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आखिरी 15 मिनटों में चंद्रयान के साथ क्या हुआ था, जानिए तस्वीरों की जुबानी

जिस समय चंद्रयान 2 से अलग होकर विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ रहा था। वह आखिरी 15 मिनट इसरो सहित पूरे देश के लिए बेहद अहम थे। विक्रम के इन्हीं 15 मिनटों को इसरो ने दहशत का समय बताया था। आईए आपको दिखाते हैं कि इन आखिरी 15 मिनटों में आखिर हुआ क्या था।   

Team MyNation | Updated : Sep 08 2019, 09:11 PM
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विक्रम लैंडर ने योजना के तहत शनिवार रात 1.38 बजे चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश शुरू की।

विक्रम लैंडर ने योजना के तहत शनिवार रात 1.38 बजे चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश शुरू की।

विक्रम लैंडर ने योजना के तहत शनिवार रात 1.38 बजे चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश शुरू की।
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अगले 10 मिनट में उसने पहला चरण पूरा किया। वह 30 किमी की ऊंचाई से 7.4 किमी की ऊंचाई पर पहुंच गया।

अगले 10 मिनट में उसने पहला चरण पूरा किया। वह 30 किमी की ऊंचाई से 7.4 किमी की ऊंचाई पर पहुंच गया।

अगले 10 मिनट में उसने पहला चरण पूरा किया। वह 30 किमी की ऊंचाई से 7.4 किमी की ऊंचाई पर पहुंच गया।
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इसरो ने इसके लिए जो ट्रेजेक्टरी यानी रास्ता तय किया था, वह बिल्कुल उस पर सटीक चला।

इसरो ने इसके लिए जो ट्रेजेक्टरी यानी रास्ता तय किया था, वह बिल्कुल उस पर सटीक चला।

इसरो ने इसके लिए जो ट्रेजेक्टरी यानी रास्ता तय किया था, वह बिल्कुल उस पर सटीक चला।
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अगले 38 सेकंड में उसे 5 किमी की ऊंचाई तक आ जाना था।  इस बीच विक्रम लैंडर की फाइन-ब्रेकिंग भी शुरू हो गई।

अगले 38 सेकंड में उसे 5 किमी की ऊंचाई तक आ जाना था। इस बीच विक्रम लैंडर की फाइन-ब्रेकिंग भी शुरू हो गई।

अगले 38 सेकंड में उसे 5 किमी की ऊंचाई तक आ जाना था। इस बीच विक्रम लैंडर की फाइन-ब्रेकिंग भी शुरू हो गई।
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लेकिन इस बीच कुछ सेकंड के लिए विक्रम लैंडर बिल्कुल उलटा हो गया।

लेकिन इस बीच कुछ सेकंड के लिए विक्रम लैंडर बिल्कुल उलटा हो गया।

लेकिन इस बीच कुछ सेकंड के लिए विक्रम लैंडर बिल्कुल उलटा हो गया।
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चूंकि थ्रस्टर इंजन चालू थे, इसलिए नीचे की ओर आने की उसकी गति घटने की बजाय बढ़ गई।

चूंकि थ्रस्टर इंजन चालू थे, इसलिए नीचे की ओर आने की उसकी गति घटने की बजाय बढ़ गई।

चूंकि थ्रस्टर इंजन चालू थे, इसलिए नीचे की ओर आने की उसकी गति घटने की बजाय बढ़ गई।
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अगले चरण में लैंडर को 5 किमी की ऊंचाई से 400 मीटर पर पहुंचना था

अगले चरण में लैंडर को 5 किमी की ऊंचाई से 400 मीटर पर पहुंचना था

अगले चरण में लैंडर को 5 किमी की ऊंचाई से 400 मीटर पर पहुंचना था
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लेकिन यहां लैंडर रास्ते से हट गया।

लेकिन यहां लैंडर रास्ते से हट गया।

लेकिन यहां लैंडर रास्ते से हट गया।
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इसरो चेयरमैन के सिवन के मुताबिक 2.1 किमी की ऊंचाई तक लैंडर का प्रदर्शन सही रहा। उसके बाद ग्राउंड स्टेशन से संपर्क टूट गया।

इसरो चेयरमैन के सिवन के मुताबिक 2.1 किमी की ऊंचाई तक लैंडर का प्रदर्शन सही रहा। उसके बाद ग्राउंड स्टेशन से संपर्क टूट गया।

इसरो चेयरमैन के सिवन के मुताबिक 2.1 किमी की ऊंचाई तक लैंडर का प्रदर्शन सही रहा। उसके बाद ग्राउंड स्टेशन से संपर्क टूट गया।
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335 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचने का आखिरी टेलीमेट्री डेटा मिला था।

335 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचने का आखिरी टेलीमेट्री डेटा मिला था।

335 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचने का आखिरी टेलीमेट्री डेटा मिला था।
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लैंडर के नीचे गिरने की गति 48.1 मीटर प्रति सेकंड थी। यह रफ्तार शून्य होनी चाहिए थी। वर्टिकल गति 59 मीटर प्रति सेकंड थी।

लैंडर के नीचे गिरने की गति 48.1 मीटर प्रति सेकंड थी। यह रफ्तार शून्य होनी चाहिए थी। वर्टिकल गति 59 मीटर प्रति सेकंड थी।

लैंडर के नीचे गिरने की गति 48.1 मीटर प्रति सेकंड थी। यह रफ्तार शून्य होनी चाहिए थी। वर्टिकल गति 59 मीटर प्रति सेकंड थी।
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चंद्रयान-2 के लिए इस्ट्रैक सेंटर में तालियां बज रही थीं। जैसे ही विक्रम लैंडर से संपर्क टूटा, खामोशी छा गई।

चंद्रयान-2 के लिए इस्ट्रैक सेंटर में तालियां बज रही थीं। जैसे ही विक्रम लैंडर से संपर्क टूटा, खामोशी छा गई।

चंद्रयान-2 के लिए इस्ट्रैक सेंटर में तालियां बज रही थीं। जैसे ही विक्रम लैंडर से संपर्क टूटा, खामोशी छा गई।
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