नयी दिल्ली। यूपी के प्रयागराज के शंकरगढ़ निवासी अमित सिंह की शुरूआती पढ़ाई नैनी के क्रेंद्रीय विद्यालय से हुई। 12वीं पास करने के बाद इलाहाबाद यूनविर्सिटी में बीएससी की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया। उस दरम्यान छात्र राजनीति का ऐसा नशा चढ़ा कि तीन साल तक एग्जाम ही नहीं दिया। कॉलेज ड्रापआउट कहे जाने लगें। पर उसके बाद अमित ने अपने सफलता की कहानी लिख दी। अब एक मल्टीनेशनल कम्पनी के फाउंडर हैं। 200 से ज्यादा इंजीनियर्स को नौकरी दे रखी है। आइए जानते हैं डिटेल में।

छात्र राजनीति में मन ऐसा रमा कि 3 साल एग्जाम नहीं

अमित सिंह के पिता इलाहाबाद के नैनी में केंद्र सरकार की कम्पनी इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज (ITI Limited) में नौकरी करते थे। इलाहाबाद से ही शुरूआती पढ़ाई हुई।  12वीं के बाद इलाहाबाद विश्विवद्यालय में बीएससी के लिए एडमिशन लिया। पर अमित सिंह को यूनिवर्सिटी में छात्र राजनीति रास आने लगी थी। उसमें मन ऐसा रमा किसी और चीज का ख्याल ही नहीं रहा। स्टूडेंट्स के साथ बैठकी में सारा समय निकाल दिया। तीन साल तक एग्जाम में ही नहीं बैठे। उधर, पिता को लगा रहा था कि उनका बेटा पढ़ाई कर रहा है। संयोग से उसी साल यूपी में यूपीसीईटी एग्जाम हुआ तो उसमें हाथ आजमाया और फिर गाजियाबाद के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन मिल गया।

पहले रिलायंस इंफोकॉम फिर ITI Limited में नौकरी

साल 2003 में बीटेक करने के बाद उन्होंने रिलायंस इंफोकॉम (Reliance Infocom) में नेटवर्क इंजीनियर के रूप में 8,500 रुपये सैलरी पर नौकरी शुरू की। उसी बीच पिता ने अमित की शादी करा दी। जल्दी ही उनके यहां एक बेटे का भी जन्म हुआ और तब अमित का स्ट्रगल का टाइम चल रहा था। अमित को रिलांयस इंफोकाम की नौकरी समझ में नहीं आई तो बेंगलुरू चले गए। वहां 10 हजार रुपये वेतन पर आईटीआई (ITI Limited) ज्वाइन कर ली। इ​तने कम वेतन में उनके लिए परिवार चलाना मुश्किल हो रहा था।   

नोकिया सीमेंस में लगी 60,000 महीने की जॉब

अच्छे अवसर की तलाश में अमित जॉब के लिए हाथ—पैर मारते रहे। कुछ ही महीनों बाद उन्हें नोकिया सीमेंस (Nokia Seimens Networks) में 60,000 रुपये महीने वाली जॉब मिल गई। उस दिन वह खुशी की वजह से पूरी रात नहीं सो सके। फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। बाद में सुबेक्स कम्पनी (Subex Limited) ज्वॉइन की तो उन्हें कनाडा जाना पड़ा। साल भर वहां नौकरी करने के बाद लौटें तो ओरेकल (Oracle) ज्वॉइन की और साल 2014 तक नौकरी करते रहें।

अब Teliolabs के मालिक, लगातार बढ़ रहा रेवेन्यू

साल 2015 की शुरूआत में अमित ने पहली बार Yitsol नाम से अपना काम शुरू किया, हालांकि इस काम में सक्सेस नहीं हुए। पर काफी कुछ सीखने को मिला। फिर अक्टूबर 2020 में इलेक्ट्रिक व्हीकल के सेक्टर में काम करने के लिए टेलियोईवी (TelioEV) की नींव रखी और अक्टूबर 2023 में टेलियोलैब (Teliolabs) शुरू कर दिया। हैदराबाद में कम्पनी का मुख्यालय है। पर इसकी ब्रांचेज अमेरिका, यूके और हंगरी में भी हैं।  अब उनकी कम्पनी में 200 से ज्यादा इंजीनियर्स काम करते हैं। कम्पनी के रेवेन्यू में भी बढ़ोत्तरी हो रही है। 

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