नई दिल्ली. पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने गुरुवार को राज्यसभा सदस्य के तौर पर शपथ ग्रहण किया। गोगोई के शपथ ग्रहण का  विरोध जताते हुए विपक्षी सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। सुबह 10.30 बजे जस्टिस गोगोई पत्नी रूपांजलि समेत संसद भवन पहुंचे, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने उनकी अगवानी की। जिसके बाद सभापति एम वैंकयाा नायडू ने सदस्य के तौर पर शपथ दिलाई। 

अयोध्या विवाद पर सुनाया था फैसला 

16 मार्च को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गोगोई को राज्यसभा के सदस्य के तौर पर मनोनित किया था।  पूर्व सीजेआई गोगोई 13 महीने तक सीजेआई रहे और 17 नवंबर 2019 को रिटायर हुए थे। उन्होंने अयोध्या विवाद पर लगातार सुनवाई करके फैसला सुनाया था। राफेल लड़ाकू विमान की खरीद के मामले में केंद्र सरकार को क्लीन चिट दी थी।

12 जनवरी 2018 को आए थे सुर्खियों में 

जस्टिस रंजन गोगोई ने 12 जनवरी 2018 को जस्टिस जे चेलमेश्वर और जस्टिस मदन बी लोकुर के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। यह पहली बार था, जब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कई मुद्दों को लेकर उन्होंने तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा की कार्यशैली और केसों के बंटवारे को लेकर भी सवाल उठाया था। उन्होंने तब कहा था कि न्यायापालिका की आजादी खतरे में है।

कौन हैं रंजन गोगोई?

रंजन गोगोई देश के 46 वें चीफ जस्टिस रहे हैं। उन्होंने सीजेआई का पद तीन अक्टूबर 2018 से 17 नंवबर 2019 तक संभाला। 18 नवंबर, 1954 को असम में जन्मे रंजन गोगोई ने डिब्रूगढ़ के डॉन बोस्को स्कूल और दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज में पढ़ाई की। उनके पिता केशव चंद्र गोगोई असम के मुख्यमंत्री थे। 28 फरवरी, 2001 को रंजन गोगोई को गुवाहाटी हाईकोर्ट का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।  जस्टिस गोगोई 23 अप्रैल, 2012 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने थे और बाद में मुख्य न्यायाधीश भी बने।