भोपाल. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश विधानसभा स्पीकर को आज यानी शुक्रवार को 5 बजे तक फ्लोर टेस्ट करवाने का निर्देश दिया है। गुरुवार की रात करीब डेढ़ बजे जारी की गई विधानसभा की कार्यवाही की सूची में फ्लोर टेस्ट का जिक्र किया गया है। फ्लोर टेस्ट से पहले स्पीकर एनपी प्रजापति ने आधी रात कांग्रेस के 16 बागी विधायकों के इस्तीफे को स्वीकार कर लिया है। वहीं, दूसरी तरफ सीएम कमलनाथ ने शुक्रवार दोपहर 12 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई है। सूत्रों के मुताबिक, कमलनाथ इस कॉन्फ्रेंस में अपने इस्तीफे का ऐलान कर सकते हैं।

फ्लोर टेस्ट की कराई जाएगी लाइव स्ट्रीमिंग 

सुप्रीम कोर्ट ने कमलनाथ सरकार को फ्लोर टेस्ट करने के लिए कहा है। इसके साथ ही यह भी साफ किया कि फ्लोर टेस्ट की लाइव स्ट्रीमिंग कराई जाए। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर एनपी प्रजापति को फ्लोर टेस्ट के लिए आज विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट की प्रक्रिया शाम 5 बजे तक पूरी करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर स्पीकर प्रजापति ने कहा- विधायिका न्यायालय के निर्देशों का पालन कर रही है। दोनों ही संवैधानिक संस्थाएं हैं। 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हम निराश नहींः कमलनाथ 

सुप्रीम कोर्ट द्वारा फ्लोर टेस्ट का आदेश दिए जाने के बाद  कमलनाथ ने गुरुवार को विधायक दल की बैठक बुलाई। बैठक में कमलनाथ ने कहा- सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हम निराश नहीं हैं। हम आज भी एकजुट हैं। भाजपा ने हमारे विधायकों को कर्नाटक में बंधक बनाकर एक गंदा खेल खेला है। हमारे जनता के लिए किए गए कामों से बौखलाकर हमें अस्थिर करने के लिए भाजपा ने सब किया है। हम हर चुनौती का सामाना करेंगे।

मध्य प्रदेश में कब और कहां से शुरू हुआ राजनीति ड्रामा?

मध्य प्रदेश में ड्रामे की शुरुआत 4 मार्च को हुई थी। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भाजपा पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, भाजपा उनके विधायकों को दिल्ली ले जा रही है। कांग्रेस ने दावा किया कि उनके 6 विधायक, बसपा के 2 और एक निर्दलीय विधायक को गुरुग्राम के एक होटल में बंधक बनाया गया है। हालांकि, 1 दिन बाद 6 विधायक लौट आए। इनमें 2 बसपा और 1 सपा का विधायक भी शामिल था। हालांकि, चार विधायक फिर भी लापता रहे, उनमें से एक ने हरदीप सिंह डंग ने इस्तीफा भी दे दिया।

9 मार्च को सिंधिया ने की बगावत

मध्यप्रदेश में 9 मार्च को ड्रामा और तेज तब हो गया, जब ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के 22 कांग्रेसी विधायक अचानक भोपाल से बेंगलुरु चले गए। इन 22 विधायकों में से 6 कमलनाथ सरकार में मंत्री भी थे। इसके साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 10 मार्च को कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिया और 11 मार्च को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। इससे पहले 10 मार्च को सिंधिया खेमे के 22 विधायकों ने अपना त्याग पत्र राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष को भेजा था। जिसके बाद से प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी की सरकार संकट में घिरी हुई है।वहीं, भाजपा के पास 107 विधायक हैं। इस घटनाक्रम के बाद भाजपा ने अपने 105 विधायकों को गुरुग्राम के एक होटल में भेज दिया था। वहीं, कांग्रेस ने अपने बाकी विधायकों को जयपुर भेज दिया है। इस वक्त कांग्रेस और भाजपा दोनों के विधायक भोपाल लौट आए हैं। लेकिन अभी सिंधिया खेमे के बागी विधायक कर्नाटक में ही हैं।

मध्यप्रदेश में यह है विधानसभा का समीकरण?

मध्य प्रदेश में कुल विधानसभा सीटें- 230
दो विधायकों को निधन के बाद यह संख्या- 228
22 विधायकों ने इस्तीफा सौंपा, सभी के इस्तीफे मंजूर 
अब विधानसभा संख्या- 206
बहुमत के लिए चाहिए-104
भाजपा के पास- 107
कांग्रेस के पास- 99 (4- निर्दलीय, 2- बसपा, 1- सपा)