नागपुर। नागपुर, महाराष्ट्र के रहने वाले सूरज करवड़े ने पढ़ाई के बाद नौकरियों के लिए कई जगह ट्राय किया। पर उन्हें नौकरी नहीं मिली तो व्हीलचेयर पर समोसे बेचने लगे। सुबह कॉम्पिटिटिव एग्जाम की पढ़ाई करते हैं। माई नेशन हिंदी से बात करते हुए सूरज कहते हैं कि समोसे बेचते हुए करीबन ढाई साल हो गए। पापा कुक हैं। वही समोसे बनाकर देते हैं और मैं बेचता हूॅं। 

जॉब के लिए बात की तो जवाब मिला-आप काम नहीं कर सकते

सूरज ने नागपुर यूनिवर्सिटी से बीएससी किया है। वह कहते हैं कि पढ़ाई पूरी होने के बाद दो-चार कम्पनियों में जॉब पाने की कोशिश की। सभी जगह से निगेटिव रिस्पांस आया कि आप काम नहीं कर सकते। शॉप वगैरह पर भी काम के लिए ट्राय किया। पर कहीं सफलता नहीं मिली तो सोचा कि अब क्या करूं। तब सूरज ने घर में बातचीत की और फिर समोसे बेचने का काम शुरु किया। 
 
बैंकिंग, रेलवे प्रतियोगी परीक्षाओं की कर रहें तैयारी

कॉम्पिटिटिव एग्जाम के बारे में सूरज कहते हैं कि बैंकिंग, रेलवे वगैरह की नौकरियों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा हूॅं। सिविल सर्विस का एग्जाम बहुत टफ होता है। दिव्यांगता को वह अपने कॅरियर के आड़े नहीं आने देना चाहते हैं। उन्होंने कंप्यूटर के बेसिक कोर्स के अलावा हार्डवेयर और टेली कोर्स भी किए हैं। नौकरी नहीं मिलने पर मायूस होकर घर बैठने के बजाए कमाई का जरिया ढूंढ़ निकाला। बचपन से दिव्यांग सूरज ने कमजोरी को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। 

सदर बाजार और गड्डीगोदाम एरिया में बेचते हैं समोसे

दरअसल, कुक का काम करने वाले सूरज के पिता का काम छूट गया। फिर वह शाम का समय घर पर ही गुजारने लगे। तभी सूरज ने अपने पिता से समोसे बनाने को कहा। समोसों को बेचने की जिम्मेदारी खुद उठाई। नागपुर के सदर बाजार और गड्डीगोदाम एरिया में सूरज आपको शाम के समय समोसे बेचते हुए दिख जाएंगे। हमने जब सूरज से सम्पर्क किया। तब भी वह समोसे ही बेच रहे थे। वह समोसों के साथ प्याज और मिर्च पेश करते हैं।

शुरुआत में हुई मुश्किल, अब करते हैं कमाई

सूरज एक समोसा 15 रुपये में बेचते हैं। उनके डेली 60 से 70 प्लेट समोसे बिक जाते हैं। शुरुआती दिनों में उन्हें समोसे बेचने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। अब वह समोसे बेचकर कमाई कर रहे हैं और अपनी पढ़ाई का खर्च भी खुद निकाल रहे हैं। सूरज समोसों की क्वालिटी का खास ख्याल रखते हैं। वह नहीं चाहते हैं कि उनके समोसे खाकर ग्राहकों की सेहत बिगड़े। उन्होंने अपने व्हीलचेयर में एक स्पीकर भी लगाया है। जिसके जरिए वह समोसे बेचते हैं।

ये भी पढें-पॉल्यूशन से स्कूल बंद हुए तो इस 'ग्रीन-कपल' ने शुरु किया अनोखा काम, जानें वृक्षायुर्वेद से कैसे बचाए...