बाराबंकी। यूपी के किसान सत्येंद्र वर्मा ने बाराबंकी जिले में सबसे पहले स्ट्राबेरी की खेती करनी शुरु की थी। वह भी उस समय जब उन्हें पता नहीं था कि स्ट्राबेरी की खेती कैसे की जाती है? खेती में किन-किन चीजों का ध्यान रखा जाता है। माई नेशन हिंदी से बातचीत में सत्येंद्र कहते हैं कि शुरुआती दिनों में उपज बेचने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। खुद ही व्यापारियों को स्ट्राबेरी के फायदे बताते थे। अब हर साल प्रति एकड़ 5 लाख रुपये की कमाई होती है। उनको देखकर आसपास के जिलों के किसानों ने भी स्ट्राबेरी की खेती शुरु कर दी। उन्हें जिले के प्रगतिशील किसान के रूप में जाना जाता है।

हिमाचल से लाए पौधे, गांव में शुरु कर दी स्ट्राबेरी फार्मिंग

बाराबंकी के बरबसौली गांव के रहने वाले सत्येंद्र वर्मा को प्राइवेट जॉब अच्छी नहीं लगती थी। उनका मन अपना काम करने का था। एक बार टूर के दौरान हिमाचल प्रदेश में  उन्हें स्ट्राबेरी की खेती के बारे में पता चला। वहीं से पौधे लेकर आए और गांव में अपनी जमीन पर स्ट्राबेरी की खेती शुरु कर दी। उन्होंने ने 14 साल पहले एक बिस्वा जमीन से स्ट्राबेरी की खेती शुरु की थी। अब वह 5 एकड़ में स्ट्राबेरी फार्मिंग करते हैं।

पहले साल नहीं हुआ नुकसान तो यकीन हुआ पक्का

सत्येंद्र कहते हैं कि स्ट्राबेरी की खेती करने से पहले इसके बारे में नहीं जानता था। ​फिर भी इस खेती में स्कोप देखा तो पौधे बेचने वाले शख्स से जानकारी ली तो उसने बताया कि इस पौधे को कहीं भी लगाया जा सकता है। बरहाल, हिमाचल प्रदेश से पौधे लेकर गांव आया और अपनी जमीन पर प्रयोग शुरु कर दिया। पहले साल ही स्ट्राबेरी की खेती से इतनी कमाई हुई कि नुकसान नहीं हुआ तो पक्का यकीन हो गया कि इस काम में स्कोप है। 

पहली बार 5000 रुपये की कमाई

सत्येंद्र कहते हैं कि शुरुआती दिनों में स्ट्राबेरी की फसल बेचने के लिए मार्केट नहीं था। खुद ही दुकानदारों, फल व्यापारियों के पास जाकर इसकी खासियत बतानी पड़ती थी। उनकी यह मुहीम रंग लाई। धीरे-धीरे लोगों ने स्ट्राबेरी परचेज करना शुरु किया और स्थानीय मार्केट में इसकी डिमांड बढ़ गई। पहली बार उपज की 10 फीसदी फसल बिकी तो 5000 रुपये की कमाई हुई। फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

एक एकड़ फसल 20 से 21 लाख में बिकी

स्ट्राबेरी की एक एकड़ फसल में करीबन 7 लाख रुपये की लागत आती है। पौधों की लागत ढाई लाख रुपये तक हो सकती है। लेबर और खेती में यूज होने वाले मैटेरियल भी धीरे-धीरे यूज किए जाते हैं। सत्येंद्र कहते हैं कि फसल लगाने वाले को घाटा होने की संभावना नहीं होती है। एक समय ऐसा भी था, जब उन्होंने एक एकड़ स्ट्राबेरी की फसल की 20 से 21 लाख में बिक्री की। औसतन प्रति एकड़ 5 लाख रुपये से ज्यादा बचत की।

बारिश पर डिपेंड है यह फसल

सत्येंद्र कहते हैं कि स्ट्राबेरी की रोपाई 15 सितम्बर से 5 अक्टूबर के बीच की जाती है। यह फसल बारिश पर निर्भर है। एक पौधे से लगभग 700 से 800 ग्राम स्ट्राबेरी प्राप्त होता है। उन्होंने जब खेती शुरु की थी। उस समय इंटरनेट की गांव-गांव में पहुंच आसान नहीं थी। अब हर हाथ में मोबाइल है। नेट के जरिए कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकता है। मैंने तो स्ट्राबेरी की खेती करने वाले लोगों तक पहुंचकर जानकारी एकत्रित की थी।

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