Success Story: यूपी के कुशीनगर के हरिहरपुर गांव के रहने वाले रवि प्रसाद भी आम लोगों की तरह पढ़ाई के बाद (बीए करने के बाद) रोजगार की तलाश में दिल्ली गए। माय नेशन हिंदी से बात करते हुए वह कहते हैं कि एक दिन उनके दोस्त ने बताया कि प्रगति मैदान में इंटरनेशनल फेयर लगा हुआ है। वहां रोजगार के नये अवसर दिखाते हैं। वहां पहुंचा तो एक स्टॉल पर देखा कि केले के पेड़ से रेशे निकालने की मशीन लगी थी। उससे हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट के आइटम बना रहे थे। आर्गेनिक कंपोस्ट खाद और 'बनाना वॉटर' निकाल कर दिखा रहे थे तो मैंने सोचा कि अगर वह लोग यह काम कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं? 

ऐसे समझ आई 'वेस्ट' की कीमत

रवि प्रसाद को अपने जिले में यह काम करना आसान लगा, क्योंकि इलाके में लगभग 27 हजार हेक्टेयर में केले की खेती होती है। किसान केले की कटाई के बाद पेड़ के तनों को फेंक देते थे। यहीं रवि को केले के तनों का यूज समझ आया। उससे निकलने वाले बनाना फाइबर (Banana Fiber) की कीमत समझ आई। 

काम सीखना भी नहीं था आसान, कैसे बने हुनरमंद?

उन्होंने स्टॉल लगाने वाले बिजनेसमैन से बनाना फाइबर निकालने की कला सिखाने का आग्रह किया। व्यवसायी भी तैयार हो गया और उन्हें कोयंबटूर से 160 किमी दूर एक गांव में बुलाया और लगभग एक महीने तक केला फाइबर से प्रोडक्ट बनाने की ट्रेनिंग दी। हालांकि उस दरम्यान भाषा की दिक्कत की वजह से उन्हें चीजों को समझने में दिक्कत होती थी। रवि कहते हैं कि उन्हीं में से एक शख्स टूटी-फूटी हिंदी बोल लेता था। उससे चीजों को समझने में मदद मिली।

 

एक बारगी लगा कि खत्म हो गया सपना

साल 2018 में साउथ इंडिया में ट्रेनिंग लेने के बाद वह अपना काम शुरु करने का फैसला कर गांव लौटें। अब समस्या पूंजी की थी। कुशीनगर में प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत लोन के लिए अप्लाई किया। लोन मिलना भी आसान नहीं था। एक बारगी तो उन्हें लगा कि पूंजी के अभाव में सपना खत्म हो गया। कुछ समय बाद 5 लाख का लोन स्वीकृत हुआ तो उन्होंने अपना बिजनेस शुरु किया।  

...इस तरह 'बनाना फाइबर' बना कुशीनगर जिले की पहचान

रवि प्रसाद कहते हैं कि आसपास के किसानों से उन्हें केले के पेड़ मिल जाते हैं। उसी से उन्होंने अपने हैंडीक्राफ्ट बिजनेस का सफर शुरु कर दिया। उसी समय साल 2018 में यूपी सरकार ने ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ (ODOP) योजना शुरु की थी। उसके जरिए उन्हें मदद मिली और बनाना फाइबर कुशीनगर की पहचान बन गया। अब उन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर के मेलों में स्टॉल लगाने का मौका भी मिलता है। 

700 महिलाओं को 'बनाना फाइबर' की ट्रेनिंग

अब रवि प्रसाद को सरकार की तरफ से भी मदद मिलने लगी। महिलाओं की 10-10 दिन की ट्रेनिंग का सेशन शुरु हो गया। महिलाओं को चाय-नाश्ते के साथ डेली 200 रुपये मानदेय के हिसाब से 10 दिन का 2000 रुपये मिलने लगा। ट्रेनिंग के बाद सर्टिफिकेट और काम शुरु करने के लिए मदद मिलने लगी। अब तक वह 700 महिलाओं को बनाना फाइबर बनाने की ट्रेनिंग दे चुके हैं।

कैसे करते हैं मार्केटिंग?

रवि प्रसाद कहते हैं कि उनका सामान आनलाइन बिक जाता है। मेलों में स्टॉल लगाते हैं तो वहां होलसेल व्यवसायी ​संपर्क में आते हैं। उनका आर्डर मिलता है। अभी पूजा आसन और योगा मैट के काफी आर्डर मिल रहे हैं। उन्हें जो आर्डर मिलता है, ज्यादातर वह महिलाओं को बनाने के लिए देते हैं। बनाना फाइबर की टेक्सटाइल कंपनियों में भी डिमांड है। साल 2021 में उन्हें राज्य स्तरीय पुरस्कार भी मिल चुका है। महीने भर में लगभग 2 से 2.5 लाख रुपये के उत्‍पादों की बिक्री हो जाती है। 

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