मुश्किल हालात इंसान को बहुत कुछ सिखाते हैं। कुछ लोग इस से हार जाते हैं और कुछ लोग इससे लड़ते रहते हैं। गाजियाबाद की पूनम का जीवन मिसाल है उनके पति को जब फालिज हुआ तो पूनम ने बाइक रिपेयरिंग का काम शुरू किया। आज वह अपना घर, बच्चे और दुकान सब में बेहतरीन तरीके से सामंजस्य बिठाए हुए हैं और एक आत्मनिर्भर महिला की तरह अपना घर संभाल रही है।
लखनऊ। पूनम जब अपने हाथ में औजार लेकर गाड़ियों के पार्ट्स सही करती हैं तो गुजरने वाले उन्हें रुक कर देखते जरुर हैं। कुछ लोग उनकी तारीफ करते हैं और कुछ लोग उनके इस काम को अजीब समझते हैं, अजीब इसलिए समझते हैं क्योंकि उन्हें यकीन नहीं होता है कि एक महिला गाड़ी रिपेयरिंग करने का काम कैसे कर सकती हैं। कौन है पूनम क्यों वह बाइक रिपेयरिंग का काम करती हैं अपनी कहानी माय नेशन हिंदी से स्वयं पूनम ने बताई।
कौन है पूनम
पूनम गाजियाबाद के पटेल नगर में रहती हैं। उनके पति राजेश एक निजी कंपनी में मोटर मैकेनिक थे। पूनम एक ग्रहणी हैं और उनके दो बच्चे हैं । हर घर गृहस्थ औरत की तरह उनका जीवन अपने बच्चों और पति के लिए सेवा भाव से गुजर रहा था लेकिन एक दिन पूनम की जिंदगी पूरे तौर पर बदल गई।
कोविड ने छीन ली पति की नौकरी
पूनम कहती हैं साल 2020 हमारे लिए इम्तिहान लेकर आया था। लॉकडाउन की घोषणा होते ही मेरे पति की नौकरी चली गई। एक मोटर मैकेनिक कितना कमाता है यह स्पष्ट है। घर का खर्च तो चलाना ही था तो सोचा कि घर में ही एक मोटर मैकेनिक की दुकान खोली जाए लेकिन तभी हस्बैंड को पैरालिसिस अटैक आ गया। कई जगह इलाज कराया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जो कुछ सेविंग थी वह सब खत्म हो गई । बच्चों के स्कूल की फीस जमा करना मुश्किल हो गया। पैरालिसिस अटैक की वजह से राजेश के दाहिने हाथ में काम करना बंद कर दिया। हमारे घर में दो टाइम का खाना मिलना भी मुश्किल हो गया।
पूनम ने उठाई घर की जिम्मेदारी
पूनम कहती हैं मैं परेशान जरूर थी लेकिन यह सोच लिया था की हिम्मत नहीं हारना है। पटेल नगर में ही पूनम ने एक छोटी सी बाइक रिपेयरिंग की दुकान खोल लिया। धीरे-धीरे बाइक मैकेनिक का काम सीखना शुरू किया जहां कहीं दिक्कत होती है पति राजेश बता देते। राजेश दिनभर पूनम के साथ दुकान पर ही रहते। धीरे-धीरे पूनम बाइक रिपेयरिंग में एक्सपर्ट हो गईं। अब पूनम दुकान और घर दोनों संभालने लगी।
सुबह 5:00 से शुरू होता है पूनम का काम
पूनम कहती हैं अब मेरे पास घर और बाहर दोनों की जिम्मेदारी थी मुझे दो किरदार निभाने थे। इसलिए सुबह उठ करके सबसे पहले बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करती हूं। उनका नाश्ता बनाती हूं स्कूल भेजने के बाद सीधे दुकान पर जाती हूं। दिन भर वहां आने वाले ग्राहकों की बाइक रिपेयर करती हूं। बच्चे जब स्कूल से आते हैं तो घर वापस जाती हूं फिर लौटकर दुकान आ जाती हूं। मकान दुकान दोनों को संभालने में दिक्कत जरूर आती है लेकिन घर का खर्च आराम से चल जाता है।
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Last Updated Dec 23, 2023, 11:55 PM IST