भोपाल। मध्य प्रदेश के रहने वाले अरेन रत्नेश सोरठिया मुंबई में एचआर (HR) की जॉब करते थे। 30 मिनट का लंच ब्रेक मिलता था। तब वह एक स्थानीय चायवाले के पास जाते थे। उन्होंने देखा कि चायवाले देश के सबसे महंगे शहर में कैसे सर्वाइव करते हैं। यहीं से उन्हें जिंदगी का सबसे बड़ा सबक मिला और HR की जॉब छोड़कर इंटरप्रेन्योर बनने का फैसला लिया। सिर्फ 5 लाख रुपये से हरीतिमा फूड की शुरुआत की थी। चाय वालों को 'चायवाला की चायपत्ती' ब्रांड नेम से चायपत्ती देनी शुरु की। आज उनकी कम्पनी का टर्नओवर 1.5 करोड़ से ज्यादा है। आइए जानते हैं उनकी सफलता की कहानी। 

10,000 से ज्यादा कैफे और रेस्टोरेंट में चायपत्ती की सप्लाई
 
अरेन रत्नेश सोरठिया चाय पीते समय चायवालों की कहानियां सुनते थे और उन्हीं से उन्हें जिंदगी का सबसे बड़ा सबक मिला। अरेन समझ गए कि बिजनेस करने के लिए सबसे जरुरी होता है कि आप खुद को व्यवसाय में बनाए रखिए और एक दिन यही जीविका आपकी सफलता में बदल जाएगी। साफ तौर पर समझा जाए तो किसी भी परिस्थिति में जीवित रहने की कला उन्होंने चायवालों से सीखी और इसीलिए बिजनेस शुरु करने के लिए "चाय" ही चूज किया। अरेन के 'चायवाला की चायपत्ती' ब्रांड शुरु करने की प्रेरणा भी चायवाले ही बने। आज वह देश भर में 10,000 से ज्यादा कैफे और रेस्टोरेंट में चायपत्ती सप्लाई करते हैं। 

अरेन ने एक प्रोडक्ट से शुरु किया, आज 50-60 प्रोडक्ट 

अरेन एक टी लवर हैं। बिजनेस शुरु करने के लिए उन्होंने टी टेस्टिंग का कोर्स किया। साल 2016 में एक प्रोडक्ट के साथ कम्पनी शुरु की थी। अब उनके प्रोडक्ट की संख्या 50-60 है। ऐसा नहीं कि बिजनेस खड़ा करने में उन्हें दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ा। अरेन कहते हैं कि पहले लोग 'प्लेन-टी' या 'प्लेन-काॅफी' पसंद करते थे। उन्होंने रेस्टोरेंट को फ्लेवर वाली चायपत्ती और काॅफी दी ताकि उनका सेल्स बढ़े और कस्टमर को भी नई चीज मिले। पहले क्रेडिट का बिजनेस था। मतलब कि चायपत्ती दीजिए और बिकने के बाद पेमेंट ले जाइए। इसमें उनका सारा पैसा डूब गया। 

नौकरी करने वाला आज बांटता है 20 से 25 लाख सैलरी

कोरोना महामारी के दौरान ऐसा समय भी आया। जब उनकी एक पैकेट चायपत्ती भी नहीं बिकी। पर अरेन ने हिम्मत नहीं हारी और बिजनेस में खुद को बनाए रखा। उनकी यही मंत्र काम कर गया और आज देश भर में उनके 'चायवाला की चायपत्ती' की सप्लाई होती है। अरेन रत्नेश सोरठिया रोज, मसाला, अदरक, लेमन समेत कुल 17 फ्लेवर की चायपत्ती बनाते हैं। उनके पास कॉफी के 10 से ज्यादा फ्लेवर हैं। कोरोना महामारी का लॉकडाउन हटा तो उनके चायपत्ती की सेल बढ़ गई। उनकी कम्पनी में करीबन 11 एम्पलाई हैं। 20 से 25 लाख सालाना सैलरी बांटते हैं। महीने का टर्नओवर करीबन 30 से 40 लाख रुपये है।

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