कश्मीर मामले पर चीन ने पाकिस्तान का समर्थन करते हुए भारत के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में मामला उठवा दिया। लेकिन भारतीय संसद द्वारा कश्मीर के विभाजन और धारा 370 की समाप्ति पर चीन सीधे तौर पर कुछ भी कहने से अभी तक बचता दिख रहा है। हालांकि इस मुद्दे पर पाकिस्तान में खलबली मची हुई है। लेकिन चीन पूरे कश्मीर विवाद से सीधे तौर पर खुद को अलग रखने की कोशिश कर रहा है। उसने कुछ छुट पुट बयान जारी तो किए हैं, लेकिन यह बयान भी चीन के किसी बड़े नेता द्वारा जारी नहीं किया गया है। इसकी वजह यह है कि चीन कभी भी भारत से सीधा संघर्ष मोल नहीं ले सकता। आपको याद होगा कि डोकलाम से भी चीन की फौज को बैरंग वापस लौटना पड़ा था। आखिर क्यों चीन भारत से उलझना नहीं चाहता? क्या है उसकी मजबूरी?
नई दिल्ली: भारतीय संसद द्वारा कश्मीर के विभाजन और धारा 370 हटाना पूरी दुनिया में चर्चा का मुद्दा बना हुआ है। पाकिस्तान तो इतना बौखलाया हुआ है कि उसके नेता और सैन्य अधिकारी हर रोज भारत को युद्ध की धमकी दे रहे हैं। लेकिन चीन कुछ छोटे मोटे बयान जारी करने के अतिरिक्त इस पूरे मामले से खुद को निर्लिप्त रखे हुए है। वह भी तब, जब लद्दाख का एक बड़ा हिस्सा अक्साई चिन उसके कब्जे में है। ऐसा लगता है कि भारत के मुद्दे पर आकर चीन की बोलती बंद हो जाती है। इसकी एक नहीं बल्कि सात वजहें है-
1. अपनी 40 साल की मेहनत को बर्बाद नहीं करना चाहता चीन
चीन की ख्वाहिश अमेरिका को पीछे छोड़कर पूरी दुनिया का सिरमौर बनने की है। इसके लिए चीन ने बहुत मेहनत की है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि साल 1980 तक भारत और चीन की अर्थव्यवस्था लगभग समान थी। लेकिन 1980 के बाद चीन अपने प्रमुख नेता डेंग जियाओ पिंग के नेतृत्व में तरक्की की सीढ़ियां चढ़ने लगा। यही वजह है कि चीन आज अमेरिका के बाद दुनिया का सबसे शक्तिशाली और आर्थिक रूप से मजबूत देश बन गया है।
चीन जानता है कि अगर वह भारत के साथ किसी तरह के संघर्ष में उड़ता है तो 1980 से की हुई उसकी अभी तक की मेहनत बर्बाद हो जाएगी जाएगी और इतनी मेहनत से बनाया हुआ चीन का साम्राज्य नष्ट होने की कगार पर पहुंच जाएगा और चीन का पूरी दुनिया को अपने वर्चस्व में लेने का ख्वाब अधूरा रह जाएगा। यह चीन के भारत पर हमला नहीं करने का सबसे बड़ा कारण है।
2. अपने पड़ोसियों का डर
दुनिया जानती है कि चीन एक विस्तारवादी देश है। जिसकी वजह से उसके अपने पड़ोसी देशों से उसके संबंध मधुर नहीं हैं। चीन की दूसरी सबसे बड़ी समस्या उसके पड़ोसी देश हैं। चीन की जमीनी सीमाएं 14 देशों से मिलती हैं। ये देश हैं उत्तर कोरिया, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, मलेशिया, ताजिकिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, रुस, मंगोलिया, दक्षिण कोरिया, म्यांमार, नेपाल, भूटान और भारत। इसके अलावा उसकी समुद्री सीमाएं भी जापान, वियतनाम, फिलीपींस, कम्बोडिया, इंडोनेशिया, ब्रुनेई, ताईवान से भी मिलती हैं।
