संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में बुरी तरह मात खाने के बाद भी पाकिस्तान ने सबक नहीं सीखा है। उसने चीन के जरिए बैठक तो करवा दी। लेकिन इसमें शामिल दुनिया के सभी देशों ने कश्मीर को भारत का आंतरिक मामला बताते हुए दखल देने से इनकार कर दिया। लेकिन पाकिस्तान इस बेइज्जती को भी अपनी जीत करार देने पर तुला हुआ है।
नई दिल्ली: सुरक्षा परिषद् में अपनी पराजय पर पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने आश्चर्यजनक तरीके से प्रसन्नता जाहिर की है। उन्होंने बकायदा प्रेस कांफ्रेन्स करके बयान जारी किया कि "यूएनएससी में यह मामला पांच दशकों बाद उठाया गया और इस पर चर्चा हुई जो कि एक अच्छा कदम है। खासकर तब जब भारत ने इसे रोकने की पूरी कोशिश की। उन्होंने कहा कि बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि इसे किस तरह आगे बढ़ाया जाए।
यही नहीं कुरैशी ने बताया कि पाकिस्तान कैसे अपने तरीके से कश्मीर के मुद्दे को दुनिया भर में उछालता रहेगा। उन्होंने बयान दिया है कि 'कश्मीर मुद्दे को वैश्विक स्तर पर लाने के लिए सभी दूतावासों में कश्मीरी नागरिकों को नियुक्त किया जाएगा'।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद कश्मीर के हालात पर शनिवार को पाकिस्तान के शीर्ष अधिकारियों ने बैठक की। इस बैठक के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और पाक सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
इसी दौरान महमूद कुरैशी ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के रुख को तवज्जो देने संबंधी शेखी बघारी। उधर पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता के बयानों में भारत से हमले का डर दिखाई दिया।
गफूर ने अपने बयान में परमाणु युद्ध की भी छिपी हुई चेतावनी दी और कहा कि ' नियंत्रण रेखा पर अतिरिक्त सैनिक तैनात किए गए हैं। कभी भी अचानक युद्ध छिड़ने की चेतवानी देते हुए गफूर ने कहा कि कश्मीर मुद्दा एक न्यूक्लियर फ्लैशप्वाइंट है।'
दरअसल कश्मीर पर पूरी दुनिया मेंं मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान के लिए अपने देशवासियों को जवाब देना मुश्किल हो रहा है। इसलिए वह तरह तरह के झूठ गढ़ने में लगा हुआ है।