नोएडा। उत्तराखंड के रहने वाले 23 वर्षीय उज्ज्वल नेगी कम उम्र में ड्रग एडिक्ट हो गए। आलम यह था कि 2 बार सुसाइड की कोशिश भी की। अब उनकी जिंदगी ऐसी बदली है कि नशा बीते जमाने की बात हो चुकी है। ड्रग एडिक्शन छोड़कर नॉमर्ल लाइफ इंज्वाय कर रहे हैं। नोएडा में रिहैबिलिटेशन सेंटर चलाते हैं। माय नेशन हिंदी से बात करते हुए वह कहते हैं कि नशे की लत के दौरान मॉं के आंसू नहीं दिख रहे थे। अब किसी के मॉं के आंसू देखता हूॅं, तो दुख होता है। 

3 साल की उम्र में पिता पैरालाइज

उज्ज्वल नेगी के मम्मी-पापा उत्तराखंड में सरकारी टीचर हैं। वह कहते हैं कि 3 साल की उम्र में पिताजी का एक्सीडेंट हो गया। जिसकी वजह से वह पैरालाइज हो गएं। एक बहन थी। परिवार का ध्यान रखने के लिए सिर्फ मॉं ही बची। उन्हें परिवार भी चलाना था और ​पिताजी का भी ख्याल रखना था। इसकी वजह से परिवार का ध्यान मेरे ऊपर से हटा तो मैं बाहर की दुनिया में अटेंशन ढूंढ़ने लगा और निगेटिव चीजों की तरफ अट्रैक्ट हुआ।

बॉलीवुड के चरित्रों को कॉपी करता है यूथ

उज्ज्वल नेगी कहते हैं कि यूथ बॉलीवुड से प्रभावित होता है। मूवी के नायकों की तरह बनने की कोशिश करता है। कुछ मूवी में ऐसा दिखाया जाता है कि हीरो प्यार में नाकाम होने पर नशे का आदी हो जाता है। ठीक वैसा ही युवा पीढ़ी कॉपी करने की कोशिश करती है। ध्यान दीजिए तो आप पाएंगे कि ज्यादातर यूथ के बीच बॉलीवुड एक्टर और एक्ट्रेस की बातें होती हैं। यूथ यह नहीं समझ पाता है कि यह फिल्मे हमारे मनोरंजन के लिए बनाई गई हैं। मेरे अंदर भी एक बचपना था। 

17 की उम्र में रिहैबिलिटेशन सेंटर में एडमिट

उज्ज्वल कहते हैं कि जब वह नशे की लत के आदी हो रहे थे। तब उनकी उम्र काफी कम थी। पहले स्मोकिंग शुरु की। फिर गांजा, स्मैक व अन्य नशीले पदार्थ ट्रॉय किए। नशे की वजह से उनकी हालत इतनी खराब हो गई थी कि उन्होंने दो बार सुसाइड अटेम्पट भी किया। थक हारकर अंत में घर वालों ने उन्हें एक रिहैबिलिटेशन सेंटर में एडमिट कराया। तब उनकी उम्र 17 साल थी। 6 से 7 महीने ट्रीटमेंट लेने के बाद अब वह नशे की दुनिया से बाहर निकले और एक सामान्य जिंदगी ​जीनी शुरु की।

रिहैब सेंटर से निकलकर शुरु की पढ़ाई

उसके बाद उज्ज्वल नेगी ने 12वीं की परीक्षा पास की, बीएसडब्लू किया। एमएसडब्लू का फाइनल एग्जाम भी दे चुके हैं। रिहैबिलिटेशन सेंटर से निकलने के बाद से ही उनके मन में खुद का नशा मुक्ति केंद्र खोलने की इच्छा जगी। पर काम शुरु करने से पहले उसके बारे में सीखना ज्यादा जरूरी होता है तो उन्होंने रिहैबिलिटेशन सेंटर्स में काम किया। फिर 2022 में नोएडा में खुद का रिहैबिलिटेशन सेंटर शुरु कर दिया। 

नशे की लत के दौरान और अब की लाइफ अलग

उज्ज्वल कहते हैं कि अब मेरी मॉं भी गर्व से कहती हैं कि मेरा बेटा यह काम कर रहा है। नशे की लत के दौरान, रिहैबिलिटेशन सेंटर और उसके बाद की लाइफ अलग-अलग दिखी। पहले फ्रेंड सर्किल भी अजीब सी बन गई थी। जो लोग नशे के आदी होते हैं। उनकी पर्सनॉलिटी इतनी निगेटिव हो जाती है कि लोग उन्हें पसंद नहीं करते। नशे के बाहर की दुनिया बहुत ही सुनहरी है। 

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