा ही मंडराने लगा था।
इसीलिए राहुल गांधी ने खतरा महसूस करते हुए वायनाड सीट से भी पर्चा भर दिया है। यह दिखाता है कि कांग्रेस अध्यक्ष हार के डर से घबराए हुए हैं। जानिए वायनाड क्यों गए हैं राहुल गांधी
देश में कोई भी अपने नेता को डरा हुआ नहीं देखना चाहता है। जाहिर सी बात है इससे राहुल गांधी की छवि को नुकसान हुआ है। लेकिन यह प्रियंका गांधी वाड्रा के लिए बेहद सही मौका साबित हुआ। राहुल की छवि को हुए नुकसान की भरपाई वह अपने जन संपर्क और रैलियों से कर रही हैं। लेकिन इसे राहुल गांधी हाशिए पर जा रहे हैं।
5. राहुल और प्रियंका के बीच पार्टी के अंदर खेमेबाजी
यही नहीं प्रियंका और राहुल गांधी के बीच चल रही वर्चस्व की लड़ाई के संकेत जमीनी स्तर पर भी दिखने लगे हैं। वाराणसी में दावेदारी को लेकर पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा के समर्थक आपस में भिड़ गए। पहले तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी सैम पित्रोदा ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि वाराणसी से चुनाव न लड़ने का फैसला खुद प्रियंका गांधी का था।
लेकिन उनकी बात का जवाब देते हुए प्रियंका गांधी के करीबी माने जाने वाले राजीव शुक्ला ने कहा, प्रियंका गांधी को वाराणसी से न लड़ाने का फैसला राहुल गांधी का था। प्रियंका तो वाराणसी से लड़ने की इच्छुक थी।
चुनाव खत्म होने से पहले ही राहुल प्रियंका की खेमेबाजी सामने आ गई।
दोनों के समर्थकों की बयानबाजी यह संकेत देती है कि कांग्रेस राहुल औऱ प्रियंका खेमें में बंट गई है और आगे चलकर वर्चस्व किसका रहेगा। इसका फैसला चुनाव परिणाम करेंगे।
6. कांग्रेस की अहम रणनीतिकार के रुप में उभर रही हैं प्रियंका
पिछले दिनों प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक बड़ा अहम बयान दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव में कमजोर प्रत्याशी उतारे हैं। ताकि बीजेपी को हराया जा सके और उसका वोट काटा जा सके। प्रियंका ने यह बयान न्यूज एजेन्सी एएनआई को दिया।
प्रियंका के इस बयान से स्पष्ट हो जाता है कि कांग्रेस में रणनीति बनाने का जिम्मा अब राहुल गांधी के हाथ में नहीं रहा। बल्कि प्रियंका ही पार्टी से जुड़े अहम फैसले कर रही हैं। यह कांग्रेस पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष राहुल गांधी के भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं।
इस छह सबूतों से यह स्पष्ट होता है कि कांग्रेस पार्टी में वर्तमान अध्यक्ष राहुल गांधी के दिन अब पूरे हो चुके हैं। जल्दी ही उन्हें हाशिए पर धकेले जाने की आशंका बढ़ गई है। शायद कांग्रेस के रणनीतिकारों ने यह मान लिया है कि उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा उनसे ज्यादा काबिल हैं। इसलिए पार्टी का भविष्य उनके ही हाथों में ज्यादा सुरक्षित है।
वैसे माय नेशन ने इस बात के संकेत उसी समय दे दिए थे, जब प्रियंका को कांग्रेस महासचिव बनाया गया था।