UPSC 2023 Cracker: फटी दिवारें, जर्जर हो चुकी इन दीवारों की टीन शेड वाली छत के नीचे रसोईघर रूपी स्टडी रूम में भीषण गर्मी तपती छत, कड़ाके की ठंड में बढ़ी ठिठुरन और मूसलाधार बारिश  में टपकती छत के  नीचे बैठकर 8 घंटे की पढ़ाई। ये किसी किताब का स्लोगन नहीं बल्कि UPSC 2023 क्रैक करने वाले एक ऐसे युवा की कहानी है। जो अपने 24 बरस के जीवन में गरीबी की हर उस भट्ठी में तपा है, जो कईयों के लिए अकल्पनीय होती है। सरकारी स्कूल से पढ़कर ये युवा देश के सबसे प्रतिष्ठित एग्जाम को क्रैक किया है। 

UPSC 2023 Cracker के परिवार में कितने पढ़े लिखे हैं लोग?
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC-2023) का रिजल्ट 16 अप्रैल को आया। जिसमें  मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम के नीलेश अहिरवार ने 916 रैंक हासिल की है। तीसरे अटेम्ट में सफलता का स्वाद चखने वाले नीलेश अपने परिवार सबसे ज्यादा पढ़े लिखे व्यक्ति हैं। उनके राजगीर पिता की शैक्षिक योग्यता 2 क्लास की है, जबकि मां, दादा-दादी समेत उनसे पहले की 7 पीढ़ियां अशिक्षित थीं।

UPSC 2023 Cracker का कैसा है घर?
कच्चे और खपरैल मकान के 12/26 वर्ग फीट के दो कमरों नीलेश का पूरा परिवार रहता है। इसी मकान के किचन में ही 8 घंटे बैठकर नीलेश पढ़ाई करते थे। नीलेश ने खुद को टेलीविजन से दूर रखाा। सोशल मीडिया जैसे टेलीग्राम, यूट्यूब का सदुपयोग किया। उनका कहना है कि जो भी हमारा लक्ष्य है, उसके पीछे लगे रहना चाहिए।'

UPSC 2023 Cracker ने कहां से की पढ़ाई?
नीलेश ने अपनी पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल से की है। कक्षा 8 तक गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ने के बाद 9 से 12वीं तक पढ़ाई तवानगर मॉडल हायर सेंकेंडरी स्कूल से पास आउट हुए। 2016 में इंटर का एग्जाम 1st डिवीजन में पास की। 2020 में ्ग्रामोदय कृषि युनिवर्सिटी से एग्रीकल्चर में बीटेक किया।

UPSC 2023 Cracker ने कितने अटेम्ट में पास किया यूपीएससी एग्जाम?
शुरू के दो अटेम्ट में फेल हुए नीलेश का कहना है कि  गांव में गर्मियों में लाइट ज्यादा कटती है। ऐसे में स्टडी नहीं हो पाती थी। जिसकी वजह से वह  2021 और 2022 प्रीलिम्स में ही फेल हो गए। सोशल मीडिया मित्र विपुल गर्ग की सलाह पर 2023 में भोपाल में किराए का कमरा लेकर तैयारी करने गए। एक-दो सब्जेक्ट्स की कोचिंग की। जिसका फायदा हुआ। मई 2023 में प्रीलिम्स क्लियर हुआ। मेन्स की तैयारी के लिए  दिल्ली में 3 महीने की कोचिंग ली। 

UPSC 2023 Cracker के पिता ने कैसे पूरा किया पढ़ाई का खर्च?
नर्मदापुरम से 70 किमी. दूर स्थित ईश्वरपुर गांव निवासी नीलेश के पिता रामदास अहिरवार का कहना है कि उन्होंने अपने बच्चों की पढ़ाई का खर्चा उठाने के लिए अपनी मेहनत का समय बढ़ा दिया था। 8 घंटे बजाय 12-14 घंटे काम करने लगा था। क्योकि उन्हें ललक थी कि उनके बेटे भी अधिकारी बनें। आज हमारा छोटा बेटा हर्ष अहिरवार भोपाल में रहकर पढ़ाई करता है। नीलेश की मां जानकीबाई व नानी कमलाबाई समेत पूरा परिवार प्रफुल्लित है।  मां का कहना है कि पिछले 10 साल में हमने घर में कूलर, एसी, फ्रिज जैसी कोई भी चीज नहीं खरीदी। हम सिर्फ बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान दे रहे थे।

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