Paris Olympics 2024: हरियाणा के एक छोटे से गांव के रहने वाले किसान के बेटे ने महज 22 साल की उम्र में शुक्रवार को अपनी मेहनत के बूते इतिहास रच दिया। पेरिस ओलंपिक 2024 में अमन सेहरावत ने ओलंपिक में भारत के सबसे कम उम्र के पदक विजेता बनकर इतिहास रच दिया। उन्होंने पेरिस ओलंपिक 2024 में 57 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती स्पर्धा में कांस्य (Bronze) पदक जीता। अमन ने शुक्रवार को कांस्य पदक के मुकाबले में प्यूर्टो रिको के डेरियन क्रूज़ को हराकर इस साल के ओलंपिक में कुश्ती में भारत का पहला मेडल जीता, लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि विनेश फोगाट की तरह अमन सेहरावत का वेट भी फिक्स लिमट से ज्यादा हो गया था, जिससे उन्हें और उनके कोच को डिसक्वालीफाई होने का डर सताने लगा था। उससे बचने के लिए अमन ने क्या-क्या जतन किया, आईए जानते हैं। 

क्या करते हैं अमन के माता पिता?
हरियाणा के झज्जर जिले के बिरोहर गांव के रहने वाले रणधीर सिंह सेहरावत और सुमन देवी सेहरावत के दो बेटों में  छोटे अमन सेहरावत की रुचि शुरू से ही खेलकूद में थी। रणधीर सिंह सेहरावत खेती किसानी करके परिवार का भरण पोषण करते थे। वर्ष 2002 में जन्मे अमन की मां सुमन देवी एक गृहणी थीं।  से आते हैं। जाट परिवार से ताल्लुक रखने वाले अमन ने 11 साल की उम्र में ही अपने माता-पिता को खो दिया था। पहले अमन की मां का हार्टअटैक से निधन हो गया था, तब उनकी उम्र 10 साल थी। फिर लगभग एक साल बाद उनके पिता भी चल बसे। इसके बाद अमन और उनकी छोटी बहन पूजा सेहरावत को एक मौसी की देखभाल में छोड़ दिया गया। माता-पिता की मृत्यु के बाद अमन गंभीर अवसाद से जूझ रहे थे, ऐसे में उनके दादा मांगेराम सेहरावत ने उन्हें संभाला और इससे उबरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जब धीरे-धीरे अमन ठीक होने लगे तो उन्होंने कुश्ती में अपना जौहर दिखाना शुरू कर दिया।

अमन का क्या है फैमिली बैकग्राउंड?
अमन का बचपन ग्रामीण वातावरण में बीता, जहां उन्होंने खेलों में रुचि विकसित की। उनके परिवार ने उन्हें बचपन से ही खेलों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया और उन्होंने कुश्ती में अपनी पहचान बनाई। अमन के परिवार का ग्रामीण पृष्ठभूमि है और उन्होंने बहुत ही साधारण जीवन बिताया। एक इंटरव्यू में अमन ने बताया की कि उनके लिए यह मेडल कितना मायने रखता है। उन्होंने कहा कि हालांकि उनका सपना गोल्ड मेडल जीतना था, लेकिन यह पदक उन्हें 2028 में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करेगा।

पेरिस ओलंपिक में एक रात पहले क्या हुआ अमन के साथ?
कांस्य पदक जीतने के बाद अमन ने कहा कि मैं ओलंपिक में मेडल जीतने के सपने के साथ आया था। गोल्ड मेडल जीतना चाहता था, लेकिन सब कुछ अच्छे के लिए होता है। अगली बार, मैं बेहतर तरीके से तैयार रहूंगा। यह मेरे लिए बहुत बड़ा प्रोत्साहन था और अब मुझे विश्वास है कि मैं निश्चित रूप से 2028 ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन करूंगा। ध्यान रहे कि विनेश फोगाट की तरह अमन का भी वेट बढ़ गया था। अमन ने बताया कि सेमीफ़ाइनल में जापान के री हिगुची से हारने के बाद उनका वेट ज़्यादा हो गया था और वेट मापने से पहले उन्हें एक्स्पेटबल लिमिट में वापस आने की ज़रूरत थी। पहलवान ने बताया कि उन्होंने अपने वेट पर रात भर काम किया और बिल्कुल भी नहीं सोया क्योंकि उनके कोच उने कई ट्रेनिंग सेशन में ले गए थे।

बढ़े वजन को कम करने के लिए अमन और उनके कोच ने क्या किया?
अमन ने बताया कि हमने वेट कम करने के लिए बहुत कुछ किया। बाउट खत्म होने के बाद मैंने दो घंटे तक अभ्यास किया। फिर लगभग 1 बजे मैंने जिम में ट्रेनिंग ली। 3 बजे तक मैं कुछ हद तक थक चुका था, लेकिन मैं बिल्कुल भी नहीं सोया क्योकि मेरा मुख्य लक्ष्य वेट को फिक्स लिमिट के भीतर लाना था। इससे पहले विनेश फोगट ने भी 50 किग्रा कुश्ती फ़ाइनल के लिए क्वालिफाई किया था, लेकिन उन्हें अधिक वज़न होने के कारण गोल्ड मेडल मैच से डिसक्वालीफाई कर दिया गया था। कोर्ट ऑफ़ आर्बिट्रेशन फ़ॉर स्पोर्ट (CAS) में फ़ैसले को चुनौती दिए जाने के बाद सुनवाई समाप्त हो गई है और रविवार शाम तक फ़ैसला आने की उम्मीद है।

कहां से शुरू हुआ अमन की कुश्ती का सफर
अमन सेहरावत ने अपनी कुश्ती की यात्रा गांव के कुश्ती अखाड़े से शुरू की। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतियोगिताओं में गोल्ड मेडल जीते हैं। अपनी ट्रेनिंग के लिए कई बार विदेश यात्रा की है, जैसे कि रूस और जॉर्जिया, जहां उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर के कोच से प्रशिक्षण लिया। वे भारतीय पहलवान बजरंग पुनिया और सुशील कुमार से प्रेरित हैं। अमन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव के स्कूल से की और फिर आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने शहर की ओर रुख किया। अमन नियमित रूप से कठिन प्रशिक्षण और फिटनेस रूटीन का पालन करते हैं, जिसमें भारी वेट ट्रेनिंग और टेक्निकल ट्रेनिंग शामिल हैं। 

 


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