इसमें से पाकिस्तान और उत्तर कोरिया के अतिरिक्त उसका हर देश से सीमा विवाद रहा है। चीन के सभी पड़ोसी देश उसकी विस्तारवादी नीतियों से भयभीत रहते हैं। लेकिन इसमें से लगभग सभी देशों के संबंध भारत से बहुत अच्छे हैं।
इसमें से वियतनाम, फिलीपींस जैसे कई देशों ने भारत से ब्रह्मोस मिसाइल मंगाकर उसे चीन के खिलाफ तैनात भी कर रखा है। चीन को यह डर है कि अगर वह भारत के साथ संघर्ष में उलझता है तो उसके सभी पड़ोसी देश मिलकर भारत का साथ देंगे और उसके खिलाफ जंग के कई मोर्चे खुल जाएंगे।
जब तक चीन साउथ चाइना सी का मामला सुलझा कर अपने पड़ोसी देशों के बीच पूरी तरह अपना वर्चस्व स्थापित नहीं कर लेता है तब तक वह भारत के साथ किसी भी संघर्ष में उलझने का खतरा मोल नहीं ले सकता है
3. चीन का एक बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग हब होना
चीन दुनिया भर की फैक्ट्री है। वह एक बड़ा निर्यातक देश है । उसे दुनिया भर में अपना माल खपाने के लिए बाजार चाहिए। चीन लगातार उत्पादन करता जा रहा है उसे अपना माल बेचने के लिए हमेशा नए बाजारों की तलाश होती है भारत दुनिया का सबसे बड़ा उभरता हुआ बाजार है। चीन को भारत के बाजारों में असीम संभावनाएं नजर आती है।
चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। भारत से साझेदारी करके चीन हर साल लाखों करोड़ों युआन का मुनाफा कमाता है। अगर चीन भारत से किसी भी संघर्ष में उलझता है तो उसे इस बड़े मुनाफे से हाथ धोना पड़ जाएगा।
यह एक बड़ा खतरा है जिसकी वजह से चीन भारत से संघर्ष में उलझना नहीं चाहता है। भारत से व्यापारिक संबंध टूटना चीन बर्दाश्त नहीं कर सकता है।
4. भारत का लोकतांत्रिक देश होना
चीन की चौथी सबसे बड़ी समस्या है भारत का लोकतांत्रिक देश होना है। अगर चीन भारत पर किसी तरह का हमला करता है तो यह एक तानाशाही मुल्क का एक लोकतांत्रिक देश पर हमला माना जाएगा। जिसकी वजह से दुनिया के सभी लोकतांत्रिक देश चीन के खिलाफ एकजुट हो सकते हैं और चीन दुनिया में अलग थलग पड़ सकता है।
चीन को यह खतरा हमेशा सताता रहता है। क्योंकि उसके यहां लोकतंत्र नहीं है वहां एक पार्टी का शासन चलता है। चीन एक गैर लोकतांत्रिक और साम्राज्यवादी देश है।
चीन जानता है कि यूरोप और अमेरिका दोनों किसी भी संघर्ष के सदी में भारत के साथ खड़े होंगे क्योंकि भारत का एक लंबा लोकतांत्रिक इतिहास रहा है।
यही वजह है कि चीन को भारत से उलझने के लिए किसी बड़े देश के सहयोग की जरूरत पड़ेगी लेकिन ऐसा कोई देश फिलहाल तो दुनिया में नहीं दिखाई देता। पाकिस्तान चीन के लिए मात्र एक उपकरण है। चीन के लोग पाकिस्तान पर ज्यादा भरोसा भी नहीं करते हैं.
