Success Story: जेसी चौधरी को सफलता का राज अपने जन्मदिन के नम्बरों में मिला। कुछ ही वर्षों में 7300 करोड़ की कम्पनी खड़ी कर दी। आज बेहद अमीर हैं। आइए जानते हैं उनकी सफलता की कहानी।
Success Story: हरियाणा के एक गांव में साल 1949 में जन्मे जेसी चौधरी (Jagdish Chand Chaudhry) की सफलता की कहानी अनोखी है। 12 साल की उम्र तक बिना चप्पल के बड़े हुए। कॉलेज से पहले उन्हें कभी पतलून भी नसीब नहीं हुई थी। संसाधनों की बेहद कमी के बावजूद जेसी चौधरी ने सफलता की सीढ़ियां चढ़ी। वह अपनी सफलता का श्रेय अंकशास्त्र को देते हैं। जेसी चौधरी की सक्सेस स्टोरी युवाओं के लिए प्रेरणादायक है। आइए जानते हैं उनकी कहानी।
पिता चलाते थे किराने की दुकान, छोटे से कमरे में रहता था परिवार
जेसी चौधरी के पिता हरियाणा के सेवली गांव में एक छोटी सी किराने की दुकान चलाते थे। उन्होंने अपना बचपन एक गांव में बिताया। एक छोटे से कमरे में परिवार रहता था। मां और बहनों समेत परिवार का हर सदस्य कड़ी मेहनत करता था। साल 1966 में जेसी चौधरी हथीन से मैट्रिक करने के बाद प्री-यूनिवर्सिटी की पढ़ाई के लिए जीजीडीएसडी कॉलेज, पलवल गए। वह खुद एक बड़े शहर में रहने को लेकर उत्साहित थे। खासकर इसलिए क्योंकि शहर में एक सिनेमा हॉल भी होता है।
बिट्स पिलानी से एमएससी, स्कूलों में पढ़ाया
साल 1972 में जेसी चौधरी ने पिलानी स्थित बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (बीआईटीएस) से एमएससी की और हरियाणा के भिवानी स्थित वैश कॉलेज में टीचर की जॉब मिल गई। हंसराज मॉडल स्कूल, पंजाबी बाग के अलावा नई दिल्ली और दिल्ली प्रशासन के चलाए जा रहे कई स्कूलों में टीचिंग का काम किया। यूपीएससी के जरिए एक संस्थान में प्रिंसिपल भी बने।
अंकशास्त्र को देते हैं सफलता का श्रेय
साल 1984 में वह समय आया। जब जेसी चौधरी को अपने डेट आफ बर्थ यानी जन्मदिन में छिपे सफलता के रहस्य का पता चला। न्यूमरोलॉजी यानी अंक ज्योतिष से जेसी चौधरी का परिचय उनके जीजा ने कराया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चौधरी संवेदनशील व्यक्ति थे, जल्द ही उन्हें इस बात का एहसास होने लगा कि उनके जीवन में जो कुछ भी घट रहा है। वह उनके डेट आफ बर्थ से मेल नहीं खा रहा है तो वह अपने गांव वापस गए और अपनी वास्तविक जन्मतिथि का आंकलन किया। जेसी चौधरी अपनी ज्यादातर सक्सेस का श्रेय न्यूमरोलॉजी को देते हैं। संस्थान के लिए जमीन खरीदने से लेकर फीस तय करने में भी अंक शास्त्र का सहारा लिया।
सरकारी नौकरी छोड़ 1988 में रखी आकाश इंस्टीट्यूट की नींव
जेसी चौधरी ने सरकारी नौकरी छोड़ी और साल 1988 में आकाश इंस्टीट्यूट की नींव रखी। महज 12 स्टूडेंट्स के साथ कोचिंग की शुरुआत कर दी। आज लाखो छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं में सक्सेस हासिल करने के लिए आकाश इंस्टीट्यूट से जुड़ते हैं। यह एजूकेशन इंडस्ट्री का जाना पहचाना नाम है। साल 2021 में उन्होंने अपनी कंपनी एडटेक दिग्गज बायजू को करीबन 7,300 करोड़ रुपये में बेच दी। चौधरी परिवार अपना इंवेस्टमेंट रियल एस्टेट में कर रहा है। जेसी चौधरी न्यूमेरो नाम से अंकशास्त्र का एक प्लेटफार्म लेकर आए हैं। उनके बेटे आकाश चौधरी कम्पनी के सौदे से पहले इंस्टीट्यूट के एमडी थी। उन्हीं के नाम पर जेसी चौधरी ने इंस्टीट्यूट का नाम रखा था।
Last Updated Oct 27, 2023, 11:58 PM IST