नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ पंजाब में बेहद आक्रोश है। दरअसल भक्तिकाल के महान संत रविदास जी का दिल्ली के तुगलकाबाद इलाके में एक मंदिर है। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने तोड़ने का आदेश दिया है। 

यह मंदिर लगभग  510 साल पुराना लोदी सल्तनत के काल का है। कहा जाता है कि जब सन् 1509 में लोदी वंश के शासक सिकंदर लोदी के निमंत्रण पर गुरु रविदास जब काशी से दिल्ली पधारे थे तो इसी स्थल पर ठहरे थे। बाद में यहां पर मंदिर का निर्माण किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इसी मंदिर को तोड़ने का आदेश दिया है। 

लेकिन अदालत इस आदेश के बाद पंजाब में भारी बवाल मचा हुआ है। इस मुद्दे पर जालंधर, कपूरथला, पटियाला, फतेहगढ़ साहिब, रोपड़, फिरोजपुर आदि जिलों में लगातार प्रदर्शन चल रहा है। कुछ संगठनों ने 13 अगस्त(मंगलवार) को पंजाब बंद रखने का भी ऐलान किया है। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के विरोध में 15 अगस्त को काला दिवस के रुप में भी मनाने की अपील की जा रही है। 

पंजाब में यह मुद्दा इतना गंभीर रुप धारण कर चुका है कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस मामले में खुद पीएम मोदी से ध्यान देने की अपील की है। अमरिंदर सिंह ने केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी को सुझाव दिया है कि वह फिर से मंदिर के लिए स्थान आवंटित कराएँ। 

मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने मंदिर तोड़ने का विरोध करने वाले संगठनों से सहानुभूति जताते हुए उन्हें वित्तीय और कानूनी मदद करने का भरोसा भी दिलाया है, ताकि इस मामले को आगे ले जाने में कोई परेशानी न हो और उसी जगह पर फिर से मंदिर बनाया जा सके। 

मुख्यमंत्री ने इस मामले में समाधान तलाश करने के लिए एक पांच सदस्यों वाली कमेटी का भी गठन किया है। इस मामले पर केंद्रीय मंत्री विजय सांपला ने बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल के नेताओं के साथ बैठक भी की है।  उन्होंने कहा है कि पार्टी के नेता इस मुद्दे पर राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे। 

दरअसल काशी के महान समरसतावादी भक्तिकालीन संत रविदास के कई उपदेश और वाणियां सिखों की प्रमुख धार्मिक पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित हैं। जिन्हें सिख समुदाय के लोग गुरु की वाणी मानते हैं। संत रविदास के मंदिर का टूटना सिखों के लिए भावनात्मक मुद्दा है।