5.भारत का एक विशाल देश होना
पांचवी अहम बात यह है कि भारत एक बहुत बड़े भूभाग वाला और एक बहुत बड़ी आबादी वाला देश है। इस पर पूरी तरह कब्जा करना नामुमकिन है। सदियों से भारत पर कब्जे की कोशिश होती आई हैं लेकिन कोई भी विदेशी ताकत भारत पर पूरी तरह कब्जा नहीं कर पाई है। भारत का कोई ना कोई हिस्सा हमेशा स्वतंत्र रहा है और अपनी आजादी के लिए संघर्ष करता रहा है।
चीन भारत के इतिहास को जानता है वह जानता है कि भारतीय जनता कभी भी चीन के आधिपत्य को स्वीकार नहीं करेगी। ऐसे में उसे लंबे समय तक संघर्ष में उलझना होगा जो कि उसके लिए फायदे का सौदा नहीं है। चीन जानता है वह भारत से व्यापार करके ज्यादा बेहतर स्थिति में जा सकता है बजाए भारत को कब्जा करने के।
हालांकि सैन्य रुप से चीन भारत से कई गुना ज्यादा शक्तिशाली है। लेकिन भारत की बहुसंख्यक आबादी उसकी सबसे बड़ी ताकत है जिसके बलबूते वह चीन से भी जंग छेड़ सकता है।
6. भारत की भौगोलिक स्थिति
चीन के लिए छठी परेशानी है भारत की भौगोलिक स्थिति। भारत के उत्तर में हिमालय है और दक्षिण में 3 दिशाओं से समुद्र।
तीन तरफ से समुद्र से घिरा भारत हिंद महासागर में नौसैनिक रूप से अजेय माना जाता है। भारतीय नौसेना को इस क्षेत्र में चुनौती देना दुनिया के किसी भी देश के लिए संभव नहीं है। अंडमान निकोबार दीप समूह पर भारत के भारतीय सेना के तीनों अंगों का मजबूत नियंत्रण है। वहां भारत के सैन्य अड्डे मौजूद हैं। चीन का व्यापारिक मार्ग भारतीय सैन्य अड्डों के बिल्कुल पास से होकर गुजरता है।
चीन मलक्का की खाड़ी से ही अपना व्यापारिक कारोबार चलाता है। चीन का पूरा निर्यात इसी क्षेत्र से होकर गुजरता है। भारत चीन के इस सबसे बड़े व्यापारिक मार्ग को बंद करके उसे कभी भी आर्थिक रूप से उसे एक बड़ा झटका दे सकता है।
मलक्का की खाड़ी से चीन का 70 फ़ीसदी कारोबार होता है। इसी वजह से मलक्का की खाड़ी चीन के लिए सबसे नाजुक पॉइंट है। भारत कभी भी मलक्का की खाड़ी से चीन के कारोबार को खत्म कर सकता है इससे चीन को होने वाले हर तरह की सप्लाई बंद हो सकती है जिसमें पेट्रोलियम पदार्थ भी शामिल हैं।
7. भारत की सक्षम मिसाइल पावर
चीन की मुश्किल की सातवीं वजह है भारत की मिसाइल पावर। भारतीय मिसाइलें चीन में किसी भी शहर तक मार करने में सक्षम है। भारत की सबसे अत्याधुनिक ब्रह्मोस मिसाइल चीन के लिए एक बड़ा खतरा है क्योंकि यह परमाणु हथियार भी ले जा सकती है और सुपर स्पीड से चीन के किस शहर को तबाह कर सकती है ब्रह्मोस मिसाइल को देखते हुए चीन के दुश्मनों ने भारत से खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है।
चीन जानता है कि भारत के खिलाफ किसी तरह का दुस्साहस भारतीय सेना को प्रति आक्रमण के लिए प्रेरित करेगा, जो कि उसे महंगा पड़ेगा।
इन्हीं सात प्रमुख वजहों के कारण चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग हमेशा हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अच्छे संबंध बरकरार रखते हैं। पाकिस्तान के समर्थन में चीन भले ही कितनी भी बयानबाजी कर ले लेकिन वह जानता है कि भारत के साथ सीधे संघर्ष में उलझना उसके लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। क्योंकि यह जंग उसे तबाह कर देगी, जबकि शांति से रहने पर वह तरक्की की सीढ़ियां चढ़ता रहेगा।