नई दिल्ली: देश के 100 शहरों में इस्तेमाल किया जा चुका खाने का तेल जमा करके उससे बायो डीजल तैयार किया जाएगा। इसकी वजह से जहां पेट्रोलियम पदार्थों पर देश की निर्भरता कम होगी, वहीं आम जनता इस्तेमाल किया हुआ तेल खाने से बच जाएगी। 

यह योजना सरकारी सेक्टर की तेल कंपनियां इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम बनाई है। शनिवार को इसकी औपचारिक घोषणा केन्द्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने की। 

इस काम के लिए ऑयल कंपनियां प्राइवेट कंपनियों से समझौता करेंगी, जो बायोडीजल बनाने के लिए प्लांट लगाएंगी। दरअसल भारत में हर साल 2,700 करोड़ लीटर खाने के तेल का इस्तेमाल होता है। 

इसमें घरों में तो खाने के तेल का पूरा इस्तेमाल हो जाता है। लेकिन होटल और रेस्टोरेन्ट्स में खाने का तेल बच जाता है। जिसका दोबारा इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी वजह से लोगों में स्वास्थ्य संबंधी परेशानी पैदा होती है। 

अब तेल कंपनियों की नई योजना के मुताबिक  140 करोड़ लीटर तेल होटल्स, रेस्त्रां और कैंटीन से एकत्र किया जा सकता है। जिससे प्रतिवर्ष लगभग 110 करोड़ लीटर बायोडीजल बनाया जा सकता है। 

इस तेल से जो बायोडीजल बनाया जाएगा। उसकी खरीदारी भी तेल कंपनियां ही करेंगी। शुरुआत में तेल कंपनियां बायोडीजल 51 रुपये प्रति लीटर खरीदेंगी और दूसरे साल इसकी कीमत 52.7 रुपये लीटर होगी और तीसरे साल इसकी कीमत बढ़कर 54.5 रुपये प्रति लीटर हो जाएगी।

केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने  रीपर्पज यूज्ड कुकिंग ऑइल (RUCO) स्टीकर और यूज्ड कुकिंग ऑइल (UCO) के लिए मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया। जिनके जरिए जमा किए हुए इस्तेमाल हो चुके खाद्य तेल की सूचना मिलेगी। होटल और रेस्टोरेन्ट्स को एक खास तरह का स्टिकर दिया जाएगा। जिससे यह पता चलेगा कि वह  बायोडीजल के लिए UCO की आपूर्ति करते हैं। 

 इस समय UCO को कलेक्ट करने के लिए कोई चेन नहीं है। लेकिन जल्दी ही तकनीक के इस्तेमाल से इसके लिए व्यवस्था तैयार की जाएगी। 

इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन भी मौजूद थे। उन्होंने इस योजना की तारीफ करते हुए बताया कि  इस्तेमाल हो चुके तेल को दोबारा खाने में इस्तेमाल से हाइपरटेंशन, ऐथिरोस्क्लेरोसिस, अल्जाइमर और लिवर से जुड़ी समस्याएं होती हैं। लेकिन इस योजना के आने के बाद से लोग इस्तेमालशुदा खाने का तेल यूज करने से बचेंगे और इन बीमारियों से भी दूर रह पाएंगे।