नयी दिल्ली। गुजरात के अहमदाबाद में जन्मे जयंती कनानी का बचपन बेहद गरीबी में गुजरा। परिवार आर्थिक रूप से इतना कमजोर था कि लड़के की फीस भरने तक के पैसे नहीं थे। फिर भी वह लड़का किसी तरह पढ़ाई पूरी कर 6000 रुपये में नौकरी करने लगा। उसी दरम्यान जयंती की मुलाकात कुछ युवकों से हुई। बाद में उनके बीच अच्छी दोस्ती हो गई। उन्हीं 3 दोस्तों ने मिलकर पॉलीगॉन कम्पनी की नींव रखी। धीरे-धीरे कंपनी आगे बढ़ी। वर्तमान में पॉलीगॉन (PolyGon) हजारो करोड़ की कम्पनी में तब्दील हो चुकी है।

पिता डायमंड फैक्ट्री में थे मजदूर

जयंती कनानी का परिवार गुजरात स्थित अहमदाबाद के एक छोटे से फ्लैट में रहता था। पिता मजदूर थे, एक डायमंड फैक्ट्री में काम करते थे। परिवार की आर्थिक स्थित नाजुक थी। आलम यह था कि जयंती की स्कूल फीस जमा कर पाने में भी पिता सक्षम नहीं थे। इसकी भी खास वजह थी। उन्होंने अपनी बेटी की शादी के लिए कर्ज लिया था। उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा लोन चुकाने चला जाता था। 

इंजीनियरिंग की डिग्री के बाद 6000 रुपये में नौकरी

बहरहाल, जयंती कनानी ने किसी तरह स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद नडियाद के धर्मसिंह देसाई विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की डिग्री ली। उसके बाद जंयती को 6000 रुपए महीने सैलरी वाली जॉब मिल गई तो परिवार को थोड़ी तसल्ली हुई। पर यह रकम परिवार चलाने के लिए काफी कम थी। उन्होंने दूसरी नौकरी तलाशी और फिर एक कम्पनी में डाटा एनालिस्ट के रूप में कार्य करने लगे। इसी दरम्यान उनकी मुलाकात कुछ लोगों से हुई, जो उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट बन गया।

2017 में शुरू की पॉलीगॉन

दरअसल, डाटा एनालिस्ट के तौर पर काम करने के दौरान जयंती की मुलाकात संदीप नेलवाल और अनुराग अर्जुन से हुई। तीनों अमीर बनना चाहते थे और इसी मकसद से कुछ बड़ा करने की योजना बनाने की सोच रहे थे। साल 2017 में उन्हीं तीनों दोस्तों ने पॉलीगॉन कम्पनी की शुरूआत की और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देख। समय के साथ कम्पनी ने भी तेजी से तरक्की की और बिजनेस की दुनिया में अपना नाम खड़ा कर दिया। 

पॉलीगॉन की वैल्यू 55 हजार करोड़ रुपये

रिपोर्ट्स के अनुसार, वर्तमान में इस ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी कंपनी (पॉलीगॉन) की वैल्यू 55 हजार करोड़ से ज्यादा है, जो भारत के बाहर भी लोकप्रिय है। कम्पनी में अमेरिकी अरबपति मार्क क्यूबन ने भी इंवेस्ट किया है। जयंती कनानी पॉलीगॉन कंपनी के सीईओ और को-फाउंडर हैं, जबकि संदीप नेलवाल और अनुराज अर्जुन को-फाउंडर हैं। इसे  मैटिक नेटवर्क के नाम से पहचाना जाता था।

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