गोंडा. एक समय था जब पुलिस का नाम सुनते ही लोग डर और दहशत में आ जाते थे। पुलिस का किसी के घर आना जाना अच्छा नहीं समझा जाता था लेकिन समय के साथ पुलिस का चेहरा भी बदला।  सोशल मीडिया ने भी पुलिस की छवि को बदलने में अहम भूमिका निभाई है।  इस बदलते दौर के एक पुलिसकर्मी हैं मोहम्मद जाफ़र हैं जिनकी तैनाती गोंडा के करनैल गंज की चचरी पुलिस चौकी में हैं। अपनी ड्यूटी से समय निकाल कर जाफर इलाके के गरीब बच्चों को पढ़ाते हैं,और इलाके के बच्चे उनको पुलिस सर जी कह कर सम्बोधित करते हैं।   माय नेशन हिंदी से जाफर ने अपने विचार साझा किये। 

कौन है मोहम्मद जाफर 

मोहम्मद जाफर का जन्म महाराज गंज में हुआ ,उनकी शुरुआती शिक्षा भी महाराजगंज के गांव में हुई। जाफ़र ने 12वीं  नौतनवा से पास किया और मैथ्स से बीएससी किया। जाफर कहते हैं आर्थिक तंगी के  कारण मेरा ग्रैजुएशन में फीस न जमा होने के कारण साल खराब हो चुका है। जाफर के पिता वसी अहमद टेलर हैं , मां इस्लामुन निसा हाउस वाइफ हैं। जाफ़र  चार भाई है। 2018  में ग्रैजुएशन कम्प्लीट करने के बाद जाफर यूपीएससी की तैयारी के लिए इलाहाबाद चले गए लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से इलाहबाद छोड़ना पड़ा। इसी दौरान पुलिस विभाग में नौकरी लग गयी। 

 

सैलरी भेजते हैं घर 

जाफर कहते हैं मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।  फरवरी में मेरी शादी हुई है। बड़े भाई ने हाल ही में कपडे की दुकान की है , दो छोटे भाई हैं जो पढाई कर रहे हैं। जो  सैलरी मिलती है उससे अपना खर्च निकाल कर घर भेज देता हूं। पहले के मुताबिक घर के हालात बेहतर हो चुके हैं लेकिन फिर भी बहुत संपन्न नहीं हैं। वालिद ने हमे पढ़ाने की पूरी कोशिश की,कई बार फीस जमा करने में दिक्क्त हुई, कॉपी किताब खरीदने के पैसे नहीं होते थे। आज जो भी हूं मां बाप की वजह से हूं। वो कहते हैं महराजगंज के गांव में एक छोटे से टेलर की कितनी आमदनी होगी , बस अंदाज़ा लगा लीजिये, किन किन कमियों में बचपन गुज़रा होगा। 

बच्चों को पढ़ाते हैं जाफर 

जाफर अपने इलाके में 'पुलिस सर ' के नाम से मशहूर हैं।  वो खाली वक़्त में आस पास के मज़दूरों के बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं। इस बारे में जाफर कहते हैं गांव के लोग गरीब है, कहां से अपने बच्चों को पढ़ाएंगे। मैंने सोचा खाली वक़्त में यही काम कर लूं। कल को इन बच्चों में से कोई कुछ बन गया तो मुझे दुआ देगा। जाफर बच्चों को  मैथ-इंग्लिश, साइंस और हिंदी  पढ़ाते हैं । अन्य स्कूलों में एडमिशन के लिए तैयारी भी करवाते हैं।  उनके स्कूल में नवोदय की तैयारी करने वाले भी बच्चे हैं. वहीं  चचरी गांव  के आलावा नकार, बालापुर और चंद्रभानपुर, दिव्यापुर और काशीपुर गांव के बच्चे भी पढ़ने आते हैं। 

पेड़ के नीचे लगती है पाठशाला 

जाफर के स्कूल की पाठशाला पेड़ के नीचे लगती है है। बाकायदा एक वाइट बोर्ड पर जाफर बच्चों को समझाते हैं। वो कहते हैं इन बच्चों को आर्थिक रूप से भी मदद करता हूं। इनके पास जिस चीज़ की कमी होती है वो पूरा कर देता हूं। अगर किसी के पास कॉपी किताब या पेन नहीं है तो मैं खरीद कर देता हूं।  इस बारे में वो कहते हैं मैंने आर्थिक तंगी देखी है, स्कूल में फीस जमा करने के लिए अपने वालिद को मशक्क्त करते देखा है।  इसीलिए इन बच्चों पढ़ाता हूं ताकि इनके मा बाप का बोझ कुछ हल्का हो सके।  

पाठशाला में है सैकड़ों बच्चे 

जाफर की पाठशाला में सौ से ज़्यादा बच्चे हैं।  वो कहते हैं सर्दी में बच्चों की तादाद ज़्यादा होती है।  150 से 200 बच्चे हर रोज़ आते हैं।  अभी बरसात है ,बरसात की वजह से खुली जगह भीग जाती है इसलिए बच्चे नहीं आ पाते।  जाफर खुद भी नौकरी के साथ uppsc की तैयारी कर रहे है।  बच्चों की मुफ्त पाठशाला को लेकर जाफर को गोंडा पुलिस ने सम्मानित किया है। इसके आलावा कई संस्थाएं जाफर को इस नेक काम के लिए सम्मानित कर चुकी हैं।  

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