भुवनेश्वर के गगन पटेल पिछले 38 सालों से गरीबों को रोटी कपड़ा मकान मुहैया करा रहे हैं। 1985 में जब गगन की नौकरी लगी उस वक्त से वह अपनी सैलरी का कुछ हिस्सा गरीबों के लिए इकट्ठा करने लगे साथ ही गरीब बच्चों को पढ़ाना भी शुरू किया। आज गगन की महिम एक अभियान बन चुकी है और हजारों की तादाद में लोग उनसे जुड़ चुके हैं।

उड़ीसा। उनकी उम्र 65 साल है और वह पिछले 38 साल से लोगों की मदद कर रहे हैं। उनका जीवन जरूरतमंदों की जरूर मुहैया करने में गुजर रहा है। दिन रात उनके ज़हन पर सिर्फ एक ही बात सवार रहती है की हर चेहरे पर मुस्कान रहनी चाहिए। हर गरीब के पास रोटी कपड़ा मकान होना चाहिए और इसी मुहिम को आगे बढ़ाते हुए उड़ीसा के गगन पटेल इंसानियत की मिसाल देते चले आ रहे हैं। माय नेशन हिंदी से गगन ने अपनी जर्नी शेयर किया।

कौन है गगन पटेल
गगन पटेल उड़ीसा के भुवनेश्वर के रहने वाले हैं। गगन पोस्ट विभाग में काम करते थे। लेकिन 1985 में अपनी सैलरी के कुछ हिस्से से गगन ने गरीब बच्चों को पढ़ाने की मुहिम शुरू किया। नौकरी के साथ बच्चों को पढ़ाने में दिक्कत होती थी लिहाजा गगन ने तय किया की गरीब परिवारों की मदद वह करेंगे। इस काम में गगन की पत्नी अन्नपूर्णा उनका पूरा साथ देती हैं।



आसपास के लोगों ने गगन को दिया प्रेरणा
गगन कहते हैं बहुत पहले की बात है एक महिला बोरी का कपड़ा पहने हुए थी और सड़क किनारे बैठी थी रेलवे क्रॉसिंग के पास मैंने उसको खाने का पैकेट दिया तो उसने मुझसे एक साड़ी की फरमाइश किया। मैंने अपनी मां की पुरानी साड़ी उसे महिला को दिया जिससे उसके चेहरे पर मुस्कान फैल गई। यहीं से मुझे प्रेरणा मिली लोगों के लिए काम करने की। भुवनेश्वर में मैंने महसूस किया कि आदिवासी बच्चों के पास पहनने के लिए कपड़े नहीं थे पढ़ने के लिए किताबें नहीं थी। उनकी मां ने मुझे अपने बच्चों को फ्री में पढ़ाने के लिए रिक्वेस्ट करती थी इसलिए मैंने तय किया कि इन बच्चों के रोटी कपड़े मकान का जरिया बनूंगा और अपनी सैलरी का कुछ हिस्सा इन बच्चों पर खर्च करने लगा। साथ ही अपने जानने वाले तमाम लोगों से अपील किया कि वह इन मासूम बच्चों के लिए जो कुछ भी हो सके वह डोनेट करें। धीरे-धीरे गगन का घर पुरानी चीजों का बैंक बन गया जिसमें बच्चों के खिलौने कपड़े चादर चप्पल सब कुछ मौजूद था। गगन अपनी पत्नी के साथ मिलकर इन सभी चीजों को साफ सुथरा करके नया बनाते हैं और गरीबों में बांट देते हैं।

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