शताब्दी साहू को बचपन से ही पेंटिंग और बिल्डिंग बनाने का शौक था। उनके पड़ोसियों की बिल्डिंग या बाथरूम में कोई दिक्कत होती थी तो वह ठीक कर देती थीं। धीरे-धीरे उनकी आदत उनका प्रोफेशन बन गई। शताब्दी ने ऐसा प्रोफेशन चुना जो महिलाओं के लिए माना ही नहीं जाता था लेकिन शताब्दी ने हिम्मत किया और उनकी इस हिम्मत में उनके माता-पिता ने उनका सपोर्ट किया।
उड़ीसा। शताब्दी साहू उड़ीसा की एकमात्र महिला प्लंबर ट्रेनर है। इस काम के लिए शताब्दी को सम्मानित भी किया जा चुका है। सवाल यह है कि शताब्दी ने इस काम को क्यों चुना जिसे महिलाओं का काम समझा ही नहीं जाता। माय नेशन हिंदी से शताब्दी ने अपनी जर्नी शेयर किया।
कौन है शताब्दी साहू
शताब्दी साहू उड़ीसा की रहने वाली है और वह उड़ीसा की एकमात्र फीमेल प्लंबर ट्रेनर है । शताब्दी के पिता पोस्टमास्टर थे और उनकी मां हाउसवाइफ थी। साल 2012 में शताब्दी ने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया और 2015 में बीटेक की डिग्री हासिल किया। शताब्दी के पास कई कॉरपोरेट कंपनी के ऑफर थे लेकिन उन्होंने प्लंबर ट्रेनर का काम चुना।
क्यों चुना शताब्दी ने प्लंबर ट्रेनर का काम
शताब्दी कहती हैं मुझे बचपन से ही पेंटिंग का शौक था इंजीनियरिंग में सेकंड ईयर की पढ़ाई के दौरान मुझे पब्लिक हेल्थ विषय पढ़ने के दौरान प्लंबिंग के बारे में बहुत सी जानकारी होने लगी थी और मेरा इंटरेस्ट इस काम की तरफ बढ़ने लगा। मुझे नक्शा बनाना अच्छा लगता था। पढ़ाई कंप्लीट होते हैं शताब्दी ने वाटर मैनेजमेंट और प्लंबिंग स्किल काउंसिल से ट्रेनर कोर्स किया। इस कोर्स के बाद शताब्दी को स्किल इंडिया में बतौर ट्रेनर नौकरी मिल गई। नौकरी के जरिए वह ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए जगह-जगह विज़िट करने लगी। शताब्दी ने बताया कि 24 लड़कों के बीच में वह अकेली लड़की थी जो यह पढ़ाई कर रही थी।
हैरत से देखते थे लोग
शताब्दी कहती हैं जब मैं स्टूडेंटस को प्लंबिंग की ट्रेनिंग देता हूं तो वह बड़ी हैरत से मुझे देखते हैं लेकिन साथ में सम्मान भी करते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी कोशिश रहती है कि वह जिस भी स्टूडेंटस को ट्रेनिंग दे उसका प्लेसमेंट सही जगह हो जाए। शताब्दी ने बताया कि अक्सर ट्रेनिंग प्रोग्राम के दौरान जब मैं कहीं जाती हूं तो लोग बड़ी हैरत से देखते हैं कि महिला कहां से आ गई? क्योंकि उन्हें अंदाजा ही नहीं होता की एक महिला भी प्लंबिंग ट्रेनिंग दे सकती है। इतने साल होने के बाद भी शताब्दी आज भी उड़ीसा में एकमात्र महिला प्लंबिंग ट्रेनर है। इस काम के लिए शताब्दी को भारत सरकार की कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एकमात्र महिला प्लंबर ट्रेनर का अवार्ड भी दिया है।
2000 से ज्यादा पुरुषों को दिया है ट्रेनिंग
शताब्दी कहती हैं कि वह अब तक 2000 से ज्यादा मेल्स को प्लंबिंग की ट्रेनिंग दे चुकी हैं। उन्होंने अपने घर में प्लंबिंग सॉल्यूशंस का काम शुरू किया है। शताब्दी कहती हैं 40, 45 लड़कों के बीच में खड़े होकर ट्रेनिंग देना शुरू में थोड़ा मुश्किल लगा लेकिन जो लोग भी मुझसे सीखने आते थे वह मुझे बहुत कोऑपरेट करते थे।
ट्रेनिंग में क्या सिखाती हैं शताब्दी
शताब्दी ने बताया की प्लंबिंग की ट्रेनिंग में मैं लोगों को बताती हूं की कैसे ब्लॉकेज क्लियर किया जाता है, पाइप काटने का सही तरीका पाइप को लगाने का तरीका घर में लीकेज हो रहा है तो उसे कैसे सही कर सकते हैं घर के निर्माण के दौरान किस तरह का सामान लगवाना चाहिए सभी तकनीकेलिटीज की ट्रेनिंग शताब्दी स्टूडेंट को देती है।
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Last Updated Dec 12, 2023, 5:00 PM IST