Success Story: आज मिलिए उस शख्स से जो कभी 2500 रुपये महीना कमाता था लेकिन आज वो अरबपति है, विवेक चंद सहगल की प्रेरणादायक सफलता की कहानी के पीछे एक महिला का हाथ है! जानिए उनकी नेटवर्थ, मदरसन ऑटोमोबाइल और एयरोस्पेस में उनकी सफलता।
Inspiring Story: क्या आपने कभी सोचा था कि सिर्फ 2500 रुपये महीना कमाने वाला व्यक्ति एक दिन दुनिया के सबसे अमीर भारतीयों में शामिल हो सकता है? विवेक चंद सहगल की कहानी इसी तरह की है। उन्होंने मां के साथ मिलकर एक छोटे से ऑटो पार्ट्स व्यवसाय की शुरुआत की, जो आज BMW, Mercedes और Airbus जैसी कंपनियों के लिए टियर 1 आपूर्तिकर्ता बन चुका है।
साधारण शुरुआत से वैश्विक सफलता तक
आज, 5.5 बिलियन डॉलर (लगभग 45,700 करोड़ रुपये) की नेटवर्थ के साथ, सहगल ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले सबसे अमीर भारतीय बन चुके हैं। इस महिला दिवस पर उनकी मां स्वर्ण लता सहगल के साथ मिलकर बनाई गई सफलता की यह कहानी सभी के लिए प्रेरणादायक है।
विवेक चंद सहगल का प्रारंभिक जीवन और फैमिली बैकग्राउंड
विवेक चंद सहगल का जन्म 1 फरवरी 1957 को दिल्ली, भारत में हुआ। उनका परिवार आभूषण व्यवसाय से जुड़ा था, जिससे उन्हें व्यापारिक रणनीतियों की समझ बचपन से ही मिली। उनके दादाजी ने सिल्वर ट्रेडिंग में हाथ आजमाया था, जिससे विवेक ने अपने करियर की शुरुआत की।
1 रुपये में 1 किलो चांदी बेची! पहला व्यापारिक सबक
विवेक चंद सहगल ने अपने करियर की शुरुआत सिल्वर ट्रेडिंग से की। उन्होंने एक सौदे में सिर्फ 1 रुपये में 1 किलो चांदी बेची। हालांकि यह सौदा घाटे का था, लेकिन इससे उन्होंने सीखा कि बाजार में अवसर पहचानना और सही समय पर सही निर्णय लेना कितना जरूरी होता है।
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मदरसन ग्रुप का जन्म: मां-बेटे की जोड़ी ने किया कमाल
1975 में, विवेक चंद सहगल ने अपनी माँ स्वर्ण लता सहगल के साथ मिलकर मदरसन ग्रुप (Motherson Group) की स्थापना की। शुरुआत में यह सिल्वर ट्रेडिंग का व्यवसाय था, लेकिन लगातार वित्तीय संकटों के कारण इसे ऑटोमोबाइल कंपोनेंट निर्माण में बदला गया। आज मदरसन ग्रुप ऑटोमोटिव उद्योग में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। वो BMW, Mercedes, Volkswagen, Toyota जैसी कंपनियों के लिए टॉप सप्लायर है। 4 मार्च 2025 तक 80,199 करोड़ रुपये का मार्केट कैपिटलाइजेशन हो गया है।
एयरबस तक पहुंच: एयरोस्पेस उद्योग में भी रखा कदम
मदरसन ग्रुप सिर्फ ऑटोमोबाइल तक सीमित नहीं रहा। कंपनी ने एयरोस्पेस उद्योग में भी कदम रखा और एयरबस कमर्शियल एयरक्राफ्ट के लिए टियर 1 आपूर्तिकर्ता बन गई। एयरोस्पेस में विस्तार के बाद से इस कंपनी की हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग में कंपनी की पकड़ मजबूत हुई। ऑटो कंपोनेंट्स से लेकर विमान निर्माण तक कंपनी का पोर्टफोलियो बढ़ा है और वैश्विक स्तर पर भारतीय कंपनियों की साख बढ़ी।
अगली पीढ़ी के साथ मदरसन ग्रुप का नेतृत्व
विवेक चंद सहगल आज भी मदरसन ग्रुप का नेतृत्व कर रहे हैं, लेकिन अब उनके साथ उनके बेटे लक्ष्य वामन सहगल भी कंपनी की रणनीति में अहम भूमिका निभा रहे हैं। बाप-बेटे की जोड़ी ने नई तकनीकों में निवेश कर रही है। ग्लोबल लेबल पर विस्तार पर जोर दिया जा रहा है। ऑटो और एयरोस्पेस में अगली पीढ़ी की इनोवेशन लाने पर फोकस बढ़ा है।
5.5 बिलियन डॉलर की नेटवर्थ: कैसे बने सबसे अमीर भारतीयों में से एक?
आज, विवेक चंद सहगल की कुल संपत्ति 5.5 बिलियन डॉलर (45,700 करोड़ रुपये) है। वे ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले सबसे अमीर भारतीय हैं और उनकी कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी ऑटो और एयरोस्पेस कंपनियों में से एक बन चुकी है। विवेक चंद की सफलता के मुख्य कारण उनके सही अवसरों को पहचानने की क्षमता, जोखिम लेने का साहस, मजबूत व्यावसायिक रणनीतियां और तकनीकी नवाचार और वैश्विक विस्तार है।
विवेक चंद सहगल के प्रतिष्ठित अवॉर्ड्स और उपलब्धियां
- 2016: EY एंटरप्रेन्योर ऑफ़ द ईयर अवार्ड
- 2020: दुनिया की टॉप 50 ऑटोमोटिव सप्लायर्स लिस्ट में मदरसन ग्रुप
- 2024: एयरबस के लिए टियर 1 आपूर्तिकर्ता बनकर एयरोस्पेस में विस्तार
सफलता की कहानी जो हर भारतीय को प्रेरित करे
विवेक चंद सहगल की कहानी हमें सिखाती है कि सही दृष्टिकोण, मेहनत और रणनीतिक सोच से कोई भी सफलता की ऊँचाइयों को छू सकता है। अगर 2500 रुपये महीना कमाने वाला व्यक्ति 45,700 करोड़ का साम्राज्य बना सकता है, तो आप भी कुछ बड़ा कर सकते हैं!
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Last Updated Mar 9, 2025, 3:48 PM IST