गाजीपुर.  छोटे से गांव बिशनपुरा के प्रवीण राजभर स्किलिंग यू के फाउंडर और सीईओ है। उनके पिता एक किसान है, घर में बिजली मुश्किल से ही आती थी  या यूं कहिए कि उनके गांव में बिजली 24 घंटे में 6 घंटा आती थी। प्रवीण की पढ़ाई लिखाई लालटेन और ढेबरी की रोशनी में हुई। एक छोटे से गांव से निकलकर अपने स्टार्ट अप स्किलिंग यू के जरिये लाखों बच्चों को शिक्षा देने वाले प्रवीण राजभर ने मायनेशन हिंदी से अपने विचार साझा किये।

हवाई जहाज करीब से देखने की थी ख्वाहिश

प्रवीण कहते हैं मैंने 2005 में  ग्रेजुएशन अपने गांव से किया लेकिन कभी शहर नहीं देखा था। मेरे पिताजी चाहते थे कि मैं सरकारी नौकरी करूं लेकिन सरकारी नौकरी ने मुझे कभी अपनी तरफ आकर्षित नहीं किया। फिल्मों में मैंने शहर देखा था तो दिमाग में एक भूत चढ़ गया कि मुझे शहर देखना है।  उस वक्त दिल्ली में फूफा जी रहते थे, लोग बताते थे कि फूफा जी का घर एयरपोर्ट के पास है जहां से हवाई जहाज बहुत बड़ा सा दिखाई देता है। मैं सब कुछ अपनी आंखों से देखना चाहता था। उस वक्त घर में 1800 रुपये थे, मैंने वो पैसे लिए और दिल्ली की तरफ रवाना हो गया।

दो महीने में सीख लिया अंग्रेज़ी बोलना

प्रवीण कहते हैं दिल्ली में अजीब चीज देखी। हाई स्कूल वाले भी नौकरी कर रहे थे, इंटर पास भी नौकरी कर रहे थे। मेरे साथ एक परेशानी थी लैंग्वेज की, मुझे अंग्रेजी नहीं आती थी तो महावीर एनक्लेव के पास खान सर की कोचिंग में एडमिशन ले लिया। फीस के पैसे नहीं थे इसलिए 2 महीना बस जा पाया। वहां इतना सीख गया कि अगर कहीं इंटरव्यू देने जाओ तो कैसे अंग्रेजी में जवाब देना है। उस वक्त मार्केट प्रूव नाम की एक कंपनी थी जहां पर मेरी पहली नौकरी लगी और 2006 में मुझे पहली तनख्वाह के रूप में 3200 रुपये मिले थे। उसके बाद कई बैंकों में नौकरी किया और जिंदगी कंफर्ट जोन में गुजरने लगी, एक्सिस, आईसीआईसीआई, होम क्रेडिट, एमवे में लोगों को ट्रेनिंग दिया। एक बैंक में रीजन हेड हो गया था। फिर सैलरी लाखों में हो गई और ज़िन्दगी से संघर्ष खत्म हो गया।

AIIMS में बनाई थी कंपनी की पहली प्रेजेंटेशन

नौकरी कर के प्रवीण बहुत संतुष्ट नही थे, वो कहते हैं क्योंकि मैं गांव का रहने वाला हूं तो गांव के स्टूडेंटस के लिए काम करना चाहता था, कहीं न कही अंदर से असंतुष्ट था और नौकरी  छोड़ दिया। साल 2017 जनवरी मे मैंने स्किलिंग यू  डिज़ाइन करने का प्लान किया, इस प्रोजेक्ट के लिए कुछ पैसा इकट्ठा किया था।  घरवालों को नहीं बताया था कि मैंने नौकरी छोड़ दिया है। नए स्टार्ट अप की खुशी थी लेकिन 10 दिन बाद मुझे पता चला की मां को ब्रेस्ट कैंसर है। जो पैसे बिजनेस के लिए बचाए थे वह अब मां की बीमारी पर खर्च होने जा रहा था, तत्काल अपनी मां को दिल्ली बुला लिया,हाथ से नौकरी भी जा चुकी थी, मां के बिस्तर पर बैठ कर मैंने नए बिजनेस का पीपीटी बनाया, जिस दिन मां की कीमोथेरेपी थी उस दिन पापा को लेकर  गांव गए। पापा के  सीने में दर्द हुआ, डॉक्टर के पास गया तो पता चला कि पापा को हार्ट अटैक हो गया। पापा को लेकर दिल्ली आ गया। पारस हॉस्पिटल में इलाज कराया पापा ठीक हो गए, मेरी जो भी सेविंग थी वह खत्म हो रही थी। चुनौतियों के बीच नया स्टार्ट अप शुरू कर रहा था और ये सोच लिया था की हारना नहीं है। उस  वक्त मेरे पार्टनर्स ने स्किलिंग यू के स्टार्टअप में इन्वेस्ट किया।

क्या है स्किलिंग यू

स्किललिंग यू एक एप है जिसे डेवेलप करने के पीछे का मकसद रूरल एरिया के बच्चों को स्किल्ड बनाना था। इस के तहत बच्चों की स्पीकिंग स्किल्स, कंप्यूटर स्किल्स, सॉफ्ट स्किल को डेवेलप किया जाता है। नौकरी को लेकर जो कन्फयूजन होता है इस ऐप के जरिए सही दिशा दिखाने की कोशिश की जाती है। एप के ज़रिये  एग्जाम टाइम में बच्चों को ऑनलाइन एजुकेशन देते हैं। लॉकडाउन में प्रवीण ने 25000 बच्चों को फ्री एजुकेशन दिया है। प्रवीण के स्टार्टअप को गूगल और मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स और इनफारमेंशन टेक्नोलॉजी के द्वारा देश के 100 प्रॉमिससिंग स्टार्टअप में लिस्ट किया गया। उन्हें गूगल से ट्रेनिंग और मेंटरिंग भी मिल रही है। प्रवीण कहते हैं हमने अपनी कम्पनी का कोई भी प्रचार नहीं किया।  ना प्रचार करने के लिए किसी पीआर मैनेजर को हायर किया । हमारी कंपनी का प्रचार माउथ टू माउथ हुआ। आज हम एक लाख से ज्यादा बच्चों को शिक्षित कर चुके हैं।

 

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