गुवाहाटी. असम में शनिवार को नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (एनआरसी) की फाइनल लिस्ट जारी कर दी गई। 3.11 करोड़ लोगों को नागरिकता के लिए वैध माना गया है। वहीं,  19,06,657 लोगों के नाम इसमें नहीं हैं। इनमें वे लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने नागरिकता के लिए दावा नहीं किया था। जो लोग इस लिस्ट से संतुष्ट नहीं हैं, वे  विदेशी ट्रिब्यूनल में आवेदन कर सकते हैं। नागरिकता के लिए 3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था। जिन लोगों को एनआरसी में शामिल किया गया है और जिन लोगों को निकाला गया है उन दोनों के लिस्ट इन आरसी की वेबसाइट पर देखा जा सकता है

अगर नहीं है एनआरसी में नाम तो यह करें
एनआरसी को लेकर असम में कई तरह की अफवाहें भी चल रही हैं। लेकिन सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि अगर किसी व्यक्ति का नाम फाइनल लिस्ट में शामिल नहीं किया जाता है तो इसका मतलब ये नहीं है कि वह विदेशी घोषित हो जाएगा। जिस व्यक्ति का नाम लिस्ट में नहीं होगा, उसे विदेशी ट्रिब्यूनल में जाने का भी अधिकार है। राज्य सरकार भी साफ कर चुकी है कि जिन लोगों के नाम एनआरसी में नहीं है, उन्हें किसी भी परिस्थिति में गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, जब तक विदेशी ट्रिब्यूनल उसे विदेशी घोषित नहीं करती। इस ट्रिब्यूनल को असम समझौते के तहत ही बनाया गया था। 

अपील के लिए हैं चार महीने
सरकार ने एनआरसी की लिस्ट में नाम न होने पर अपील के लिए तय वक्त सीमा को 60 दिन से बढ़ाकर 120 कर दिया है। अब 31 दिसंबर तक इस लिस्ट में नाम ना होने पर व्यक्ति अपील कर सकता है। इसके लिए गृह मंत्रालय ने 1000 ट्रिब्यूनल बनाने की घोषणा की है। इसमें से 100 ट्रिब्यूनल अभी तैयार हैं और अगले 200 ट्रिब्यूनल सितंबर के पहले सप्ताह में तैयार कर दिए जाएंगे।  ट्रिब्यूनल में केस हारने के बाद भी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का रास्ता खुला रहेगा।

क्या है एनआरसी और क्यों पड़ी जरूरत?
असम इकलौता राज्य है जहां एनआरसी बनाया जा रहा है। यहां सबसे पहले 1951 में एनआरसी तैयार की गई थी। दरअसल, असम में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को लेकर हमेशा से विवाद रहा है। ऐसा माना जाता है कि यहां करीब 50 लाख बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं। 80 के दशक में अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर छात्रों ने आंदोलन किया था। इसके बाद 1985 में तत्कालीन राजीव गांधी सरकार और असम गण परिषद के बीच समझौता हुआ। इसमें कहा गया  24 मार्च 1971 तक जो लोग देश में घुसे उन्हें नागरिकता दी जाएगी, बाकी को देश से निर्वासित कर दिया जाएगा। 7 बार एनआरसी जारी करने की कोशिशें हुई। 2013 में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट के आदेश के बाद अब लिस्ट जारी हुई। 

एनआरसी में किन लोगों को किया गया शामिल?

 -एनआरसी में असम के सिर्फ उन लोगों को ही भारतीय नागरिक माना गया, जिनके पूर्वजों के नाम 1951 के एनआरसी में शामिल हों। इसके अलावा 24 मार्च 1971 तक के वोटर लिस्ट में मौजूद हों। 

- इसके अलावा 12 दूसरे तरह के सर्टिफिकेट जैसे जन्म प्रमाण पत्र, पासबुक, निवास प्रमाणपत्र, नागरिकता प्रमाण पत्र भी देकर नागरिकता के योग्य बना जा सकता है। 

- असम एकॉर्ड 1985 के मुताबिक, विदेशियों को पहचनाने के लिए 24 मार्च 1971 को कट ऑफ डेट माना गया। क्योंकि इसके अगले दिन से ही बांग्लादेश की आजादी के लिए युद्ध शुरू हुआ था। 


इस बार की लिस्ट में सबसे कम लोग हुए बाहर
पिछले साल 31 दिसंबर 2017 को NRC की पहली लिस्ट जारी की गई थी। इसमें कुल 1.90 करोड़ लोगों के नाम थे। इसके बाद 30 जुलाई को एनआरसी का आया था। इसके लिए  3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था। इस लिस्ट में 2.89 करोड़ लोगों को नागरिकता के लिए योग्य पाया गया। लिस्ट में 40 लाख लोगों के नाम इस लिस्ट में नहीं थे। इसके बाद 26 जून 2019 को एक लिस्ट और जारी की गई थी। इसमें 1 लाख 2 हजार 462 ऐसे लोगों बाहर कर दिया, जो लिस्ट में थे लेकिन उन्हें अयोग्य करार दिया गया है।