नई दिल्ली: देश में जल्दी ही लालच देकर, अंधविश्वास फैलाकर या डरा धमका कर धर्म परिवर्तन कराना दंडनीय अपराध हो जाएगा। ऐसी खबरें आ रही हैं कि मोदी सरकार अगले संसदीय सत्र में धर्मांतरण विरोधी बिल लेकर आ सकती है। 

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में संसदीय कार्य मंत्री रहे वेंकैया नायडू ने धर्मांतरण के मुद्दे पर सभी दलों की आम राय से कानून बनाने की अपील भी की थी, लेकिन सरकार की दूसरी व्यस्तताओं के कारण यह संभव नहीं हो पाया। जिसके बाद अब दूसरी बार सरकार बनने के बाद मोदी सरकार फिर से इस बिल को पेश करना चाहती है। 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी चाहता है कि किसी  दूसरे तरह की रोक की बजाए एक सख्त धर्मांतरण विरोधी कानून लाया जाना ज्यादा कारगर साबित हो सकतता है। जिससे इस तरह के मामलों की शुरुआत ही नहीं हो पाए। 

हालांकि देश में मध्य प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में अपने अपने धर्मांतरण विरोधी कानून मौजूद हैं। लेकिन मोदी सरकार केन्द्रीय स्तर पर एक यूनिफॉर्म धर्मांतरण विरोधी कानून बनाना चाहती है। 

धर्मांतरण रोकना बीजेपी के एजेन्डे में हमेशा से रहा है।  संसद में भाजपा के कई नेता अलग अलग समय पर धर्मांतरण के मुद्दे को उठा चुके हैं। केरल और पूर्वोत्‍तर के राज्‍यों के अलावा कई जगहों पर धर्मांतरण अक्सर बड़ा मुद्दा बनता रहा है। 

बीजेपी नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय बहुत समय से धर्मांतरण विरोधी लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने इसके लिए मुहिम चलाते हुए  पीएम मोदी को पत्र भी लिखा है। 

अश्विनी उपाध्याय ने बताया है कि लक्षद्वीप और मिजोरम में हिंदू अब मात्र 2.5% तथा नागालैंड में 8.75% बचे हैं।  मेघालय में हिंदू अब 11%, कश्मीर में 28%, अरुणाचल में 29% और मणिपुर में 30% बचे हैं। जिस तरह बहुत ही सुनियोजित ढंग से धर्म परिवर्तन हो रहा है यदि उसे नहीं रोका गया तो आने वाले 10 वर्षों में स्थिति अत्यधिक भयावह हो जायेगी।  भारत विरोधी शक्तियां हिंदू धर्म पर हमला करके भारत को कमजोर बनाने की फिराक में लगी हुई हैं। 

हाल फिलहाल में उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में भी गरीबों को लुभाकर धर्मांतरण कराने की कई घटनाएं सामने आई हैं। हरियाणा और पंजाब में भी कई जगह से धर्मांतरण कि शिकायतें आई हैं। 

इसके अलावा अंधविश्वास फैलाकर, भूत प्रेत बाधा दूर करने के नाम पर भी धर्म परिवर्तन कराया जाता है। लेकिन इस मामले में सटीक कानून नहीं होने की वजह से पुलिस कुछ कर नहीं पाती है। जिसकी वजह से धर्मांतरण के खिलाफ अलग से कानून की जरुरत पड़ रही है।