Success Story: हरियाणा के जींद जिले के अलीपुरा गांव के रहने वाले हरदीप गिल का सेलेक्शन सीडीएस में हुआ है। वह सेना में अफसर बन गए हैं। यह मुकाम हासिल करना आसान नहीं था। वह भी तब जब मात्र डेढ़ साल की उम्र में पिता नहीं रहें। मां ने सरकारी स्कूल में मिड डे मील वर्कर का काम किया। बच्चों को पाला। हरदीप बड़े हुए तो खेती—किसानी कर परिवार चलाने की कोशिश में जुट गए। साथ में प्रतियोगी परीक्षाओं में भी शामिल हुए। आइए जानते हैं हरदीप गिल की सक्सेस स्टोरी। 

परिस्थितियों को कोसने वाले युवाओं के लिए इंस्पिरेशनल है यह स्टोरी

यह स्टोरी उन युवाओं के लिए इंस्पिरेशनल है, जो सक्सेस में घर की माली हालत को रोड़ा मानते हैं और पूरी जिंदगी उन्हीं परिस्थितियों को कोसते हुए अपने टूटे हुए सपनों को तसल्ली देते हैं। हरदीप गिल की उड़ान ऐसे युवाओं को सीख देती है कि हार्ड वर्क से कामयाबी हासिल की जा सकती है, न कि कमजोर आर्थिक स्थिति का बहाना बनाकर मेहनत करना छोड़कर। 

हार्ट अटैक से पिता की मौत

हरदीप के पिता का निधन हार्ट अटैक की चलते हो गया। तब उनकी उम्र महज डेढ़ वर्ष थी। आप समझ सकते हैं कि ऐसे में परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा होगा। अनपढ़ मां के कंधों पर 3 बेटियों और बेटे को पालने की जिम्मेदारी आ गई। उन्हें एक सरकारी स्कूल में मिड डे मील वर्कर का काम मिला और उसी के सहारे वह बच्चों को पालने लगीं।

टीचर ने बेटे को आगे पढ़ाने की दी सलाह 

एक वीडियो में अपना स्ट्रगल शेयर करते हुए हरदीप कहते हैं कि चौथी कक्षा तक की पढ़ाई उन्होंने सरकारी स्कूल से की। उसी स्कूल में मां बच्चों के लिए खाना बनाने का काम करती थीं। वह बचपन से ही पढ़ाई में तेज थे। एक टीचर ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और हरदीप की मां से कहा कि बेटे का किसी अच्छे स्कूल में एडमिशन कराकर उसे पढ़ाना। टीचर ने मां को भविष्य में बेटे की पढ़ाई न छुड़वाने की सलाह दी। पड़ोस के एक गांव के एक प्राइवेट स्कूल में दाखिल मिला। होनहार हरदीप ने 10वीं क्लास में 86 फीसदी मार्क्स हासिल किए थे। अब उन्हें सीडीएस एग्जाम में 54वीं रैंक मिली है। 

सुबह पशुओं की देखभाल और दिन में खेतों में काम

हरदीप ने अपनी दो हेक्टेयर जमीन पर मां और बहनों के साथ मिलकर खेती की। पशुपालन पर भी ध्यान दिया और धीरे-धीरे अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने लगें। काम के साथ पढ़ाई आसान नहीं होती। कठिन दिनचर्या का पालन किया। सुबह 5 बजे से उनका रूटीन शुरू होता था, जो देर रात तक चलता था। सुबह पशुओं की देखभाल और दिन में खेतों में काम। तीसरे प्रयास में उन्हें सीडीएस में सक्सेस मिली है।

ये भी पढें-India Agriculture 2024: धान खेती में नुकसान तो टमाटर की खेती ने ऐसे बदल दी किस्मत, महीने भर में करोड...