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मध्य पूर्व में अरब-ईरान के बीच तनाव गहराया, अमेरिका भेजेगा और सैनिक

Published : Sep 21, 2019, 08:06 PM IST
मध्य पूर्व में अरब-ईरान के बीच तनाव गहराया, अमेरिका भेजेगा और सैनिक

सार

सऊदी तेल कंपनी आरामको पर ड्रोन हमले के बाद मध्य पूर्व पर जंग के बादल मंडराने लगे हैं। शुक्रवार को अमेरिका ने और फौज भेजने का ऐलान किया है। अमेरिकी रक्षा मंत्री ने बयान दिया है कि ऐसा सऊदी अरब और यूएई के अनुरोध पर किया जा रहा है। सऊदी में ड्रोन हमले का दुनिया भर के तेल कारोबार पर बहुत बुरा असर पड़ा है। भारत पर भी इसका असर देखा जा रहा है।   

नई दिल्ली: अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने ऐलान किया है कि उनका देश कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के आग्रह पर खाड़ी क्षेत्र में और सुरक्षा बलों की तैनाती करेगा। सऊदी अरब की तंल कंपनी आरामको पर हमले के बाद अमेरिका यह कदम उठाने जा रहा है। 

ईरान अमेरिका में तनाव चरम पर
अमेरिका इन हमलों के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराता है। एस्पर ने खाड़ी में अमेरिकी फौज की तैनाती बढ़ाने का ऐलान करते हुए बयान दिया कि जून में अमेरिकी स्पाई ड्रोन पर हमला, ब्रिटेन के तल टैंकर को जब्त किया जाना और पिछले शनिवार को सऊदी के दो प्रतिष्ठानों पर हमला 'नाटकीय रूप से ईरान की बढ़ी हुए आक्रामकता को दिखाता है। 

यमन के हूती चरमपंथियों ने तेल कंपनी अरामको के दो ठिकानों पर बीते हफ़्ते हुए हमलों की ज़िम्मेदारी ली है।  हूती चरमपंथियों और अंसारुल्लाह आतंकियों को ईरान का समर्थन प्राप्त है। 

हालांकि जब रक्षा मंत्री एस्पर से सवाल किया गया कि क्या अमरीका ईरान पर हमले की योजना बना रहा है तो उन्होंने जबाव में कहा 'हम अभी इस स्थिति तक नहीं पहुंचे हैं।' उन्होंने कहा कि खाड़ी क्षेत्र में तैनात होने वाली अमेरिका की फौज हवाई और मिसाइल सुरक्षा पर ध्यान देगी।  साथ ही हथियारों का आदान प्रदान भी बढ़ेगा। 

क्यों हो रही है अमेरिकी सैनिकों की तैनाती
सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी अरामको के दो बड़े ठिकानों अबक़ीक़ और ख़ुरैस पर बीते सप्ताह यमन के हूती चरमपंथियों ड्रोन हमले हुए थे जिसके कारण तेल का कारोबार प्रभावित हुआ है और दुनिया भर में तेल की सप्लाई और तेल कीमतों पर असर पड़ा है। 

बुधवार को सऊदी रक्षा मंत्रालय ने ड्रोन और मिसाइल के अवशेष दिखाते हुए हमले में ईरान के शामिल होने के सबूत दिए हैं। अमरीका ने भी हमले के लिए ईरान को ज़िम्मेदार ठहराया है। सऊदी और अमेरिका को शक है कि ये हमले दक्षिण ईरान से किए गए हैं। 

ईरान भी दे रहा है धमकी 
ईरान इस बात से इनकार कर रहा है कि हमले में उसका हाथ है।  ईरान के प्रधानमंत्री हसन रूहानी ने कहा कि ये हमला यमन के लोगों ने बदले की भावना से किया है। 
बुधवार को अमरीका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने सऊदी तेल ठिकानों पर हुए हमलों को 'युद्ध' करार दिया था। इसके जवाब में ईरान के विदेश मंत्री ने ट्वीट करके कहा कि ईरान की युद्ध में कोई दिलचस्पी नहीं है लेकिन "अगर हम पर हमला हुआ तो हम चुप नहीं रहेंगे।"
शनिवार को ईरान के रेवोल्यूशनरी गार्ड के कमांडर ने अलग ही भाषा में जवाब दिया और कहा कि देश के ख़िलाफ़ साजिश रचने वालों को 'तबाह' कर देंगे। मेजर जनरल हुसैन सलामी ने सरकारी टीवी को दिए बयान में कहा, "सावधान रहिए, हम बदला लेंगे और ये तब तक जारी रहेगा जब तक कि हम अपने सभी दुश्मनों के ख़त्म नहीं कर देते।"

 

 

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