नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में पले-बढ़े आमिर कुतुब (Aamir Qutub Success Story) की शुरुआती शिक्षा यहीं से हुई। ग्रेजुएशन के बाद एमबीए करने ऑस्ट्रेलिया चले गएं। वहीं से उनका स्ट्रगल शुरु हुआ। हवाई अड्डे पर सफाई कर्मी की नौकरी से लेकर हॉकर (न्यूज पेपर वितरित करने वाला) तक का काम किया। एक कम्पनी में इंटर्नशिप का मौका मिला तो 15 दिन में प्रमोट कर मैनेजर बना दिए गए। जनरल मैनेजर (जीएम) तक बने और फिर एंटरप्राइज मंकी के नाम से खुद की कम्पनी शुरु कर दी। अब 4 देशों में उनके 100 से ज्यादा कर्मचारी हैं। कम्पनी का सालाना टर्नओवर लगभग 10 करोड़ है 

एएमयू से मैकेनिकल इंजीनियरिंग, ग्रेटर नोएडा में एक साल तक जॉब भी

आमिर कुतुब ने साल 2011 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया। ग्रेटर नोएडा में एक कम्पनी में प्रोडक्शन इंजीनियर के रूप में एक साल तक नौकरी की। उस दरम्यान वह 9 से 5 बजे तक की नौकरी से संतुष्ट नहीं थे। उन्हें लगता था कि वह अपना समय बर्बाद कर रहे हैं। उनका सारा काम पेपर बेस्ड था। अक्सर पेपर खो जाते थे तो समस्या होती थी तो उन्होंने कम्पनी में चीजों को डिजिटाइज करने की पेशकश की। कंपनी ने मंजूरी दी तो उन्होंने अपना प्रोजेक्ट पूरा भी किया। जिसे कम्पनी के सभी आउटलेट पर लगाया गया। पर उनके प्रोफाइल में कोई परिवर्तन नहीं हुआ तो उन्होंने जॉब छोड़ दी।

 

सॉफ्टवेयर स्किल यूज करने का फैसला 

23 साल की उम्र में आमिर कुतुब ने अपनी सॉफ्टवेयर स्किल को यूज करने का फैसला किया, जो उन्होंने कॉलेज के दिनों में सीखा था। यूके, यूएसए और ऑस्ट्रेलिया स्थित कंपनियों के लिए फ्रीलांस काम भी किया था। कॉलेज में आमिर ने स्टूडेंट्स के लिए एक सोशल नेटवर्किंग साइट डेवलप करने की भी कोशिश की थी। इसके लिए कोडिंग भी सीखी थी। उस वजह से उन्हें वर्षों बाद साफ्टवेयर के सेक्टर में काम करने की ताकत मिली।

ऑस्ट्रेलियाई कस्टमर की सलाह पर गए विदेश

आमिर के जीवन में बदलाव तब आया। जब एक ऑस्ट्रेलियाई कस्टमर ने उन्हें देश में आकर काम करने का सुझाव दिया। आमिर ने डीकिन यूनिवर्सिटी, जिलॉन्ग में एमबीए की पढ़ाई के लिए फॉर्म भरा। स्कॉलरशिप के साथ उन्हें प्रवेश भी मिल गया। अब उन्हें पढ़ाई के साथ अपना खर्च चलाने के लिए पार्ट टाइम काम की तलाश थी। वह पिता से पैसे नहीं लेना चाहते थे, क्योंकि पहले से ही एमबीए के लिए परिवार का 5 लाख रुपये खर्च हो चुका था। काम के लिए आमिर ने 170 फर्मों में ट्राय किया। पर कहीं सफलता नहीं मिली।

 

सफाईकर्मी की जॉब से प्रभावित हो रही थी पढ़ाई

आखिरकार उन्हें गीलॉन्ग हवाई अड्डे पर सप्ताह में 4 दिन के लिए सफ़ाईकर्मी की जॉब मिली। वह सुबह 6 से शाम 6 बजे की शिफ्ट में काम करने लगे। उनके परिवार को पता चला तो वह लोग दुखी हो गए। हालांकि आमिर ने तीन महीने में ही यह जॉब छोड़ दी, क्योंकि इसका प्रभाव उनकी पढ़ाई पर पड़ रहा था। अब उन्हें हॉकर की जॉब मिल गई। यह काम उन्हें सुबह 3 से 8 बजे तक करना होता था। जिससे उनकी पढ़ाई भी प्रभावित नहीं होती थी।

इंटर्नशिप का मौका जॉब में बदला

आमिर अपने लिए काम के अवसर तलाशते रहें। इसी दरम्यान उन्हें एक आईटी फर्म में इंटर्नशिप का मौका मिला। उनका काम इतना अच्छा था कि दूसरे काम में उन्हें 15 दिन में ही आपरेशन मैनेजर बना दिया गया। वेतन 5000 आस्ट्रेलियन डॉलर था। रिपोर्ट्स के अनुसार, आस्ट्रेलिया में आमिर शुरुआती दिनों में अंग्रेजी अच्छी नहीं होने की वजह से डरे सहमे रहते थे। हर जगह काम का अनुभव मांगा जाता था। बहरहाल, दो साल बाद ही वह कंपनी के अंतरिम जीएम बने और कंपनी का राजस्व बढ़ाने की दिशा में काम किया।

ट्रेन में सफर करते हुए क्लिक हुआ आइडिया

एक बार ट्रेन में सफर करते हुए आमिर कुतुब की मुलाकात एक उद्योगपति से हो गई। उनसे बात करने के दौरान आमिर को एक ऐप बनाने का आइडिया आया। जिससे कंपनियों के पैसों की बचत होती। बस, उन्होंने अपनी जमा पूंजी के 2000 डॉलर से एंटरप्राइज मंकी की शुरुआत कर दी। शुरु में नुकसान हुआ। पर धीरे धीरे कम्पनी के काम ने रफ्तार पकड़ ली। उनकी कंपनी टेक्नोलॉजी के जरिए बिजनेस की प्रक्रियाओं को आप्टिमाइज करती है। उनके ऐप के यूज से ऑटोमैटिक कर कंपनियों का समय बचता है और साथ ही पैसा भी। एंटरप्राइज मंकी दूसरी कम्पनियों की ऑनलाइन ब्रांडिंग और मार्केटिंग का काम करती है। जिससे उनकी कमाई बढ़ सके। रिपोर्ट्स के अनुसार, वर्तमान में उनकी कम्पनी का टर्नओवर 10 करोड़ है।

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