Inspirational Story: UPSC एग्जाम केवल सफलता पाने की दौड़ नहीं है, बल्कि यह एक परिवर्तनकारी यात्रा है। 2021 बैच की भारतीय डाक सेवा (IPoS) अधिकारी पवनजोत कौर की कहानी इस बात का प्रमाण है कि यूपीएससी का सफर आत्म-सुधार, धैर्य और मेहनत का संगम है। पांच बार की असफलता के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और 2020 में अखिल भारतीय 332वीं रैंक हासिल कर अपने सपने को साकार किया।

संघर्ष से सफलता तक की कहानी
पंजाब के बटाला की रहने वाली पवनजोत कौर ने 2015 में यूपीएससी की तैयारी शुरू की। शुरुआती तीन प्रयासों (2016, 2017, 2018) में वे प्रारंभिक परीक्षा भी पास नहीं कर पाईं। लेकिन चौथे प्रयास में वे साक्षात्कार तक पहुंचीं, हालांकि अंतिम चयन नहीं हुआ। उनके पांचवें प्रयास (UPSC 2020) में उन्हें सफलता मिली और उन्होंने भारतीय डाक सेवा (IPoS) में जगह बनाई। 2021 में उन्होंने एक और प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हो पाईं।

पवनजोत कौर को असफलताओं से मिली सीख
UPSC एग्जाम  की यात्रा के दौरान, उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में अतिथि व्याख्याता के रूप में कार्य किया और कई अन्य परीक्षाओं (इंटेलिजेंस ब्यूरो ACIO, SSC CGL 2017) में भी सफलता प्राप्त की। उन्होंने नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) कार्यालय में सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी (AAO) के रूप में भी काम किया।

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UPSC एग्जाम की तैयारी कैसे करें?

  • सलेबस को गहराई से समझें: यूपीएससी का सिलेबस बेहद बड़ा है, लेकिन इसे छोटे हिस्सों में विभाजित करके पढ़ें।
  • सेल्फ-स्टडी को प्राथमिकता दें: कोचिंग सहायता कर सकती है, लेकिन सफलता का असली मंत्र आत्म-अध्ययन है।
  • पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों का विश्लेषण करें: इससे परीक्षा पैटर्न को समझने में मदद मिलती है।
  • समय प्रबंधन पर ध्यान दें: अध्ययन के लिए एक प्रभावी टाइमटेबल बनाएं और उसे ईमानदारी से फॉलो करें।
  • निरंतर प्रेरित रहें: असफलताओं को सीखने के अवसर के रूप में देखें और धैर्य बनाए रखें।

इंटरव्यू के लिए पवनजोत कौर की सलाह

  • UPSC की तैयारी करने वाले कैंडिडेट इंटरव्यू में तथ्यों से अधिक आपके दृष्टिकोण और सोचने के तरीके पर ध्यान दिया जाता है।
  • प्रश्नों के उत्तर आत्मविश्वास और तार्किक तरीके से दें।
  • अपने विस्तृत आवेदन पत्र (DAF) को अच्छी तरह से तैयार करें, क्योंकि अधिकतर प्रश्न वहीं से पूछे जाते हैं।
  • समसामयिक घटनाओं और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मुद्दों की समझ रखें।

पवनजोत कौर की पारिवारिक भूमिका और संघर्ष
पवनजोत कौर के पिता का 1995 में निधन हो गया था, जिसके बाद उनकी मां ने उन्हें अकेले संभाला। उनकी मां, जो राज्य सरकार में कार्यरत हैं, ने शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। उनकी इस सफलता में उनकी मां का बड़ा योगदान रहा।

UPSC उम्मीदवारों के लिए संदेश
पवनजोत कौर का मानना है कि यूपीएससी सिर्फ एक परीक्षा नहीं, बल्कि आत्म-सुधार की प्रक्रिया है। उन्होंने कहा, “सबसे पहले, अपने लक्ष्य को स्पष्ट करें। यदि आप यूपीएससी के लिए समर्पित हैं, तो तीन साल तक पूरी निष्ठा से तैयारी करें। सफलता में देरी हो सकती है, लेकिन यदि प्रयास सच्चे हैं, तो परिणाम जरूर मिलेगा।” पवनजोत कौर की यूपीएससी यात्रा इस बात का प्रमाण है कि मेहनत और धैर्य से हर सपना पूरा किया जा सकता है। यूपीएससी केवल एक परीक्षा नहीं, बल्कि जीवन को बदलने वाली एक यात्रा है। उनके संघर्ष और सफलता की कहानी हर उम्मीदवार के लिए प्रेरणा है।

 

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