IAS बनने के सपने में असफलता के बाद डिप्रेशन में जाने वाली प्रियंका पासवान ने अपने पति की सलाह से नई राह पकड़ी। अब वह एक सफल इंटरप्रेन्योर हैं और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए एनजीओ के जरिए रोजगार प्रदान कर रही हैं।
नई दिल्ली। दिल्ली की रहने वाली प्रियंका पासवान जैन की कहानी हर उस शख्स को इंस्पायर करती है, जिसने अपनी लाइफ में फेलियर का सामना किया है, लेकिन हार नहीं मानी। हालांकि प्रियंका का आईएएस बनने का सपना अधूरा रहने के बाद वह डिप्रेशन में चली गई थीं, लेकिन पति की सलाह से उन्हें एक नई दिशा मिली और अब वह एक सक्सेसफुल इंटरप्रेन्योर हैं। प्रियंका ने न केवल खुद को बदला बल्कि कई महिलाओं की ज़िंदगी को भी बदलने का काम कर रही हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में।
UPSC में बार-बार फेलियर से डिप्रेशन
प्रियंका पासवान मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखती हैं। साल 2009 में उन्होंने दिल्ली में IAS अधिकारी बनने का सपना लेकर कदम रखा। UPSC की परीक्षा में सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत की और कई साल तक तैयारी में जुटी रहीं। साल 2009 से लेकर 2013 तक उन्होंने चार बार प्रयास किया, फिर भी सफल नहीं हो सकीं। बार-बार असफलता से वह इतने तनाव में आ गईं कि उनका सेल्फ कांफिडेंस हिल गया। गहरे अवसाद में चली गईं।
पति की सलाह बनी टर्निंग पॉइंट
इस मुश्किल वक्त में प्रियंका की लाइफ में उनके पति ने एक बड़ा रोल निभाया। उन्होंने प्रियंका से कहा, "अगर समाज की सेवा करना ही तुम्हारा मकसद है, तो इसके लिए सिर्फ आईएएस बनना ही जरुरी नहीं है। तुम एक एनजीओ के माध्यम से भी समाज की भलाई कर सकती हो।" यह बात प्रियंका के दिल को छू गई और उन्होंने अपने पति की सलाह पर अमल करने का निर्णय लिया।
2015-2016 में पति के साथ मिलकर एनजीओ की शुरुआत
साल 2015-2016 के बीच प्रियंका ने अपने पति के साथ मिलकर एक एनजीओ की शुरुआत की। इस एनजीओ का मकसद था महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना। प्रियंका ने महसूस किया कि समाज में तमाम महिलाएं आर्थिक रूप से कमजोर हैं और अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। उन्होंने इन महिलाओं को रोजगार देने का फैसला किया और एनजीओ के तहत सिलाई, कढ़ाई और ब्यूटी पार्लर के कोर्सेज़ शुरू किए।
ब्यूटी पार्लर, सिलाई और कढ़ाई जैसे स्किल सिखाए
प्रियंका के एनजीओ में महिलाओं को ब्यूटी पार्लर, सिलाई और कढ़ाई जैसे स्किल सिखाए जाते हैं। जहां बाहर इन कोर्सेज़ की फीस लाखों में होती है, वहीं प्रियंका की संस्था में यह कोर्स केवल 300 रुपए में सिखाया जाता है। अब तक 40 बैच की महिलाएं इस एनजीओ से ट्रेनिंग ले चुकी हैं और कई महिलाएं अपने-अपने पार्लर खोलकर अच्छा पैसा कमा रही हैं। इसके अलावा, कुछ महिलाएं घर पर ही सिलाई-कढ़ाई का काम कर रही हैं और कमाई कर रही हैं।
सोशल वर्क के लिए न रहें सरकार के भरोसे
हालांकि प्रियंका की एनजीओ को सरकार से कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है। फिर भी उन्होंने अपने कदम पीछे नहीं हटाए। वह अपनी एनजीओ को बेहतर बनाने के लिए फंड के लिए आवेदन कर रही हैं, ताकि अधिक महिलाओं और बच्चों की मदद की जा सके। प्रियंका का कहना है कि "समाज सेवा के लिए हमें सरकार के भरोसे नहीं रहना चाहिए, अगर हमारी इच्छा सच्ची है तो हमें अपने संसाधनों से शुरुआत करनी चाहिए।"
Last Updated Oct 23, 2024, 11:58 AM IST