मुंबई। मुंबई के नित्यानंद शर्मा सड़कों को गड्ढामुक्त करने के लिए अनोखा अभियान चला रहे हैं। आप भी सुनकर सरप्राइज हो जाएंगे। गड्ढों के पास अपने साथियों के साथ खड़े होकर वह शंखनाद करते हैं। शंखनाद की आवाज से बीएमसी के अफसरों की नींद टूटती है और गड्ढे भरे जाते हैं। माई नेशन हिंदी से बात करते हुए नित्यानंद शर्मा कहते हैं कि लोगों की परेशानियों को देखते हुए 'आत्मसम्मान मंच' का गठन कर जुलाई 2022 से यह काम शुरु किया। आलम यह है कि अब लोग कॉल करके बुलाते हैं और हम गड्ढों के पास शंखनाद करके उनकी परेशानियों की तरफ बीएमसी का ध्यान आकृष्ट करते हैं। 

...इस वजह से आया शंखनाद का आइडिया

आत्मसम्मान मंच के अध्यक्ष नित्यानंद शर्मा कहते हैं कि गड्ढों (Potholes) की वजह से मुम्बईकरो का कीमती समय बरबाद तो होता ही है, अक्सर दुर्घटनाओं का भी खतरा बना रहता है। एक दिन जूहू की तरफ से निकल रहे थे, तो देखा की सड़कों में बहुत गड्ढे हैं। उनके मन में सड़कों का उद्धार कर मुबइकरों का जीवन आसान बनाने का विचार आया। नित्यानंद कहते हैं कि अफसरों को लेटर लिखना और प्रशासन के सामने विरोध प्रदर्शन आम बात है। खुद से ही सवाल भी पूछा कि ऐसा क्या किया जाए कि यह परेशानी हल हो? एकाएक जेहन में शंख बजाने का आइडिया आया और फिर वहीं से शंखनाद अभियान शुरु हुआ। 

प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य प्रकाश इंडियन टाटा ने शंख बजाकर की थी शुरुआत

शंखनाद अभियान की शुरुआत भी मुंबई के जुहू इलाके से हुई। प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य प्रकाश इंडियन टाटा ने शंख बजाकर शुरुआत की थी। शंखनाद भी ऐसा हुआ कि उसकी आवाज बीएमसी तक पहुंची। सोशल मीडिया पर शंखनाद का वीडियो वायरल हुआ। अब लोग नित्यानंद को शंखनाद के लिए कॉल करके बुलाने लगे। आलम यह हो गया कि पुलिस स्टेशन में भी कुछ होता था तो लोग नित्यानंद को कॉल कर कहते थे कि यहां आकर शंख बजाओ। जिन्हें उनका नाम नहीं पता होता था, वह नित्यानंद शर्मा को शंखनाद नाम से बुलाने लगे।

 

शंखनाद ने तोड़ी बीएमसी अफसरों की नींद

बहरहाल, उनके शंखनाद से बीएमसी के अफसरों की तंद्रा टूटी। सड़क के गड्ढे भरे गए। फिर इस अभियान ने जोर पकड़ लिया। नित्यानंद अब तक लगभग 500 से ज्यादा गड्ढों का उद्धार करने को शंखनाद कर चुके हैं। नित्यानंद कहते हैं कि जहां एक बार शंखनाद करते हैं। दो से तीन दिन बाद फिर उस इलाके में जाकर देखते हैं कि गड्ढे भरे या नहीं। यदि गड्ढे नहीं भरे होते हैं तो फिर वहां शंखनाद करते हैं।

नित्यानंद को परास्त करने की साजिश विफल 

यह काम इतना आसान भी नहीं था। शंखनाद अभियान की वजह से नित्यानंद शर्मा बीएमसी के अफसरों को खटकने लगे। उधर, नित्यानंद आम लोगों के लिए नि:स्वार्थ भाव से काम करने में लगे रहें। उन्हें आम लोगों का समर्थन मिलना प्राप्त हुआ तो फिर विरोधियों की नित्यानंद को परास्त करने की साजिश विफल हुई।

 

कॉलेज के दिनों से थी सामाजिक कार्यों में रूचि

नित्यानंद शर्मा की कॉलेज के दिनों से ही सामाजिक कार्यों में रूचि थी। पढ़ाई के दौरान यूथ पर्लियामेंट में नेशनल प्राइज भी मिला। उन्हें लोगों की खुले दिल से मदद करना भाता था। चाहे लोगों के इलाज का मामला हो या फिर रोजमर्रा के जीवन में आने वाली अन्य परेशानियों से राहत पाने की दरकार। नित्यानंद कहते हैं कि वह लोगों की परेशानियों को दूर करने की कोशिश करते थे। इसकी प्रेरणा उन्हें अपने पिता राम जतन शर्मा (शिक्षक) और मां पुष्पा शर्मा से मिली। 

ये मामले भी उठाएं

नित्यानंद शर्मा ने कामकाजी महिलाओं को पीरिएड के दौरान छुट्टी देने का मामला भी उठाया है। इस बाबत सरकार को पत्र भी लिख चुके हैं। चर्चित श्रद्धा हत्याकांड के बाद लिवइन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों की डिटेल सोसाइटी में पंजीकृत कराने का भी मामला उठा चुके हैं।

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