लखनऊ. टमाटर के दाम बढ़े तो लोगों के  किचन से टमाटर गायब हो गए। होटल हो रेस्टोरेंट हो या फिर ढाबा, हर जगह से टमाटर नदारद  हो गया, लेकिन लखनऊ में वीके पांडे ने टमाटर की महंगाई को लेकर कोई शिकायत करने के बजाय अपने घर के गमलों में ढाई क्विंटल टमाटर उगा दिया। माय नेशन हिंदी से वीके पांडेय  ने अपने विचार साझा किया।

कौन है वीके पांडेय 
वीके पांडेय  लखनऊ के गोमती नगर में रहते हैं। पेस्टिसाइड कंपनी में जीएम है । परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं दोनों बच्चे दिल्ली में पढ़ते हैं। वीके  को हमेशा से ही गार्डनिंग का बहुत शौक था लेकिन शहर में जगह की कमी रहती है इसलिए उन्होंने अपने घर में ही गमले में गार्डनिंग करना शुरू किया। घर के पोर्च बालकनी छत हर जगह गमले ही गमले हैं और हर गमले में विभिन्न प्रकार की सब्जियां हैं। सबसे बड़ी बात की वीके पांडेय अपनी उगाई हुई सब्जियां रिश्तेदार और आस-पड़ोस के लोगों को भी बांटते हैं इसलिए इनकी कॉलोनी के लोग इनसे बेइंतहा प्रेम करते हैं। वही वीके पांडेय ने यह बताया कि उन्होंने पिछले 30 साल से सब्जी खरीदी नहीं है अपने घर की उगाई सब्जी को ही किचन में इस्तेमाल करते हैं।

 

ढाई कुंतल टमाटर उगा दिए गमले में
टमाटर को लेकर भी वीके पांडेय  ने एक्सपेरिमेंट किया उन्होंने कहा कि टमाटर उगाने का सीजन नवंबर से लेकर जून तक रहता है। और टमाटर के रेट लगातार घट बढ़ रहे थे। इसलिए पांडे जी ने 50, 60 गमलों में सिर्फ टमाटर लगा दिया। पूरे साल उनकी देखरेख किया जिसका फल उन्हें मिला और उनके घर के  गमलों से लगभग ढाई कुंतल टमाटर निकला। यह पूछने पर कि इतने टमाटर  का क्या किया,वह बताते हैं टमाटर का रेट ज्यादा हो चुका था ऐसे में हमने आस पड़ोस के  लोगों को टमाटर दिया, रिश्तेदारों को दिया, दोस्त जो भी आए उनको दिया।  

 

घर की बालकनी में सिर्फ सब्जियां नजर आती
वीके पांडेय  के घर की बालकनी में दूर से ही सब्जियां नजर आती हैं । उन्होंने टमाटर के अलावा बैगन, खीरा, ककड़ी, कद्दू हरी मिर्च, करेला, नींबू समेत कई अन्य सब्जियां लगाए हैं इसके अलावा गमले में उन्होंने अमरूद और आम तक उगा दिए।हमसे बात करते हुए वीके पांडेय  ने बताया कि उन्हें हमेशा से ही बागवानी का शौक था पिछले 30 साल से वह इस काम को कर रहे हैं क्योंकि शहर में बाग बगीचों के लिए जगह कम हो चुकी है इसलिए वह अपने घर के सामने के पार्क में भी पेड़ पौधे सब्जियां वगैरह उगा देते हैं और उसकी साफ सफाई का ध्यान रखते। उनकी इस आदत से उनके पड़ोसी और कॉलोनी के लोग भी बहुत खुश रहते हैं।

 

गमलों में पानी डालने में लगते हैं दो से ढाई घंटे 

सब्जियों की देखभाल के बारे में वह कहते हैं सुबह-शाम पानी के अलावा खाद बदलना पड़ता है, दवाएं डालना होता है। कीट पतंगे से पेड़ पौधों को बचाना क्योंकि जहां पेड़ पौधे ज्यादा होते हैं वहां कीट पतंगे कीड़े, मकोड़े ज्यादा होते हैं इसलिए इन सब का ध्यान रखना होता है। घर में 600 से 700 गमले हैं। गर्मी के दिनों में दो टाइम पानी डालना होता है जाड़े के दिनों में एक टाइम। लेकिन पानी डालते डालते डेढ़ से 2 घंटा लग जाता है। बहुत समय देना होता है तब आपको इतना सुखद फल मिलता है। काम से फारिग होकर वीके पांडेय   का पूरा ध्यान अपने घर के गमले  पर ही रहता है।
 

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